जानिए कैसे कटा जूता कांड के हीरो का टिकट, और कैसे गोरखपुर पहुंच गए रवि किशन
बीजेपी को शरद त्रिपाठी का टिकट क्यों काटना पड़ा? रवि किशन को कैसे मिला टिकट? इस खबर में जानिए बीजेपी ने गोरखपुर मंडल के लिए क्या और कैसे रणनीति तैयार की.

लखनऊ: बीजेपी ने जूता कांड वाले सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट काट कर उनके पिता को दे दिया है. गोरखपुर में पार्टी ने भोजपुरी फ़िल्म स्टार रवि किशन पर दांव आज़माया है. निषाद पार्टी वाले एमपी प्रवीण को नए जगह से लड़ने को कहा गया है. लेकिन ये फ़ार्मूला बनाने में बीजेपी के बडे नेताओं को लखनऊ से दिल्ली तक कई राउंड की बैठक करनी पड़ी.
जूताकांड के इस वीडियो ने यूपी के पूर्वांचल में सामाजिक समीकरण बदल दिया. मामला ठाकुर बनाम ब्राह्मणों का हो गया. इस बिगड़े हुए फ़ार्मूले को दुरुस्त करने में ही बीजेपी को कई टिकट बदलने पड़े. संत कबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट कटना तय था. पार्टी ने अनुशासन के नाम पर ये फ़ैसला कर लिया था. लेकिन ब्राह्मणों को नाराज़ भी नहीं किया जा सकता था.
जूताकांड के बाद से ही पूर्वांचल में ब्राह्मणों और ठाकुरों में अंदर ही अंदर सुलग रही थी. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे जब पिछले हफ़्ते संतकबीरनगर गए थे, तो कार्यकर्ताओं में मार पीट हो गई थी. उसके बाद ही ये तय हो गया था कि किसी तीसरे को यहाँ से टिकट दिया जाए.
बीजेपी के ब्राह्मण सांसद शरद त्रिपाठी ने पार्टी के ही ठाकुर विधायक राकेश सिंह को जूतों से पीट दिया था. राकेश को योगी आदित्यनाथ का समर्थक माना जाता है. शरद के बदले समाजवादी पार्टी से आए प्रवीण निषाद को टिकट मिल गया. गोरखपुर के एमपी प्रवीण के पिता संजय निषाद ने निषाद पार्टी का गठबंधन बीजेपी से किया है.
ये डील योगी ने कराई थी. वे नहीं चाहते थे कि निषाद पार्टी को गोरखपुर से टिकट मिले. अब रवि किशन को यहाँ से चुनाव लड़ने को कहा गया है. भोजपुरी फ़िल्मों के स्टार को भी बीजेपी में योगी ही लेकर आए हैं. योगी के सीट ख़ाली करने पर हुए उप चुनाव में बीजेपी के उपेन्द्र शुक्ल हार गए थे.
योगी आदित्यनाथ किसी लोकल नेता को गोरखपुर से उम्मीदवार नहीं बनाना चाहते थे. उनकी पहली पसंद पिछड़ी जाति के नेता को लेकर थी. लेकिन पार्टी ब्राह्मणों को नाराज़ करने के मूड में नहीं थी. जाति बिरादरी के हिसाब किताब को तौलते हुए बीजेपी ने रवि किशन को टिकट दे दिया.
जौनपुर के रहने वाले रवि किशन अब पंडित रवि किशन शुक्ल हो गए हैं. उनका मुक़ाबला एसपी के राम भुआल निषाद से है. सीनियर लीडर कलराज मिश्र ने देवरिया से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. उनके बदले में टिकट पाने के लिए कई लोग दावेदार थे.
योगी सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही को भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तैयार रहने को कहा था. लेकिन काफ़ी सोच विचार के बाद टिकट रमापति राम त्रिपाठी को मिल गया. वे जूता कांड वाले एमपी शरद त्रिपाठी के पिता हैं. इस फ़ार्मूले से ब्राह्मण भी ख़ुश और ठाकुरों का भी सम्मान रह गया.
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