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यूपी उपचुनाव: लखनऊ कैंट में बीजेपी को गढ़ बचाने की चुनौती, 21 अक्टूबर को होना है मतदान 

हमीरपुर उचचुनाव के बाद बीजेपी ने बाकी बची 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. इन सीटों पर 21 अक्टूबर को मतदान किया जाएगा. 24 अक्तूबर को चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. बीजेपी ने इस बार अपने तीन बार के विधायक सुरेश चन्द्र तिवारी को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं विपक्षी दलों ने इस बार नए चेहरों के जरिए सेंधमारी की कोशिश की है. समाजवादी पार्टी (सपा) ने यहां से मेजर आशीष चतुर्वेदी को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर सैनिक और ब्राह्मण की बहुलता को देखकर सपा सेंधमारी के प्रयास में है.

कांग्रेस के दिलप्रीत सिंह कैंट के वोटरों के लिए नया चेहरा हैं. वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी अरुण द्विवेदी पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ उत्तर सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन वह भी कैंट के लोगों के लिए नया चेहरा हैं. हालांकि सपा और बसपा यहां पर कभी चुनाव नहीं जीती हैं.

पिछले विधानसभा चुनाव में कैंट विधानसभा सीट से बीजेपीकी टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी ने जीत हासिल की थी. प्रयागराज से उनके सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है. बीजेपीने यहां से 1996 से 2007 तक लगातार जीत दर्ज कर चुके सुरेश तिवारी को प्रत्याशी बनाया है. तिवारी 2012 के चुनाव में कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी से चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2017 में रीता जोशी के बीजेपीमें आ जाने के कारण इस सीट पर सुरेश तिवारी का टिकट काट कर जोशी को दिया गया, जिन्होंने इस सीट पर मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव को हराया था.

जोशी ने इस क्षेत्र में कुछ काम करवाया है, जिसे लोग अभी याद करते हैं. लेकिन अभी बहुत सारे काम यहां बाकी हैं. सबसे ज्यादा समस्या जलभराव और अतिक्रमण की है, जिसे लेकर लोग काफी परेशान रहते हैं.

चित्रगुप्त वार्ड निवासी रामगोपाल मिश्रा कहते हैं, "चाहे विधायक जो भी विधायक बने, समस्या जस की तस है. हमारे वार्ड सुभाश नगर में बरसात के मौसम में घरों में पानी भरता है. यहां पर जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है. सुरेश तिवारी पहले भी बीजेपीविधायक रह चुके हैं. इन्होंने क्या किया है. इसी कारण तो चुनाव हार गए."

भोला खेड़ा के सुमित का कहना है, "रीता बहुगुणा जोशी ने थोड़ा काम करवाया है. लेकिन यह सुरेश तिवारी पहले भी कुछ नहीं करवाए, इस बार भी कुछ करवाने वाले नहीं हैं. प्रत्याशी सारे नए हैं, इसलिए हो सकता है चुनाव जीत जाएं. पर काम नहीं करेंगे."

कृष्णा नगर निवासी जगरूप ने कहा, "यहां पर जल भराव, सीवर और गंदगी की समस्या बहुत ज्यादा है. लेकिन कोई भी सुध लेने वाला नहीं. स्वच्छता अभियान के नाम पर सिर्फ ऊपर-ऊपर झाड़ू लगती है."

आलमबाग के गिरीश कहते हैं, "सपा, बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को यहां पर कोई नहीं जानता है. मोदी ने अच्छा काम किया है. इसीलिए दोबारा जीते हैं. यहां पर प्रत्याशी को नहीं सिर्फ मोदी के नाम पर वोट दिया जाता है."

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "सच बात तो यह है कि मेजर चतुर्वेदी को ज्यादातर लोग जानते नहीं हैं. इस बार पार्टी सारे गिले-शिकवे भूल कर अपर्णा यादव को मैदान में उतारती तो निश्चित तौर पर सीट मिलती."

बता दें कि वर्ष 2012 में कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी को 63052 तो सुरेश तिवारी को 41299 मत मिले थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपीकी रीता बहुगुणा जोशी को कुल 95402 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी की अपर्णा यादव को 61606 वोट मिले थे. इससे पहले 1991 और 1993 में सतीश भाटिया ने यहां बीजेपीका परचम लहराया था.

लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,85,341 मतदाता हैं. इनमें से 2,09,870 पुरुष और 1,75,447 महिलाएं शामिल हैं. यहां मतदान 21 अक्टूबर को होगा और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी.

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