अपने बच्चों को IPL में देखना चाहते हैं मां-बाप, टीम इंडिया से नहीं पड़ता फर्कः कपिल देव
कई विशेषज्ञ और पूर्व क्रिकेटर इस बात पर चिंता जाहिर कर चुके हैं कि आज के दौर में आ रहे युवा क्रिकेटर घरेलू फर्स्ट क्लास क्रिकेट की बजाए आईपीएल को तरजीह दे रहे हैं.

नई दिल्लीः इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की चकाचौंध ने हर क्रिकेट प्रेमी को अपनी ओर खींचा है. क्रिकेट लीग की दुनिया में सबसे बड़ा नाम बन चुके आईपीएल ने कई नए खिलाड़ियों को रातों-रात बड़ी शोहरत दी है. इसके साथ ही इसके जरिए मिलने वाली मोटी रकम भी दुनियाभर के खिलाड़ियों को अपनी ओर खींचती है. हालांकि, पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव का मानना है कि इसके कारण मौजूदा दौर के परिजन अपने बच्चों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बजाए आईपीएल में चमकता देखना चाहते हैं.
लोगों के सवाल से भड़क जाते हैं कपिल
स्पोर्ट्सकीड़ा वेबसाइट से बात करते हुए पूर्व वर्ल्ड कप विजेता कप्तान ने कहा कि इस दौर में बच्चों के परिजनों की सोच बदलने से ही बदलाव आता है. उन्होंने कहा, “आज परिजन चाहते हैं कि उनका बच्चा आईपीएल में खेले. जब अभिभावकों की सोच बदलती है तो सब कुछ बदल जाता है.”
पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर ने कहा कि वो इस बात से भड़क जाते हैं, जब कोई अभिभावक उनसे पूछता है कि क्या उनका बेटा आईपीएल खेल सकता है. कपिल ने कहा, “कई लोग मेरे पास आते हैं और उनको इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि क्या उनका बच्चा भारत के लिए खेलेगा या नहीं. क्या वो आईपीएल खेल सकता है? मैं कई बार भड़क जाता हूं.”
कमाई और स्टारडम का जरिया बना IPL
आईपीएल के घरेलू क्रिकेट पर असर को लेकर कई बार चर्चा हो चुकी है. कई विशेषज्ञ और पूर्व क्रिकेटर इस बात पर चिंता जाहिर कर चुके हैं कि आज के दौर में आ रहे युवा क्रिकेटर घरेलू फर्स्ट क्लास क्रिकेट की बजाए आईपीएल को तरजीह दे रहे हैं, क्योंकि इससे अच्छी कमाई के साथ ही कम समय में ही अच्छी पहचान भी मिलती है.
वहीं भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाने का भी ये आसान रास्ता साबित हुआ है और टीम इंडिया को आईपीएल की मदद से कई नए खिलाड़ी बीते कुछ सालों में मिले हैं.
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Source: IOCL























