प्रियंका गांधी वाराणसी से कर सकती हैं अपने चुनावी अभियान की शुरुआत
यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल नकवी कहते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से राहुल गांधी को मजबूती मिली है. दोनों मिलकर उत्तर प्रदेश पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकेंगे. उनका कहना है कि यूपी को लेकर कांग्रेस खासी गंभीर है इसीलिए जहां प्रियंका गांधी को पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

वाराणसी: एक तरफ देशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में औपचारिक रूप से आने से खुश हैं तो वहीं वाराणसी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अलग ही उत्साह है. वाराणसी कांग्रेस के नेताओं की मानें तो प्रियंका गांधी 2019 लोकसभ चुनावों के लिए अपने अभियान की शुरुआत वाराणसी से कर सकती हैं. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि ऐसा करके वे बीजेपी और मोदी को एक बड़ी चुनौती देंगी.
पूरी हुई प्रियंका को लाने की मांग
साल 2014 से ही प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाए जान की मांग करने वाले वाराणसी के यूथ कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव 'अन्नू' इस खबर से खासे उत्साहित हैं. अनिल श्रीवास्तव विधान सभा चुनावों में वाराणसी के चुनाव प्रभारी भी नियुक्त हुए थे. उनका कहना है कि देर से ही सही लेकिन पार्टी ने उनकी और और उनके जैसे कई कांग्रेसी नेताओं की मांग पूरी कर दी है. उनका मानना है कि नेतृत्व के इस फैसले से कांग्रेस में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है. अनिल श्रीवास्तव ने दावा किया कि प्रियंका गांधी अपने चुनाव अभियान की शुरुआत वाराणसी से ही करेंगी.
अनिल श्रीवास्तव कहते हैं कि अब तक जो राजनितिक दल कांग्रेस को कमतर कर आंकने लगे थे, यह उनके लिए बड़ा संदेश है. उनका इशारा सपा-बसपा गठबंधन की तरफ है, जिसमें कांग्रेस को शामिल होने के लिए बेहद कम सीटें ऑफर की गई हैं. वे प्रियंका गांधी के पूर्वांचल की कमान संभालने को लेकर भी बहुत खुश हैं. उनका मानना है कि प्रियंका गांधी के आने से महिलाओं और युवाओं का रुझान एक बार फिर कांग्रेस की तरफ बढ़ेगा और कांग्रेस न केवल पूर्वांचल बल्कि यूपी और देश में मजबूती से उभरेगी.
यूपी को लेकर कांग्रेस है गंभीर
यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल नकवी कहते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से राहुल गांधी को मजबूती मिली है. दोनों मिलकर उत्तर प्रदेश पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकेंगे. उनका कहना है कि यूपी को लेकर कांग्रेस खासी गंभीर है इसीलिए जहां प्रियंका गांधी को पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है. वे मानते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश बल्कि सेन्ट्रल और सीमावर्ती बिहार के इलाकों में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी.
हिलाल नकवी कहते हैं कि प्रियंका गांधी भले ही एक्टिव पॉलिटिक्स में न रही हों लेकिन वे अमेठी और रायबरेली पर पूरा ध्यान देती आई हैं. कांग्रेस के अंदर से लगातार मांग उठती रही है कि उन्हें एक्टिव रूप से राजनीति में लाया जाए. उनके मुताबिक़ प्रियंका गांधी जैसी पर्सनालिटी के औपचारिक रूप से राजनीति में आने से कांग्रेस को और मजबूती और फायदा मिलेगा. हिलाल नकवी के मुताबिक़ कांग्रेस नेतृत्व ने इस फैसले से साफ़ कर दिया है कि वे उत्तर प्रदेश, खासतौर से पूर्वी उत्तर प्रदेश को काफी गंभीरता से लेते हैं. उनका मानना है कि प्रियंका गांधी के कमान सम्भालने से न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी बल्कि सेन्ट्रल यूपी में भी अमेठी रायबरेली के चलते फायदा होगा. वे यह भी मानते हैं कि इसका फायदा पूर्वी उत्तर प्रदेश से सटी बिहार की सीटों पर भी मिलेगा.
एक-एक सीट है महत्वपूर्ण यूपी कांग्रेस कमेटी के सुरेन्द्र राजपूत कहते हैं पॉलिटिक्स में हर फैसले की टाइमिंग होती है, प्रियंका गांधी के आने से निश्चित तौर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है, जिसका प्रभाव निश्चित तौर पर चुनावों में देखने को मिलेगा. वे इसे खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जयादा ध्यान देने की बात पर कहते हैं कि जितना महत्वपूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश है उतना ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश. उनका मानना है कि कांग्रेस के लिए एक-एक सीट महत्वपूर्ण है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश पर है खास ध्यान
बता दें, बीते वर्ष मई में जब देवरिया के केशव चन्द्र यादव को युवक कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था. इसके बाद जौनपुर के नदीम जावेद की अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर कांग्रेस ने मुस्लिम युवाओं को अपने से जोड़ने की कोशिश की है. अब कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाए जाने के साथ ही उन्हें पूर्वांचल की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. पूर्वांचल की राजनीति न केवल यूपी पर बल्कि पड़ोसी प्रदेश बिहार के सीमांचल पर भी अपना प्रभाव छोड़ जाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने पूर्वी उत्तर प्रदेश को अपने कैम्पेन के केंद्र में रखा था. पूर्वी उत्तर प्रदेश से विधानसभा में 130 विधायक पहुंचते हैं तो वहीं इस इलाके से 26 लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में ओबीसी और एमबीसी की करीब 40 फीसदी आबादी है. निश्चित तौर पर कांग्रेस का फोकस इस वोटबैंक पर भी रहेगा. इस मुहिम में प्रियंका गांधी का करिश्माई व्यक्तित्व फायदा पार्टी को फायदा पहुंचा सकता है.
क्या रही है कांग्रेस की स्थिति
साल 2004 के लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल से बीजेपी और कांग्रेस के हिस्से में दो-दो सीटें आई थीं. इसके बाद हुए 2007 में हुए विधान सभा चुनावों कांग्रेस के खाते में सिर्फ़ दो सीटें आई थीं. साल 2009 में हुए लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल से कांग्रेस को छह सीटें मिलीं थीं. साल 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बावजूद वोटिंग प्रतिशत के हिसाब से कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन फिर भी उसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में कोई सीट हासिल नहीं हुई थी. कांग्रेस पूरे यूपी से अमेठी और रायबरेली के अलावा कोई लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















