129 बच्चों की जान लेने वाला चमकी बुखार कैसे होता है और इसके लक्षण क्या हैं, जानिए यहां
बिहार में चमकी बुखार (एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) ने भयानक रूप ले लिया है और इससे अभी तक 129 बच्चों की मौत हो चुकी है. यहां जानते हैं क्या है ये बीमारी, इसके लक्षण क्या हैं और ये कैसे होता है.

नई दिल्ली: बिहार में चमकी बुखार (एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) से अबतक 129 बच्चों की मौत हो गई है. इसमें सिर्फ मुजफ्फरपुर में 108 बच्चों की मौत हुई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य राज्य मंत्री और आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर के अस्पताल का दौरा कर चुके हैं. यहां जानते हैं चमकी बुखार (एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) कैसे होता है. इसके लक्षण क्या हैं और कौन से राज्य इस समस्या से पीड़ित हैं. इस बीमारी की बड़ी वजहों में तेज गर्मी, कुपोषण और जागरूकता की कमी है. इस बीमारी की इलाज के लिए लोगों को उचित संसाधन भी जिले के अस्पतालों में नहीं मिल रहा है. इससे भी समस्या गंभीर होती जा रही है.
साल 1995 में आया था पहला मामला सामने
बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार (एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) का मामला दो दशक पहले पहली बार 1995 में प्रकाश में आया था. इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर बच्चों और कम आयु के युवाओं पर होता है.
क्या होता है एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार)
एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) शरीर के नर्वस सिस्टम पर सीधा असर करता है. तेज बुखार के साथ इसकी शुरुआत होती है. इसके बाद यह बुखार शरीर के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम पर असर करता है जिससे शरीर में छटपटाहट और मानसिक असंतुलन तक की स्थिति बन जाती है. यह बीमारी अमूमन मानसून के समय (जून से अक्टूबर) के महीने में ही होती है. हालांकि, अप्रैल और जून के महीने में भी इसे देखा गया है.
ये हैं कारण
एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) तेज गर्मी और कुपोषण की समस्या वाले बच्चों में तेजी से फैलता है. इस बीमारी के बारे में लोगों को यहां जागरूकता भी कम है. हालांकि, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) को लेकर मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के जिलों में जागरूकता अभियान चलाया गया था. हालांकि, यहां के लोगों ने इस तरह के किसी भी जागरूकता अभियान से इनकार किया है. जानकारों के कारण अत्यधिक गर्मी में अगर बच्चों को फुल बाजू के कपड़े, धूप में निकलने से मना किया जाएगा तो इससे इसके होने की संभावना कम हो जाती है. जिले के प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में संसाधनों की घोर कमी है. जिला अस्पतालों में भी जितने मरीज पहुंच रहे हैं उस अनुसार डॉक्टर और संसाधन नहीं हैं. इस कारण भी समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है.
कैसे होता है एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार)
एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) वायरस, बैक्टेरिया, फंगी जैसी चीजों से हो सकता है. देश में एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम सबसे ज्यादा जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस से होता है. हालांकि, एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) डेंगू, निपाह वायरस, जीका वायरस, स्क्रब टाइफस जैसे वायरसों से भी होता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक केस
नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के मुताबिक साल 2018 में पूरे देश में एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) के 10,485 मामले सामने आए हैं. इसमें से 632 मामलों में पीड़ित की मौत हो गई. ये मौतें देश के 17 राज्यों में हुई हैं.
एक्युट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) में मृत्यु का चांस छह फीसदी रहता है जोकि बच्चों के केस में बढ़कर 25 फीसदी हो जाता है. इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, झारखंड, मणिपुर, मेघालय, तमिलनाडु, कर्नाटक और त्रिपुरा में रहता है.
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