Sexual Abuse पीड़ितों की मदद, रेपिस्ट की पर्सनालिटी को पहचानने में कैसे मदद करेगा Rorschach Test ? जानें | FYI
एपिसोड डिस्क्रिप्शन
भारत में, एक चौंकाने वाले आंकड़े से पता चलता है कि हर दो में से एक बच्चे को 18 साल का होने से पहले यौन शोषण का सामना करना पड़ा है, मुख्य रूप से परिवार के सदस्यों या उनके परिचित व्यक्तियों के हाथों। दुखद बात यह है कि महामारी से प्रेरित लॉकडाउन के दौरान यह मुद्दा और भी बढ़ गया है। भारत में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार चौथा सबसे आम अपराध है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में 31,677 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, या प्रतिदिन औसतन 86 मामले, 2020 में 28,046 मामलों की तुलना में वृद्धि हुई, जबकि 2019 में 32,033 मामले दर्ज किए गए।2020 के एनसीआरबी डेटा के अनुसार, पूरी बाल आबादी के लगभग 28.9% ने किसी न किसी प्रकार के यौन अपराध का अनुभव किया, फिर भी इनमें से केवल 65.6% अपराध ही दर्ज किए गए।यौन शोषण की शेल्फ लाइफ लंबी होती है। यह adulthood तक शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर निरंतर प्रभाव डालता है। "Biological embedding" मस्तिष्क सर्किटरी प्रोग्रामिंग के माध्यम से होती है जो बाद के तनाव के प्रतिक्रिया पैटर्न को आकार देती है। यह कई मन-शरीर प्रणालियों में टूट-फूट का कारण बनता है, और दशकों बाद स्वास्थ्य पर बुरा परिणाम उत्पन्न करता है। लोग इनका ज़िक्र नहीं करते और अंदर ही अंदर उनके अंदर बदलाव होने लगते हैं जिन्हें समझने के लिए ही क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ श्वेता शर्मा ने रिसर्च की है और बताया है कैसे Rorschach Test इसमें मदद कर सकती है। आखिर क्या है Rorschach ? क्या है इंक ब्लॉट टेस्ट ? चलिए जानते हैं FYI में सिर्फ ABP LIVE Podcasts पर
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