HeeraMandi की असली कहानी. तवायफ़ और प्रोस्टीटूशन अलग था. तवायफ़ों के पास तमीज़ सीखने भेजते थे बच्चों को | FYI
Episode Description
कभी तवायफ शब्द बदनाम नहीं था। लोग तो अपने बच्चों को उनके पास भेजते थे। कैसी थी या यूँ कहिये कैसी है असली हीरामंडी ? चलिए जानते है। संजय लीला भंसाली जो जाने जाते है अपनी आइकोनिक फिल्म के लिए, अपने हिस्टोरिकल सेट्स के लिए, वो अब हाज़िर हो चुके है एक ऐसी ही ऐतिहासिक वेब सीरीज लेकर जिसका नाम है "हीरामंडी :द डायमंड बाजार। यह सीरीज बेस्ड है तवाइफ़ों की ज़िन्दगी पर, जो लाहौर के हीरामंडी में थी और वह भी उस समय में , जब ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। उस समय तवायफ शब्द भी बड़ी इज़्ज़त से लिया जाता था क्योकि उस समय तवाइफ़ का वो मतलब नहीं था जो आज है। तवाइफ़ एक ऐसा शब्द जिसके मायने आज बदल चुके है। आखिर कौन हुआ करती थी तवाइफ़ , क्या होता था हीरामंडी में ,आपको बताएंगे FYI में सिर्फ ABP LIVE Podcasts पर

























