Sri Lanka Presidential Election: रानिल विक्रमसिंघे होंगे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, 134 सांसदों ने पक्ष में किया वोट
रानिल विक्रमसिंघे अभी कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति होंगे.
Sri Lanka Presidential Election: रानिल विक्रमसिंघे अब श्रीलंका के नए राष्ट्रपति होंगे. पोस्टल बैलट से हुई वोटिंग में 134 सांसदों ने उनके पक्ष में वोट किया. अभी रानिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट मिले जबकि अनुरा कुमारा दिसानायके के पक्ष में सिर्फ 3 सांसदों ने वोट किया.
रानिल बोले- काफी संकट में देश
रायटर्स के मुताबिक, राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि देश काफी मुसीबत की स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि आगे और बड़ी चुनौती है. गौरतलब है कि श्रीलंका में अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के बाद लोग सड़कों पर उतर आए और राजनीतिक उथल पुथल तथा देश में फैले अराजकता के माहौल के बीच गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतदान के जरिए कराया गया.
Ranil Wickremesinghe elected as the new President of Sri Lanka: Reuters pic.twitter.com/WGjaLPY0zj
— ANI (@ANI) July 20, 2022
कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को मंगलवार को सांसदों ने राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों के रूप में प्रस्तावित किया था. किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए देश की 225 सदस्यीय संसद में 113 से अधिक मत हासिल करने की जरूरत थी.
1978 के बाद पहली बार गुप्त मतदान
एसएलपीपी के अध्यक्ष जी एल पीरिस ने मंगलवार को कहा था कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकतर सदस्य इससे अलग हुए गुट के नेता अल्हाप्पेरुमा को राष्ट्रपति पद के लिए और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने के पक्ष में हैं. रानिल विक्रमसिंघे का मुकाबला अल्हाप्पेरुमा और जेवीपी के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके से था. अल्हाप्पेरुमा सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी हैं और एसएलपीपी से अलग हुए धड़े के प्रमुख सदस्य हैं.
श्रीलंका में 1978 के बाद से पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा गुप्त मतदान किया गया. इससे पहले 1993 में कार्यकाल के बीच में ही राष्ट्रपति का पद तब खाली हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या कर दी गयी थी. उस वक्त डी बी विजेतुंगा को संसद ने सर्वसम्मति से प्रेमदासा का कार्यकाल पूरा करने का जिम्मा सौंपा था.