गोरखपुर पुलिस के हत्थे चढ़े दो हथियार तस्कर, ISI एजेंट परवेज टांडा से थे संबंध
गोरखपुर पुलिस ने दोनों के पास से 500 रुपए के 56 जाली नोट, एक पिस्टल, दो मोबाइल और दो तमंचे के साथ 27 जिंदा कारतूस बरामद किए हैं. जबकि उसका एक साथी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया.

नई दिल्ली: गोरखपुर पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए आईएसआई एजेंट और अंतरराष्ट्रीय माफिया परवेज टांडा से संबंध रखने वाले बड़े असलहा तस्कर को 500 रुपए के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उसके एक साथी को भी गिरफ्तार किया है. गोरखपुर पुलिस ने दोनों के पास से 500 रुपए के 56 जाली नोट, एक पिस्टल, दो मोबाइल और दो तमंचे के साथ 27 जिंदा कारतूस बरामद किया है. जबकि उसका एक साथी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया. खुफिया एजेंसियां दिल्ली, नेपाल और बिहार में इनके नेटवर्क को तलाश रही हैं.
सीओ कोतवाली तारकेश्वर पाण्डे ने गोरखपुर पुलिस लाइन में घटना का पर्दाफाश करते हुए बताया कि गोरखपुर के चिलुआताल थानाक्षेत्र निवासी त्रिभुवन सिंह उर्फ पिंटू बड़ा असलहा तस्कर है. जिसे गोरखपुर की राजघाट पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने राजघाट थानाक्षेत्र के हावर्ट बंधे के पास गिरफ्तार किया है. त्रिभुवन शार्प शूटर और पलक झपकते ही गोली चलाने में माहिर है. उन्होंने बताया कि त्रिभुवन के साथ असलहा तस्कटर दानिश उर्फ मोना भी मोटरसाइकिल से था. जो पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया. पुलिस ने उसके भाई यूनुस को भी गिरफ्तार करने में सफलता पाई है. तारकेश्वरर पाण्डेय ने बताया कि इस गैंग का नेटवर्क नेपाल के साथ दिल्ली और बिहार तक फैला हुआ है. पुलिस और खुफिया एजेंसियां भी इनके नेटवर्क को खंगाल रही है. गोरखपुर पुलिस की बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने बताया कि त्रिभुवन बड़ा असलहा तस्कर है और इसके साथ ही ये जाली नोटों के कारोबार में भी लिप्त रहा है. इसका नेपाल में 25 दिसंबर 2009 को मारे गए संदिग्ध आईएसआई एजेंट परवेज टांडा के साथ भी संबंध रहे हैं. इसके साथ ही स्टेट बैंक लूटने आए तिहाड़ जेल में बंद बलविंदर सिंह बल्ली और नेपाल के रहने वाले वसीम उर्फ खब्बू से भी इसके संबंध हैं.पुलिस ने काफी दिनों से त्रिभुवन की तलाश थी. वह काफी दिनों से पुलिस को चकमा देकर फरार चल रहा था. पुलिस इसके साथी दानिश की भी तलाश कर रही है. त्रिभुवन के खिलाफ लूट, डकैती, हत्या और तस्कलरी समेत अन्य मामले में कुल 23 मुकदमें दर्ज हैं. परवेज टांडा से संबंध रखने के कारण त्रिभुवन काफी दिनों से पुलिस की रडार पर चढ़ा हुआ था. कई बड़ी जांच एजेंसियों को भी इसकी तलाश थी. लेकिन ये पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था.
अपराध की दुनिया में इसका नाम इसलिए सुर्खियों में आया क्योंकि इसके संबंध संदिग्ध आईएसआई एजेंट परवेज टांडा के साथ भी जुड़ा रहा. परवेज टांडा की नेपाल के बुटवल में 25 दिसंबर 2009 को हत्या हो गई थी. परवेज भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहा है और वह नेपाल से अपना नेटवर्क चलाता रहा है. परवेज टांडा अंबेडकरनगर के टांडा का रहने वाला था. उसके खिलाफ हत्या और डकैती सहित अन्य मामलों में फैजाबाद, अंबेडकरनगर, देवरिया, बरेली और गोरखपुर में कुल 23 मुकदमें दर्ज रहे हैं. परवेज टांडा साल 1993 उस समय सुर्खियों में आया था, जब गोरखपुर के मेनका टॉकीज तिरंगा फिल्म के शो के दौरान ब्लास्ट में उसका नाम आया था. इस घटना में एक युवक की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे. लखनऊ में वर्ष 2008 में गिरफ्तार हुए पाकिस्तानी आतंकी जब्बार ने परवेज के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध होने की बात स्वीकार की थी. वह फर्जी पहचान के साथ नेपाल में शरण लिए हुआ था. परवेज के ऊपर उत्तीर प्रदेश पुलिस ने 50 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया था. लेकिन, पकड़े जाने के पहले ही उसकी नेपाल में हत्या हो गई. त्रिभुवन और यूनुस की गिरफ्तारी को गोरखपुर पुलिस बड़ी कामयाबी मान रही है. जाली नोटों की बरामदगी के कारण पुलिस और खुफिया एजेंसियां उसके गैंग के देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंधों को भी जांच कर रही है.टॉप हेडलाइंस
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