![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
Bihar Politics: बिहार में 'आनंद' की राजनीति! 'R' फैक्टर से 'M' को फायदा या नुकसान? | जानिए बड़ी बातें
Lok Sabha Election 2024: आनंद मोहन आज 26 अप्रैल को सहरसा जेल में सरेंडर करेंगे. 27 अप्रैल को दोपहर में जेल से स्थायी तौर पर बाहर आ जाएंगे. सियासी गलियारे में बवाल है.
![Bihar Politics: बिहार में 'आनंद' की राजनीति! 'R' फैक्टर से 'M' को फायदा या नुकसान? | जानिए बड़ी बातें Anand Mohan In Bihar Politics Know M Advantage or Disadvantage by R factor Know the big things ann Bihar Politics: बिहार में 'आनंद' की राजनीति! 'R' फैक्टर से 'M' को फायदा या नुकसान? | जानिए बड़ी बातें](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/04/26/3691d78cc655d534a7180974abe57e2a1682482362011169_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
पटना: पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan) की रिहाई होने वाली है. इसको लेकर बिहार में राजनीति भी जोरों पर है. सियासी गलियारे में नफा-नुकसान की चर्चा भी है. चाहे महागठबंधन के नेता हों, बीजेपी के नेता हों या फिर किसी और पार्टी के नेता क्यों न हों, सबके अपने-अपने तर्क हैं. सवाल यह भी है कि 'R' (राजपूत) फैक्टर से 'M' (महागठबंधन) को कितना फायदा या नुकसान होने वाला है?
वरिष्ठ पत्रकार संतोष यादव ने कहा कि आनंद मोहन की राजपूतों में अच्छी पकड़ है. आनंद मोहन की रिहाई से महागठबंधन को काफी फायदा होने की संभावना है. आनंद मोहन को एक फायर ब्रांड नेता के रूप में जाना जाता है. राजपूत समाज उनकी काफी इज्जत करता है. आनंद मोहन की रिहाई को लेकर काफी आंदोलन हुए. मुख्यमंत्री नीतीश के कार्यक्रमों में उनको रिहा करने की मांग उठती रही है. नीतीश कुमार खुद उनके समर्थकों से कहा करते थे कि जल्द खुशखबरी मिलेगी. रिहाई पर अब मुहर भी लग गई.
बीजेपी ने किया विरोध तो होगा नुकसान?
वहीं दूसरी ओर कि बीजेपी के लिए यह कैसा होगा? इसको लेकर संतोष यादव ने कहा कि आनंद मोहन 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर जहां-जहां बिहार में प्रचार करेंगे वहां राजपूत समाज महागठबंधन के पक्ष में लामबंद हो सकता है. कोसी क्षेत्र में राजपूत समाज आनंद मोहन के लिए एक तरफा वोट करेगा. बीजेपी खुलकर आनंद मोहन का विरोध इसलिए नहीं कर रही है क्योंकि आनंद मोहन की राजपूत समाज में अच्छी पैठ है. बीजेपी विरोध करेगी तो उसे नुकसान हो सकता है.
'नीतीश कुमार ने नहीं की वोटों की चिंता'
वोटों के लिए आनंद मोहन की होने जा रही है रिहाई? जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि नीतीश कुमार ने कभी भी वोट बैंक की चिंता नहीं की. वोटरों की चिंता की है. आनंद मोहन की रिहाई के फैसले को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखा जा रहा है. नीतीश सरकार न किसी को फंसाती है न किसी को बचाती है. नियम के हिसाब से नीति बनी जिसका लाभ आनंद मोहन समेत कुल 27 लोगों को मिला जो जेल से रिहा होंगे. बीजेपी के लोग अपने नजरिए को प्रस्तुत कर रहे हैं. बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी आनंद मोहन को निर्दोष बताते थे. रिहाई की मांग करते थे, अब रिहाई का विरोध कर रहे हैं.
उधर, बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि बिहार में सवर्ण, पिछड़ा, अति पिछड़ा सब बीजेपी के साथ है. सबकी पसंद नरेंद्र मोदी हैं. बिहार की जनता मजबूती से नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी रही है. उसी मजबूती से आगे भी खड़ी रहेगी. महागठबंधन कितना भी प्रयास कर ले, 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता बीजेपी का समर्थन करेगी.
'फितरत में नहीं कि राजपूत की राजनीति करें'
मंगलवार (25 अप्रैल) को एबीपी न्यूज़ से बातचीत में आनंद मोहन ने कहा था कि उनकी फितरत नहीं कि वह राजपूत की राजनीति करें. 100 फीसद समाज की राजनीति करते रहे हैं. आगे भी करेंगे. कहा कि उन्हें रिहा कर 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभ लेने की कोशिश महागठबंधन नहीं करेगा. उनके समाज के लोगों को खुश कर वोट लेने की यह कवायद नहीं है. वह स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं. बैकवर्ड और फॉरवर्ड की राजनीति में विश्वास नहीं रखते. जेपी आंदोलन की उपज हूं मैं.
बता दें कि पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार ने मुहर लगा दी है. विधि विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. विधि विभाग की अधिसूचना जेल आईजी के पास पहुंच चुकी है. आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में सजा पूरी कर चुके हैं. करीब 15 साल रहे जेल में रहे. बेटे और आरजेडी विधायक चेतन आनंद की सगाई के लिए पैरोल पर जेल से आए हुए हैं. आज 26 अप्रैल को सहरसा जेल में सरेंडर करेंगे. 27 अप्रैल को दोपहर में जेल से स्थायी तौर पर बाहर आ जाएंगे.
बिहार में राजपूत समाज पांच फीसद
सवाल यह उठ रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन सरकार राजपूत समाज को अपनी तरफ लामबंद करने के लिए आनंद मोहन की रिहाई का दांव चली है. बिहार में राजपूत समाज करीब पांच फीसद है. बिहार की नौ लोकसभा सीटों पर इनका अच्छा खासा प्रभाव है. बिहार के राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आनंद मोहन की रिहाई से महागठबंधन को 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा होगा. राजपूत समाज महागठबंधन के पक्ष में लामबंद हो सकता.
90 के दशक में बिहार में ऐसा राजनीतिक ताना बाना बुना गया था कि जात की लड़ाई खुलकर सामने आ गई थी. यह बिहार में वह दौर था जब लालू का राज था और कमंडल और मंडल की जोर आजमाइश चल रही थी. उसी दौर में आनंद मोहन लालू विरोध का चेहरा बने थे. सवर्णों का नेता बनकर उभरे थे.
1990 में जनता दल के टिकट पर सहरसा के महिषी से विधानसभा चुनाव लड़े और जीते थे. 1993 बिहार पीपल्स पार्टी बनाई थी. 1996 में बीजेपी की मदद से लोक सभा सांसद बने थे. 1998 में लालू यादव के समर्थन से लोकसभा सांसद बने थे. अब आनंद मोहन कितने कामयाब होंगे? महागठबंधन को कितनी सफलता दिला पाएंगे यह तो समय बताएगा लेकिन उनकी रिहाई के फैसले से बिहार की सियासत गरमा गई है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)