बस्ती: मेडिकल कॉलेज कर्मचारी भर्ती में धांधली, 178 पदों में से 127 के लिए नेताओं ने भेजी चिट्ठियां
उत्तर प्रदेश के महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज कर्मचारी भर्ती में धांधली का एक मामला सामने आया है. इस कॉलेज में 178 पदों के लिए भर्तियां होनी है, जिसके लिए नेताओं ने 127 नामों की सिफारिशी चिट्ठियां भेज दी हैं.
लखनऊ: बस्ती के महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में 178 पदों पर भर्ती होनी है. तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में भर्ती करके 1 सितंबर से इन कर्मचारियों को काम पर लगाने की कोशिश की जा रही थी. यह भर्ती प्रक्रिया सरकार ख़ुद सीधे तौर पर ना करके आउटसोर्सिंग के ज़रिए करवा रही है.
अभी प्रक्रिया चल ही रही है, इस बीच बस्ती के सांसद, विधायक और जिला अध्यक्ष अपने लेटर पैड पर अपने चहेतों का नाम लिख कर भेज रहे हैं, ताकि उनके लोगों की भर्ती की जाए. मेडिकल कॉलेज इसी साल शुरू हुआ है ऐसे में अपने चहेतों को नौकरी दिलाने के लिए सांसद ने 70 लोगों की शिफारिश की है, वहीं एक विधायक ने 28, दूसरे ने 9 और जिलाध्यक्ष ने 10 नामों की सिफारिशें की.
बस्ती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने का ज़िम्मा सरकार ने इंटेलिजेंस सिक्योरिटी ऑफ इंडिया नाम की आउटसोर्सिंग कंपनी को दिया है. कंपनी ने प्रति केंडीडेट नामांकन फॉर्म भरने के लिए 590 रुपये ऑनलाइन वसूल किए. बताया जा रहा है कि क़रीब 16 हज़ार लोगों ने नौकरी के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया है.
आउटसोर्सिंग कंपनी की सिर्फ रजिट्रेशन के ज़रिए की लगभग 92 लाख 40 हज़ार रुपये की कमाई हो गई. नियम के मुताबिक आउटसोर्सिंग कंपनी का काम सिर्फ कुल आवेदनों को इकट्ठा करके अनुभव और योग्यता के आधार पर प्रति एक पद के लिए 4 अभ्यर्थी चुनकर विभाग को देना है.
178 में से 127 पदों के लिए पहुंच गई चिट्ठियां
इस बीच जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक आउटसोर्सिंग कंपनी नियुक्ति के लिए इंटरव्यू लेने का काम भी कर रही थी. अब कंपनी को ये अधिकार किसने दिया यह जांच का विषय होना चाहिए. इसी बीच भर्ती के लिए बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी ने 70 लोग, हर्रैया के विधायक अजय सिंह ने 28 लोग, बीजेपी जिलाध्यक्ष पवन कसौधन ने 10 लोग और सदर विधायक दयाराम चौधरी ने नौ नामों की सूची प्रिंसिपल को सौंप दी. अब प्रिंसिपल के पास 178 पदों में से 127 पदों के लिए चिट्ठियां पहुंच गईं.
इसी बीच यह चिट्ठी मीडिया के हाथ लगते ही यह वायरल हो गईं. कहा यह भी जा रहा है कि जिन लोगों के नामों की सूची बीजेपी नेताओं ने प्रिंसिपल को दी है, उनमें अधिकतर लोगों का ऑनलाइन पंजीकरण ही नहीं है. इसी बीच विधान परिषद सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह के प्रतिनिधि हरीश सिंह ने आउटसोर्सिंग करने वाली कंपनी पर पैसे लेकर नियुक्ति करने की शिकायत प्रमुख सचिव चिकित्सा और अन्य अधिकारियों से की है.
किसी का फोन स्विच ऑफ तो कोई मीटिंग में व्यस्त, नहीं मिला कोई जवाब
इस खबर के सामने आने के बाद बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी ने बताया कि वो दिल्ली में हैं और व्यस्तता की वजह से फ़िलहाल दिल्ली में भी बाईट नहीं दे सकते, इसके साथ ही उन्होंने चिट्ठीयों को लेकर कहा कि लेटर पैड पर उनका साइन नहीं है और उन्होंने ऐसा कोई लेटर सिफारिश के लिए लिखा ही नहीं है. सांसद ने कहा कि जब वो बस्ती लौटेंगे तो अपने लेटर पैड के दुरुपयोग की शिकायत दर्ज कराएंगे.
सदर विधायक दयाराम चौधरी ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं हरैया से विधायक अजय सिंह का फोन लगातार स्विच ऑफ आया है. ज़िलाध्यक्ष पवन कसौधन ने इसे लकेर कहा कि वो बस्ती से बाहर कहीं मीटिंग में हैं इसलिए बात नहीं कर सकते हैं.
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने झाड़ा पल्ला
इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल नवनीत कुमार का कहना है कि धन की वसूली और चयन के मामले में मेडिकल कॉलेज के किसी भी कर्मचारी की कोई भी भूमिका नहीं हैं. उन्होंने बताया कि सारे अधिकार मानव संसाधन की आपूर्ति करने वाली एजेंसी को डीजी कार्यालय की ओर से दिए गए हैं.
इस मामले में बस्ती मंडल के मंडलायुक्त अनिल सागर ने कहा कि मेडिकल कॉलेज की नियुक्ति में धांधली की शिकायत आयी है. प्रशासन इसकी जांच कराएगा. उन्होंने कहा कि किसी तरह का दबाव नियुक्ति में काम नहीं आएगा, सभी नियुक्तियां पारदर्शी तरीक़े से कराई जाएंगी.
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