ऑपरेशन खुकरी: सिएरा लियोन में बंधकों को छुड़ाने की कहानी

संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियान पर सिएरा लियोन गए दो सौ से ज़्यादा भारतीय सैनिकों को विद्रोहियों द्वारा बंधक बनाए जाने के बाद अपने सैनिकों को छुड़ाने के लिए भारत से 10,000 किलोमीटर दूर, पश्चिमी अफ्रीका के भाप छोड़ते ट्रॉपिकल जंगल में ऑपरेशन खुकरी की शुरुआत हुई.
ऑपरेशन खुकरी: सिएरा लियोन में बंधकों को छुड़ाने की कहानी
सुशांत सिंह

पश्चिम अफ्रीका के सिएरा लियोन के कैलाहुन क्षेत्र में 15 जुलाई 2000 को सुबह 6.15 बजे. देश के पूर्वी छोर पर स्थित इस उष्णकटिबंधीय जंगल से घिरे इस दूरदराज़ के पिछड़े इलाके में भारतीय सुरक्षा बल के छह कमांडो द्वारा एक सैन्य छावनी की दीवार तोड़ने के लिए विस्फोट करते ही हुआ ज़ोरदार धमाका तड़के की खामोशी को चीर देता है. इस विस्फोट से दीवार में बने रास्ते से अशोक लेलैंड के सैनिक ट्रकों और महिंद्रा जीपों का काफिला बाहर निकलता है. सफेद रंग की इन सैन्य गाड़ियों के दोनों ओर नीले रंग में ‘यूएन’ लिखा हुआ है.
सेना के इस काफिले में शामिल भारतीय सेना की गोरखा बटालियन के दो सौ से अधिक जवान थे जो कैलाहुन स्थित इस सैन्य छावनी से बच निकलने का प्रयास कर रहे थे. रिवोल्यूशनरी यूनाइटेड फ्रन्ट (आरयूएफ) के विद्रोहियों ने, जिन्होंने करीब एक दशक से सिएरा लियोन में गृह युद्ध छेड़ रखा था, पचहत्तर दिन से इस छावनी की घेरेबंदी कर रखी थी. इससे पहले उस दिन सवेरे गोरखा जवानों को वहां से सकुशल निकालने के लिए भारतीय सेना के कमांडो ब्रिटिश चिनुक हेलीकॉप्टरों की मदद से वहां पहुंचे थे.
इन ट्रकों और जीपों के काफिले को गोरखा जवान ही चला रहे थे जो अपने खराब ड्राइविंग कौशल के लिए भारतीय सेना में बदनाम हैं. परंतु हताशा के क्षणों में हताशा भरे उपायों की ही ज़रूरत होती है. इन पैरा कमांडो के नेतृत्व में गाड़ियों का काफिला छावनी से बाहर निकलते ही, रातभर हुई मूसलाधार बारिश के कारण कीचड़ से सने दलदली रास्ते में फंस गया. ड्राइवरों ने एक्सिलरेटर पर दबाव बढ़ाकर चार गुणा चार गियर ड्राइव मोड में वाहनों को डाला, इसके बावजूद उन्हें इस कीचड़ भरे रास्ते से गाड़ियों को निकालने के लिए संघर्ष करना पड़ा. ऐसी स्थिति में जवानों के पास इस दलदल वाले इलाके में वाहनों से नीचे उतर कर ट्रकों को धक्का लगाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था. इस बीच, विद्रोहियों की मज़बूत हो रही स्थिति का शोर वे सुन सकते थे.
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना अभियान के हिस्से के रूप में एक दर्जन से अधिक देशों के जवानों के साथ भारतीय सेना के जवान 1999 से सिएरा लियोन में तैनात थे. 1991 से ही गृह युद्ध से जूझ रहे सिएरा लियोन में शांति सेना की कमान भारतीय सेना के मेजर जनरल वीके जेटली को सौंपी गई थी. परंतु यहां पर तैनाती के कुछ समय बाद ही 223 गोरखा जवानों और विभिन्न राष्ट्रों के 11 सैन्य पर्यवेक्षकों को विद्रोहियों ने शांतिसेना की कैलाहुन छावनी में ही बंधक बना लिया था.
इनकी रिहाई के राजनयिक स्तर पर बातचीत के प्रयास विफल होने के बाद मेजर जनरल जेटली ने सैन्य कार्रवाई का विकल्प चुना. जिन हेलीकॉप्टरों से बचाव अभियान के लिए पैरा कमांडो वहां उतरे थे उनका इस्तेमाल सैन्य पर्यवेक्षकों और कुछ बीमार गोरखा जवानों को बाहर निकालने के लिए किया गया जबकि शेष भारतीय जवानों को अपनी सैन्य छावनी में मौजूद ट्रकों और जीप से ही बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना था.
सवेरे 7.50 बजे तक बचकर निकले काफिले का संपर्क कैलाहुन नगर में स्थित पैरा कमांडो के एक अन्य दल से हो गया था. उस दल का नेतृत्व मेजर अजय मुखर्जी कर रहे थे. अब सकुशल निकाला गया यह दल दो पैरा कमांडो दलों के बीच में था. इस दल ने अब सुरक्षित स्थान पर वापस लौटने की अपनी यात्रा शुरू कर दी थी. मुखर्जी इस टुकड़ी के आखिर में चल रहे थे और काफिले के अतिसंवेदनशील बिंदुओं की रक्षा कर रहे थे.
परंतु वहां से निकलने की गति बहुत धीमी थी, क्योंकि काफिले में शामिल वाहन बार-बार दलदली ज़मीन में फंस जाते थे. विद्रोही, टोयोटा ट्रकों में जो दुनियाभर के विद्रोहियों का सबसे प्रिय वाहन लगता है, बच निकलने वाले गोरखा सैनिकों का पीछा कर रहे थे और शीघ्र ही वे इस टुकड़ी तक पहुंच गए और उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी.
विद्रोहियों द्वारा कंधे पर रख कर दागे जाने वाले रॉकेट से दागा गया गोला एक पेड़ से टकराया जिसके टुकड़ों ने दो पैरा कमांडो को ज़ख्मी कर दिया था. मुखर्जी ने उसी दिन सवेरे रास्ते में बिछाए गए विस्फोटक और उन्नत किए गए विस्फोटक उपकरणों को दागने का आदेश अपने जवानों को दिया ताकि विद्रोहियों को पास पहुंचने से रोका जा सके. इसके साथ ही पैरा कमांडो दल ने मीडियम मशीन गन और रॉकेट लांचरों से विद्रोहियों पर ज़ोरदार गोलाबारी शुरू कर दी.
पूरा अध्याय पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
(सुशांत सिंह की किताब का अंश प्रकाशक जगरनॉट बुक्स की अनुमति से प्रकाशित)
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























