ट्रंप का 5 मिलियन डॉलर का 'गोल्ड कार्ड', जानें भारतीयों पर इसका क्या पड़ेगा असर
USA News: राष्ट्रपति बनने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप ने कड़ी आव्रजन नीतियों को अपनाया है. इसी कड़ी में उन्होंने एक नया गोल्ड कार्ड प्रस्तावित किया है, जो ईबी-5 निवेशक कार्यक्रम की जगह लेगा.

USA News: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की कड़ी आव्रजन नीतियों के कारण कई भारतीय एच-1बी वीजा और ग्रीन कार्ड धारकों को अप्रत्याशित रूप से निर्वासन का सामना करना पड़ा है या उन्हें हिरासत में रहने के लिए मजबूर किया गया है.
इसी कड़ी में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि ग्रीन कार्ड किसी व्यक्ति को अमेरिका में अनिश्चित काल तक रहने की गारंटी नहीं देता है. उनके इस बयान के बाद अमेरिका में भारतीय प्रवासी समुदाय में नई चिंता फैल गई है.
सावधानी बरतने की दी गई सलाह
इमिग्रेशन वकील अब विशेष रूप से उन लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं जो विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं. न्यूयॉर्क शहर के वकील नरेश गेही ने न्यूज़वीक को बताया, 'प्रशासन न्यायपालिका की पूरी तरह अनदेखी करते हुए कानून को अपने हाथ में ले रहा है.'
अब सवाल यह उठता है कि ट्रंप का 5 मिलियन डॉलर का 'गोल्ड कार्ड' ग्रीन कार्ड और एच-1बी वीजा विवाद के बीच भारतीयों के लिए राहत लेकर आ सकता है या नहीं. लाखों भारतीय रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा सूची में फंसे हुए हैं, जिनमें से कुछ 50 साल से ज्यादा से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में यह योजना उनके लिए अमेरिकी सपने को हकीकत बनाने की एक उम्मीद हो सकती है.
ट्रंप का 'गोल्ड कार्ड' वीजा क्या है और इसका भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
ट्रंप ने एक नया 'गोल्ड कार्ड' प्रस्तावित किया है, जो ईबी-5 निवेशक कार्यक्रम की जगह लेगा. यह 5 मिलियन डॉलर के शुल्क पर ग्रीन कार्ड के विशेषाधिकार और अमेरिकी नागरिकता का रास्ता प्रदान करेगा. मौजूदा ईबी-5 निवेशक वीजा के तहत किसी व्यक्ति को कम से कम 10 नौकरियां पैदा करने वाले व्यवसाय में $800,000 से $1.05 मिलियन तक का निवेश करना ज़रूरी होता है. लेकिन 'गोल्ड कार्ड' में ऐसी कोई शर्त नहीं होगी, जिससे यह अमेरिका में निवास पाने के लिए एक आसान विकल्प बन सकता है.
ट्रंप ने खुद ईबी-5 वीजा को खारिज करते हुए कहा कि यह बेवजह की बात, कल्पना और धोखाधड़ी से भरा हुआ है. जो भारतीय रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड पाने के लिए दशकों से इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए 'गोल्ड कार्ड' एक तेज़ और आसान विकल्प हो सकता है.
इस नए वीजा कार्यक्रम के तहत, अमीर भारतीय व्यापारी, स्टार्टअप संस्थापक और टेक इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारी पारंपरिक ग्रीन कार्ड की लंबी कतार से बचकर सीधे अमेरिका में निवास और नागरिकता हासिल कर सकेंगे. हालांकि दूसरी तरफ एच-1बी और ईबी-2/ईबी-3 वीजा पर काम करने वाले कुशल पेशेवर, जिनके पास 5 मिलियन डॉलर देने की क्षमता नहीं है, उन्हें ग्रीन कार्ड मिलने में और ज्यादा देरी का सामना करना पड़ सकता है.
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