Trump-Netanyahu Meeting: ट्रंप से मिलकर कुछ बड़ा प्लान करने वाले हैं नेतन्याहू! ईरान के लिए खतरे की घंटी, जानें कैसे?
इजरायली पीएम नेतन्याहू इस महीने डोनाल्ड ट्रंप से मिल सकते हैं. ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को लेकर इजरायल हमले की योजना बना रहा है.

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इसी महीने के आखिर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं. इस दौरान इजरायली पीएम ट्रंप के साथ मिलकर ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के खिलाफ बड़ा कदम उठा सकते हैं. आशंका है कि ईजरायल ईरान पर हमला कर सकता है. इजरायल का मानना है कि अगर ईरान को पर्याप्त समय मिल गया तो वह अपने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को फिर से मजबूत कर सकता है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
रॉयटर्स ने NBC की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि इजरायली अधिकारी खास तौर पर उन परमाणु संवर्धन स्थलों को लेकर चिंतित हैं, जिन पर इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से हमला किया था. इजरायल का मानना है कि ईरान इन ठिकानों को दोबारा सक्रिय करने की कोशिश कर रहा है. इसी वजह से इजरायल चाहता है कि अमेरिका के साथ रणनीतिक समन्वय बना रहे और किसी भी संभावित खतरे से पहले ही निपटा जाए.
जासूसी के आरोप में ईरान ने दी फांसी
इसी बीच, ईरान ने इजरायल के लिए जासूसी करने के दोषी एक व्यक्ति को फांसी दे दी है. सरकारी टीवी के अनुसार, फांसी दिए गए व्यक्ति की पहचान 27 वर्षीय अघिल केशवरज़ के रूप में हुई है, जिस पर मोसाद के लिए काम करने का आरोप था. ईरानी मीडिया का दावा है कि केशवरज़ ने सैन्य और सुरक्षा ठिकानों की तस्वीरें ली थीं, जिनमें एक सैन्य मुख्यालय भी शामिल था. उसे मई महीने में उर्मिया शहर में गिरफ्तार किया गया था. बताया गया कि वह वास्तुकला का छात्र था और उस पर 200 से ज्यादा जासूसी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी मौत की सजा
रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी के खिलाफ मुकदमा चला, ट्रायल कोर्ट ने उसे मृत्युदंड सुनाया और बाद में ईरान के सुप्रीम कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. इसके बाद शनिवार को उसे फांसी दे दी गई.
12 दिन के युद्ध के बाद बढ़ी सख्ती
जून में इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन तक चले हवाई युद्ध के बाद से ईरान ने जासूसी के आरोप में अब तक 11 लोगों को फांसी दी है. इस संघर्ष में ईरान में करीब 1,100 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें कई वरिष्ठ सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक शामिल थे. वहीं, ईरान की मिसाइल स्ट्राइक में इजरायल में 28 लोगों की जान गई थी.
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