Maldives: मालदीव ने चीन-हिंद महासागर फोरम में शामिल होने से किया इनकार, चीन ने किया था ये दावा
Maldives News: चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (CIDCA) ने दावा किया था कि मालदीव ने 'चीन-हिंद महासागर फोरम ऑन डेवलपमेंट कोऑपरेशन' में भाग लिया था.
Maldives-China Relations: मालदीव के विदेश मंत्रालय ने "चीन-हिंद महासागर फोरम ऑन डेवलपमेंट कोऑपरेशन" में भाग लेने से इनकार किया है. चीन (China) की ओर से इस फोरम का आयोजन 21 नवंबर को किया गया था. मालदीव (Maldives) के विदेश मंत्रालय ने रविवार (27 नवंबर) को बयान जारी कर कहा कि मंत्रालय ये स्पष्ट करना चाहता है कि मालदीव सरकार ने इस फोरम में भाग नहीं लिया. साथ ही 15 नवंबर, 2022 को मालदीव में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास को अपने भाग नहीं लेने के फैसले से अवगत करा दिया था.
चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (CIDCA) ने 21 नवंबर 2022 को आयोजित "चीन-हिंद महासागर फोरम ऑन डेवलपमेंट कोऑपरेशन" में मालदीव की भागीदारी का आरोप लगाते हुए एक संयुक्त प्रेस बयान जारी किया था. इसके अलावा, विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव से किसी निजी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूहों की भागीदारी मालदीव सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधित्व का गठन नहीं करती है.
क्या कहा मालदीव के विदेश मंत्रालय ने?
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 115 (जे) के अनुसार, केवल सेवारत राष्ट्रपति ही देश की विदेश नीति का निर्धारण, संचालन और निरीक्षण कर सकते हैं. सेवारत राष्ट्रपति ही विदेशी राष्ट्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ राजनीतिक संबंधों का संचालन कर सकते हैं. मालदीव का प्रतिनिधित्व करने के लिए बैठकों, मंचों और सम्मेलनों की आधिकारिक मान्यता, अंतरराष्ट्रीय अभ्यास के अनुसार, केवल राजनयिक चैनलों के माध्यम से होगी. बयान में कहा गया है कि इस विशिष्ट बैठक के लिए मालदीव सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था.
चीन ने किया था ये दावा
चीन ने इस सप्ताह विकास सहयोग पर पहले उच्च स्तरीय चीन-हिंद महासागर क्षेत्र फोरम का आयोजन किया था. जिसमें चीन के अनुसार, भारत को छोड़कर इस क्षेत्र के 19 देश शामिल हुए थे. मंच की मेजबानी चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (CIDCA) की ओर से की गई थी. CIDCA की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, तंजानिया, मॉरीशस, जिबूती, सेशेल्स सहित 19 देशों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधि इस फोरम में मौजूद थे.
कई देश हैं चीन के कर्जदार
श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव चीन के सबसे बड़े कर्जदारों में से हैं. फोर्ब्स के मुताबिक, पाकिस्तान पर चीन का 77.3 अरब डॉलर का कर्ज बकाया है. द आइलैंड ऑनलाइन ने रिपोर्ट किया कि मालदीव का कर्ज उसकी सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) का 31 प्रतिशत है. 2020 के अंत तक मालदीव का कुल ऋण एमवीआर 86 बिलियन हो गया, जिसमें से एमवीआर 44 बिलियन बाहरी ऋण है.
वन बेल्ट एंड रोड योजना के तहत चीन ज्यादातर देशों में पहुंच रहा है. दुनिया के कम आय वाले देशों पर 2022 में चीन का 37 प्रतिशत कर्ज बकाया है. मालदीव के अखबार ने बताया कि वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मालदीव का कर्ज Q1 2022 के अंत तक बढ़कर MVR 99 बिलियन हो गया. यह सकल घरेलू उत्पाद का 113 प्रतिशत था. चीन को गरीब देशों को ऋण देने की अपनी प्रथाओं के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है. चीन इस आलोचना को खारिज करता है और इसे अपनी छवि खराब करने के लिए दुष्प्रचार कहता है.
भारत-मालदीव के संबंधों में हुआ सुधार
इस बीच, मालदीव वॉयस ने रिपोर्ट किया कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के भारत-मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों के बावजूद, दोनों देशों के बीच संबंध अभी भी फल-फूल रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हुआ है.
हाल ही में, अगस्त में भारत यात्रा पर मालदीव के राष्ट्रपति ने द्विपक्षीय साझेदारी को विशेष रूप से बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में अगले स्तर तक ले जाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए. कार्यभार संभालने के बाद सोलिह की ये तीसरी यात्रा थी.
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