चीन कब जाएंगे डोनाल्ड ट्रंप? शी जिनपिंग संग बातचीत में US राष्ट्रपति ने खुद बताया; बड़ी डील का भी कर दिया ऐलान
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने टिक टॉक डील को मंजूरी मिलने की पुष्टि की है. उन्होंने शी जिनपिंग संग फोन पर बातचीत में रिश्ते सुधार पर जोर है. अगले साल चीन दौरे और APEC शिखर सम्मेलन में मुलाकात तय हुआ है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (19 सितंबर) को कहा कि चीन के साथ टिक टॉक डील को मंजूरी मिल गई है. उन्होंने यह जानकारी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई फोन पर बातचीत के बाद दी. ट्रंप ने यह भी बताया कि वह अगले साल की शुरुआत में चीन का दौरा करेंगे और अक्टूबर के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन में शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे.
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “बातचीत बहुत अच्छी रही. हम फिर फोन पर बात करेंगे. टिक टॉक को मंजूरी मिलने पर आभार व्यक्त करता हूं और हम दोनों APEC सम्मेलन में मिलने के लिए उत्सुक हैं.” APEC यानी एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन प्रशांत क्षेत्र की 21 अर्थव्यवस्थाओं का संगठन है.
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दिया द्विपक्षीय संबंधों पर जोर
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों की अहमियत पर जोर दिया और अमेरिका से एकतरफा व्यापार प्रतिबंध लगाने से बचने की अपील की.
यह बातचीत उस दौर में हुई है जब ट्रंप के कार्यकाल के दौरान शुरू हुई टैरिफ वॉर (शुल्क युद्ध) ने दोनों देशों के रिश्तों को तनावपूर्ण बना दिया था. हालांकि इस बार दोनों नेताओं ने व्यापार पर भी चर्चा की और दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर चीन की पाबंदियों को लेकर बनी तनातनी को कम करने की कोशिश की. ये खनिज स्मार्टफोन से लेकर फाइटर जेट तक में इस्तेमाल होते हैं.
ट्रंप ने कही ये बड़ी बात
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने हालांकि यूरोपीय देशों से चीन पर ज्यादा शुल्क लगाने की मांग की थी ताकि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म हो, लेकिन उनका चीन के साथ रिश्ता बहुत अच्छा है. ट्रंप ने टिक टॉक को बेहद अहमियत बताते हुए दावा किया कि इसने उन्हें दोबारा चुनाव जीतने में मदद की. अमेरिका में ऐप को चालू रखने के लिए उन्होंने कई बार डेडलाइन बढ़ाई थी. दरअसल, पिछले साल अमेरिकी कानून के तहत टिक टॉक को चीनी पैरेंट कंपनी बाइटडांस से अलग करना अनिवार्य किया गया था ताकि डेटा प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उठी चिंताओं का समाधान हो सके.
चीनी अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्ष बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) जैसे एल्गोरिद्म के इस्तेमाल पर सहमत हो गए हैं और साथ ही अमेरिकी यूजर्स के डेटा और कंटेंट सुरक्षा की जिम्मेदारी एक पार्टनर को सौंपने पर भी सहमति बनी है.
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Source: IOCL























