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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

नोटबंदी की सालगिरह: वो ऐतिहासिक Viral तस्वीरें जो हमें सालों तक नोटबंदी की याद दिलाएंगी

1/11
ऐसे छापों में ख़ास नहीं बल्कि आम लोग भी पकड़े जाने लगे. तमिलनाडु से आई एक ख़बर में नोटबंदी के डेढ़ महीने बाद 2000 के नोटों में 36 लाख की रकम पकड़ी गई. ये एक गाड़ी में ले जाए जा रहे थे जिसे चलाने वाले पुलिस को देखने के बाद गाड़ी तेज़ भगाने लगे. पुलिस शुरुआत में इसे किसी बड़े आदमी को इससे जोड़ नहीं पाई. 36 लाख की रकम एक साथ मिलना इसलिए अद्भुत बाती थी क्योंकि ये वो दौर था जब लोग एटीएम से एक दिन में महज़ 4000 रुपए ही निकाल सकते थे और ज़्यादातर एटीएम सूखे पड़े मिलते थे. नोटबंदी के फैसले को आज एक साल पूरा हो गया और देश के ज़्यादातर हिस्सों में फिर से ठंड ने दस्तक दी है. ऐसे में गाहे-बगाहे लोगों को वो दिन ज़रूर याद आएंगे जब कड़ाके की ठंड में वे दिल की तेज़ धड़कनों के साथ एटीएम की लाइन का हिस्सा बनते थे. अब सब सामान्य हो गया है लेकिन फिर भी ये सवाल कायम है कि लोगों को इतनी तकलीफों के बाद इस फैसले से क्या हासिल हुआ!
ऐसे छापों में ख़ास नहीं बल्कि आम लोग भी पकड़े जाने लगे. तमिलनाडु से आई एक ख़बर में नोटबंदी के डेढ़ महीने बाद 2000 के नोटों में 36 लाख की रकम पकड़ी गई. ये एक गाड़ी में ले जाए जा रहे थे जिसे चलाने वाले पुलिस को देखने के बाद गाड़ी तेज़ भगाने लगे. पुलिस शुरुआत में इसे किसी बड़े आदमी को इससे जोड़ नहीं पाई. 36 लाख की रकम एक साथ मिलना इसलिए अद्भुत बाती थी क्योंकि ये वो दौर था जब लोग एटीएम से एक दिन में महज़ 4000 रुपए ही निकाल सकते थे और ज़्यादातर एटीएम सूखे पड़े मिलते थे. नोटबंदी के फैसले को आज एक साल पूरा हो गया और देश के ज़्यादातर हिस्सों में फिर से ठंड ने दस्तक दी है. ऐसे में गाहे-बगाहे लोगों को वो दिन ज़रूर याद आएंगे जब कड़ाके की ठंड में वे दिल की तेज़ धड़कनों के साथ एटीएम की लाइन का हिस्सा बनते थे. अब सब सामान्य हो गया है लेकिन फिर भी ये सवाल कायम है कि लोगों को इतनी तकलीफों के बाद इस फैसले से क्या हासिल हुआ!
2/11
काले धन पर हमले को धत्ता बताती एक ख़बर सामने आई जब आईटी की एक रेड में नए नोटों में 4.7 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जब्त की गई. मामला बेंगलुरु का था जहां दो पीडब्लयूडी इंजीनियर्स पर पड़े छापे में ये रकम नोटबंदी के एक महीने से भी कम समय में उनके पास मौजूद पाई गई. ऐसे ही छापों में कई राजनीतिक पार्टियों के नेता भी पकड़े गए जिनमें देश की सरकार चला रही बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक के नेता शामिला पाए गए.
काले धन पर हमले को धत्ता बताती एक ख़बर सामने आई जब आईटी की एक रेड में नए नोटों में 4.7 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जब्त की गई. मामला बेंगलुरु का था जहां दो पीडब्लयूडी इंजीनियर्स पर पड़े छापे में ये रकम नोटबंदी के एक महीने से भी कम समय में उनके पास मौजूद पाई गई. ऐसे ही छापों में कई राजनीतिक पार्टियों के नेता भी पकड़े गए जिनमें देश की सरकार चला रही बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक के नेता शामिला पाए गए.
3/11
अगर इसे साल 2016 का सबसे वायरल ट्रेंड कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. पहले पहल तो सोनम गुप्ता बेवफा है का ये मैसेज 10 के नोटों पर लिखा हुई सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. उसके बाद अपील की गई कि नोटों पर ऐसे संदेश ना लिखे जाएं क्योंकि आरबीआई को ऐसे नोटों को चलन से बाहर करना पड़ता है. लेकिन सोशल मीडिया है कि मानता नहीं और अपनी आदत से बाज नहीं आते हुए ट्रोल किस्म के लोगों ने नए नोटों पर भी ये संदेश लिख डाले. फिर क्या होना था, संदेश वाले ये नोट वायरल हो गए और साल 2016 और 17 की शुरुआत का ये सबसे बड़ा मज़ाक बन गया.
अगर इसे साल 2016 का सबसे वायरल ट्रेंड कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. पहले पहल तो सोनम गुप्ता बेवफा है का ये मैसेज 10 के नोटों पर लिखा हुई सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. उसके बाद अपील की गई कि नोटों पर ऐसे संदेश ना लिखे जाएं क्योंकि आरबीआई को ऐसे नोटों को चलन से बाहर करना पड़ता है. लेकिन सोशल मीडिया है कि मानता नहीं और अपनी आदत से बाज नहीं आते हुए ट्रोल किस्म के लोगों ने नए नोटों पर भी ये संदेश लिख डाले. फिर क्या होना था, संदेश वाले ये नोट वायरल हो गए और साल 2016 और 17 की शुरुआत का ये सबसे बड़ा मज़ाक बन गया.
4/11
सबसे धमाकेदार वायरल झूठों में शामिल थी इन नए नोटों में नैनो जीपीएस चिप होने की बात. बताया गया कि ऐसे चिप्स के सहारे से नोटों को कई फीट गड्ढे में गाड़ने के बाद भी पकड़ा जा सकेगा. कई बड़े और नंबर वन होने का दावा करने वाले चैनलों ने इस झूठ को दर्शकों के सामने ख़बरे के तौर पर पेश किया और बाद में माफी भी नहीं मांगी लेकिन एबीपी न्यूज़ ने लोगों के सामने सच्चाई लाई और बताया कि इन नोटों में ऐसा कोई चिप नहीं है.
सबसे धमाकेदार वायरल झूठों में शामिल थी इन नए नोटों में नैनो जीपीएस चिप होने की बात. बताया गया कि ऐसे चिप्स के सहारे से नोटों को कई फीट गड्ढे में गाड़ने के बाद भी पकड़ा जा सकेगा. कई बड़े और नंबर वन होने का दावा करने वाले चैनलों ने इस झूठ को दर्शकों के सामने ख़बरे के तौर पर पेश किया और बाद में माफी भी नहीं मांगी लेकिन एबीपी न्यूज़ ने लोगों के सामने सच्चाई लाई और बताया कि इन नोटों में ऐसा कोई चिप नहीं है.
5/11
नोटबंदी के फैसले को लेकर ऐसी हड़बड़ी थी कि नोट ठीक से छपे भी नहीं थे. ऐसे में ऐसी भी तस्वीरें आईं जिनमें नोट धुले हुए लग रहे थे जबकि वो ताज़ा छपकर निकले थे. कई नोटों में गांधी जी गायब थे तो कई 2000 के नोटों से रंग छोड़ने की शिकायत सामने आई.
नोटबंदी के फैसले को लेकर ऐसी हड़बड़ी थी कि नोट ठीक से छपे भी नहीं थे. ऐसे में ऐसी भी तस्वीरें आईं जिनमें नोट धुले हुए लग रहे थे जबकि वो ताज़ा छपकर निकले थे. कई नोटों में गांधी जी गायब थे तो कई 2000 के नोटों से रंग छोड़ने की शिकायत सामने आई.
6/11
सरकार ने पहले तो नोटबंदी को काले धन पर हमला बताया लेकिन जब बाज़ी हाथ से फिसलती दिखी तो इसे डिजिटल इंडिया की मुहिम से जोड़ दिया. बताया गया कि ये देश को कैशलेस बनाने की एक मुहिम है. ऐसे में धडल्ले से पेटीएम जैसे मोबाइल वॉलेट्स ने लोगों के ज़िंदगी में घर कर लिया. लेकिन इसकी सफलता आंशिक रूप से सिर्फ शहरों तक सीमित रही. कस्बों और गवों में लोग अब भी इससे कोसों दूर हैं.
सरकार ने पहले तो नोटबंदी को काले धन पर हमला बताया लेकिन जब बाज़ी हाथ से फिसलती दिखी तो इसे डिजिटल इंडिया की मुहिम से जोड़ दिया. बताया गया कि ये देश को कैशलेस बनाने की एक मुहिम है. ऐसे में धडल्ले से पेटीएम जैसे मोबाइल वॉलेट्स ने लोगों के ज़िंदगी में घर कर लिया. लेकिन इसकी सफलता आंशिक रूप से सिर्फ शहरों तक सीमित रही. कस्बों और गवों में लोग अब भी इससे कोसों दूर हैं.
7/11
इस वायरल तस्वीर में आप विदेशी सैलानियों को देख सकते हैं. बनारस की इस तस्वीर में आप उन्हें करतब करते देख सकते हैं. इसके पीछे की कहानी ये है कि अचानक से हुई नोटबंदी में जब उनके हाथ में मौजूद नोट कागज़ के टुकड़े हो गए तब उन्होंने कैस के लिए खेल-तमाशे को अपना हथियार बनाया.
इस वायरल तस्वीर में आप विदेशी सैलानियों को देख सकते हैं. बनारस की इस तस्वीर में आप उन्हें करतब करते देख सकते हैं. इसके पीछे की कहानी ये है कि अचानक से हुई नोटबंदी में जब उनके हाथ में मौजूद नोट कागज़ के टुकड़े हो गए तब उन्होंने कैस के लिए खेल-तमाशे को अपना हथियार बनाया.
8/11
जब लोग पाई पाई को तरस गए और अपने पैसा का मुंह कैसा होता है, ये देखना भी उनके लिए दूभर हो गया. ऐसे दर्द को बयां करने के लिए इससे अच्छी तस्वीर नहीं हो सकती. ये वायरल तस्वीर भी मीडिया की कई ख़बरों का हिस्सा बनी जिसके सहारे ये दिखाने की कोशिश की गई की लोगों को कैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
जब लोग पाई पाई को तरस गए और अपने पैसा का मुंह कैसा होता है, ये देखना भी उनके लिए दूभर हो गया. ऐसे दर्द को बयां करने के लिए इससे अच्छी तस्वीर नहीं हो सकती. ये वायरल तस्वीर भी मीडिया की कई ख़बरों का हिस्सा बनी जिसके सहारे ये दिखाने की कोशिश की गई की लोगों को कैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
9/11
नोटबंदी के फैसले के बाद ये तस्वरी बुरी तरह से वायरल हो गई. तस्वीर को लेकर ये झूठ फैलाया गया कि ये एक बीजेपी नेता की बेटी है जिसके पास 2000 नोटों की गड्डी आम आदमी से पहले पहुंच गई. बाद में पड़ताल हुई तो पता चला कि ये एक बैंक कर्मी की तस्वीर है जिसका बीजेपी के किसी नेता से कोई लेना-देना नहीं है.
नोटबंदी के फैसले के बाद ये तस्वरी बुरी तरह से वायरल हो गई. तस्वीर को लेकर ये झूठ फैलाया गया कि ये एक बीजेपी नेता की बेटी है जिसके पास 2000 नोटों की गड्डी आम आदमी से पहले पहुंच गई. बाद में पड़ताल हुई तो पता चला कि ये एक बैंक कर्मी की तस्वीर है जिसका बीजेपी के किसी नेता से कोई लेना-देना नहीं है.
10/11
तारीख यही थी, यानी आठ नवंबर, लेकिन साल 2016 का था. तब पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लेते हुआ 1000 और 500 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. ये नोट कुल करेंसी का 86% हिस्सा थे. इनकी जगह 2000 के नए गुलाबी और 500 के नए भूरे नोटों ने ले ली. सरकार इसकी सालगिरह एंटी ब्लैक मनी डे के नाम से मना रही है और अभी भी अपने फैसले पर कायम है. आलम ये है कि मोदी सरकार और उससे जुड़े लोग  नोटबंदी के फायदे गिनाते नहीं थकते. भले ही इस फैसले के पीछे की नियत क्रांतिकारी रही हो लेकिन इसके लागू करने के तरीके ने सरकार की माटी पलीद करवा दी और लोगों को अपने पैसे के लिए सड़क पर ला दिया. ये पहली मार्मिक तस्वीर उसी दौर की है जब एक वृद्ध व्यक्ति को अपने पैसों के लिए रोना पड़ा. आइए, आगे की तस्वीरों के साहरे नोटबंदी के खट्टे-मिठे पलों को याद करने की कोशिश करते हैं-
तारीख यही थी, यानी आठ नवंबर, लेकिन साल 2016 का था. तब पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लेते हुआ 1000 और 500 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. ये नोट कुल करेंसी का 86% हिस्सा थे. इनकी जगह 2000 के नए गुलाबी और 500 के नए भूरे नोटों ने ले ली. सरकार इसकी सालगिरह एंटी ब्लैक मनी डे के नाम से मना रही है और अभी भी अपने फैसले पर कायम है. आलम ये है कि मोदी सरकार और उससे जुड़े लोग नोटबंदी के फायदे गिनाते नहीं थकते. भले ही इस फैसले के पीछे की नियत क्रांतिकारी रही हो लेकिन इसके लागू करने के तरीके ने सरकार की माटी पलीद करवा दी और लोगों को अपने पैसे के लिए सड़क पर ला दिया. ये पहली मार्मिक तस्वीर उसी दौर की है जब एक वृद्ध व्यक्ति को अपने पैसों के लिए रोना पड़ा. आइए, आगे की तस्वीरों के साहरे नोटबंदी के खट्टे-मिठे पलों को याद करने की कोशिश करते हैं-
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पहले पहले तो ये फैसला सच में काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह नज़र आया. इसी को लेकर प्रख्यात कलाकार सुदर्शन पटनायक ने रेत पर मोदी सरकार की तारीफ में नोटबंदी के फैसले को लेकर ये कलाकृति उकेरी. उनका भी यही मानना था कि ये नए भारत की शुरुआत है और इससे काले धन की समाप्ति हो जाएगी.
पहले पहले तो ये फैसला सच में काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह नज़र आया. इसी को लेकर प्रख्यात कलाकार सुदर्शन पटनायक ने रेत पर मोदी सरकार की तारीफ में नोटबंदी के फैसले को लेकर ये कलाकृति उकेरी. उनका भी यही मानना था कि ये नए भारत की शुरुआत है और इससे काले धन की समाप्ति हो जाएगी.

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