F-35 Fighter Jet: गेम चेंजर या छलावा, अमेरिकी विमान को लेकर दुविधा में क्यों है भारत
F-35 Fighter Jet: PM मोदी के अमेरिका दौरे पर USA के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वो F-35 लड़ाकू विमान की डील का रास्ता भी बना रहे हैं.

F-35 Fighter Jet: PM मोदी के अमेरिका दौरे पर सबसे ज्यादा चर्चा F-35 फाइटर जेट को लेकर हुई थी. PM मोदी से मुलाकात के बाद USA के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि हम भारत के पास अपने हथियारों की बिक्री को बढ़ा रहे हैं और F-35 लड़ाकू विमान की डील का रास्ता भी बना रहे हैं.
F-35 USA का 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है. इसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है. इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था. आइये जानते हैं कि भारत ये विमान खरीदने से फायदा होगा या नुकसान.
जानें क्या है F-35 लड़ाकू विमान
F-35 लाइटनिंग II एक पांचवीं पीढ़ी का मल्टीरोल स्टेल्थ लड़ाकू विमान है, जिसे लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित किया गया है. यह विमान उन्नत एवियोनिक्स, स्टेल्थ क्षमताओं और नेटवर्क-केंद्रित संचालन के लिए जाना जाता है. फिलहाल ये संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों की वायु सेनाओं हिस्सा हैं.
F-35 में अत्याधुनिक एवियोनिक्स (जैसे कि रडार, सेंसर, और डाटा लिंक) हैं, जो इसे विमान के इंटीरियर्स से लेकर बाहर तक की जानकारी को रियल-टाइम में प्रोसेस करने की क्षमता प्रदान करते हैं. इसके AN/APG-81 AESA रडार और Distributed Aperture System (DAS) जैसी प्रणालियां, पायलट को 360 डिग्री की जांच करने में मदद करती हैं. F-35 की अधिकतम गति लगभग 1,200 मील प्रति घंटा होती है और यह 45,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ सकता है.
जानें भारत को इससे क्या मिलेगा लाभ
तकनीकी उन्नति: F-35 की स्टेल्थ और उन्नत सेंसर क्षमताएं भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता और ज्यादा बेहतर कर सकती है.
क्षेत्रीय संतुलन: चीन और पाकिस्तान इस समय के उन्नत विमान हैं. ऐसे में F-35 की तैनाती से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में भारत को बढ़त मिल सकती है.
जानें क्या है रक्षा विशेग्यों की राय
वायुसेना के सुखोई उड़ाने के लंबे अनुभव वाले पूर्व लड़ाकू पायलट एयर वाइस मार्शल प्रणय सिन्हा (सेवानिवृत्त) ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, "IAF के पास रणनीतिक इस्तेमाल के लिए स्टील्थ लड़ाकू विमान होने चाहिए. "वास्तव में इस क्षमता की आवश्यकता होगी यदि हम दुश्मन के इलाके में जाकर उन पर जोरदार हमला करना चाहते हैं और उनके एयर डी फेंस सिस्टम द्वारा पता लगाए बिना वापस आना चाहते हैं."
जानें क्या है भारत के सामने चुनौती
उच्च लागत
F-35 की खरीद और रखरखाव अत्यधिक महंगा है, जो भारतीय रक्षा बजट पर भारी बोझ डाल सकता है. अमेरिकी सरकार के कामों पर नजर रखने वाली संस्था गर्वनमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस (GAO) की रिपोर्ट के अनुसार, एक F-35 के रखरखाव पर हर साल 53 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. ऐसे में अगर भारत 1000 करोड़ रुपए में ये विमान खरीदता है, तो इसके 60 साल के सर्विस पीरियड में 3,180 करोड़ रुपए खर्च होंगे. ये विमान की कीमत से तीन गुना ज्यादा है. वहीं, इसकी हर घंटे की उड़ान पर 30 लाख रुपए खर्च होंगे.
रूस से खराब हो सकते हैं संबंध
भारत की रूस के साथ लंबे समय से रक्षा साझेदारी रही है और F-35 की खरीद से इस संबंध पर प्रभाव पड़ सकता है. 2018 में, भारत ने रूस की S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने का फैसला किया, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह स्टील्थ लड़ाकू विमानों सहित सभी प्रकार की हवाई वस्तुओं का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है. भारत ने अपनी पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर एस-400 के दो-तीन स्क्वाड्रन तैनात किए हैं.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कही थी ये बात
भारत महंगे F-35 खरीदने को लेकर सतर् है। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने वाशिंगटन में संवाददाताओं से कहा, ''एक प्रक्रिया है जिसके तहत प्लेटफॉर्म हासिल किए जाते हैं।'' उन्होंने कहा कि बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है। यदि भारत वास्तव में एफ-35 लेना चाहता है, तो उसे कई चीजों पर भी ध्यान देना होगा जैसे कि ऑफ-द-शेल्फ कीमत, दी जाने वाली प्रौद्योगिकियां, लाइफ टाइम लागत और रखरखाव.
Source: IOCL





















