जब प्रणव मुखर्जी ने पूछा ‘क्या धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक सीमित है’

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के एक बयान से बड़ा सियासी बवाल खड़ा हो सकता है. मुखर्जी ने अपनी नई किताब में लिखा है कि 2004 में कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए थे. उन्होंने लिखा है कि वो इस गिरफ्तारी से बेहद नाराज थे जिसे उन्होंने सरकार के सामने ज़ाहिर भी किया था.
ये खुलासा प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब ' द कोलिशन इयर्स 1996 - 2012 ' के एक अध्याय में किया है. प्रणब ने इस घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि वो पुलिस के इस कार्रवाई से बेहद ग़ुस्से में थे और इस मामले को कैबिनेट की बैठक में भी उठाया था.

प्रणब मुखर्जी ने लिखा है, ''एक कैबिनेट बैठक के दौरान मैं इस गिरफ्तारी के समय को लेकर काफी नाराज़ था. मैंने सवाल पूछा कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना केवल हिन्दू संतों महात्माओं तक ही सीमित है? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने का साहस दिखा सकती है?''
जानकारी के लिए बता दें कि कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को 2004 के नवंबर महीने में दीवाली के आस पास एक हत्या के आरोप में आंध्र प्रदेश से गिरफ़्तार किया गया था.

दरअसल कांग्रेस पार्टी पर यूपीए सरकार के दौरान मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे थे. खासकर बीजेपी ने तो इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया था. ऐसे में प्रणब मुखर्जी का ये बयान बीजेपी को एक मुद्दा थमा सकता है .
आपको बता दें कि 2004 मई में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन की सरकार बनी थी. प्रणब मुखर्जी मई 2004 से अक्टूबर 2006 तक में रक्षा मंत्री रहे थे.
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