एक्सप्लोरर

धारा 124ए: कभी गांधी और तिलक पर अंग्रेजों ने किया था मुकदमा, जानिए- राजद्रोह कानून का इतिहास

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए का इस्तेमाल अंग्रेज सरकार गांधी और तिलक जैसों की आवाज को दबाने के लिए करती थी. आज इस कानून को क्यों रखा जा रहा है. 

सुप्रीम कोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए का मामला फिर से आ जाने और उसपर कोर्ट की टिप्पणी से एक बार फिर इस पेचिदे मामले पर बहस शरू हो गई है. हाल के दिनों में इस कानून के तहत कई एक्टिविस्टों और पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है. कई लोगों का मानना है कि औपनिवेशिक काल के इस कानून से सरकार अपने खिलाफ बोलने वालों की आवाज बंद करने के लिए इस्तेमाल करती है.

इस कानून के तहत बिना वारंट पुलिस गिरफ्तार कर सकती है और इसमें अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. हालांकि आजादी के बाद इस कानून में संशोधन तो किया गया लेकिन इसे और ज्यादा सख्त औऱ पेचीदा बना दिया गया.

हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट की कम से कम तीन बेंच इस कानून की वैधता पर सुनवाई कर रही है. इसी कानून के तहत गांधी और तिलक को जेल की सजा दी गई थी. स्वतंत्रता के बाद इस कानून में संशोधन, इसकी जटिलता और सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी व्याख्या को यहां बारीकी से दी जा रही है.

रोजक है राजद्रोह कानून का इतिहास 
भारतीय राजद्रोह कानून की कहानी बड़ा रोचक है. यह कानून 1860 में आया लेकिन इसके लिए कोई धारा निश्चित नहीं की गई. 1870 में इसे लाया गया और कहा गया कि गलती से मूल आईपीसी के ड्राफ्ट में इसे हटा दिया गया था. सेक्शन 124 ए के तहत राजद्रोह को संज्ञेय अपराध माना गया और इसके तहत बिना वारंट गिरफ्तार करने का अधिकार पुलिस को मिला.

ब्रिटिश काल में स्वतंत्रता की मांग करने वाले को इस कानून से दबाया गया. बाल गंगाधर तिलक पहले व्यक्ति थे जिन्हें इस कानून के तहत छह साल की सजा हुई. ब्रिटेन में इस कानून की बहुत आलोचना हुई थी.

ब्रिटेन में भाषण और अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने में इसके प्रभाव को दर्ज किया गया और फिर भारत पर लागू किया गया. हालांकि, भारी विरोध के कारण 1977 में ब्रिटेन के विधि आयोग द्वारा अधिनियम को समाप्त करने का सुझाव देते हुए एक कार्य पत्र प्रकाशित किया गया था.

क्या है राजद्रोह कानून
भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है. इसके अलावा अगर कोई शख्स देश विरोधी संगठन के खिलाफ अनजाने में भी संबंध रखता है या किसी भी प्रकार से सहयोग करता है तो वह भी राजद्रोह के दायरे में आता है.

धारा 124 ए में जोड़े गए प्रावधानों के स्पष्टीकरण में कहा गया कि सरकार के खिलाफ विद्रोह को बगावत और दुश्मनी की भावना मानी जाएगी. हालांकि बिना गृणा और द्वेष को उत्तेजित करने के प्रयास के बिना अगर टिप्पणी की जाती है तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा.  

ब्रिटिश राज में गांधी और तिलक पर इस कानून का इस्तेमाल 
ब्रिटिश राज में इस कानून का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर आजादी की मांग और राष्ट्रवादियों की आवाज को दबाने के लिए किया गया. बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, भगत सिंह और यहां तक कि जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ भी इस कानून का इस्तेमाल किया गया. बाल गंगाधर तिलक पहले व्यक्ति थे जिसे इस कानून के तहत सजा मिली. तिलक को इसलिए सजा हुई क्योंकि उनपर आरोप था कि उन्होंने अपनी पत्रिका केसरी में प्लेग महामारी के दौरान सरकार के प्रयास को असफल करने के उद्येश्य से एक लेख लिखा. 1897 में बंबई हाईकोर्ट ने तिलक सेक्शन 124 ए के तहत 18 महीने की सजा दी. तिलक को नौ जूरी सदस्यों ने सजा सुनाई, इनमें जूरी के छह सदस्य अंग्रेज थे. जूरी के तीन भारतीय सदस्यों ने तिलक के पक्ष में फैसला सुनाया. 

तिलक के बाद अंग्रेज फेडरल कोर्ट में राजद्रोह कानून की अलग-अलग व्याख्या की गई. निहारेंदु दत्ता मजूमदार बनाम सम्राट 1942 के केस में फेडरल कोर्ट ने कहा, सार्वजनिक अवमानना या किसी व्यक्ति द्वारा अवमानना संबंधी तार्किक पूर्वानूमान को अपराध का प्रमुख सार माना जाएगा. यानी यह कानून और ज्यादा सख्त हो गया. हालांकि 1947 में प्रिवी काउंसिल ने एक अन्य मामले में इस व्याख्या को निरस्त कर दिया. 

इस कानून के तहत वर्ष 1922 में महात्मा गांधी पर भी यंग इंडिया में उनके लेखों के कारण राजद्रोह का मुकदमा दायर किया गया था. राजद्रोह का मुकदमा दायर होने के बाद उन्होंने कहा था, मैं जानता हूँ इस कानून के तहत अब तक कई महान लोगों पर मुकदमा चलाया गया है और इसलिए मैं इसे स्वयं के लिए इसे सम्मान के रूप में देखता हूं.

स्वतंत्रता के बाद राजद्रोह कानून का इस्तेमाल  
स्वतंत्रता के बाद संविधान में राजद्रोह कानून को लाया ही नहीं गया. संविधान सभा के प्रारूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए राजद्रोह को जोड़ा गया था. 1948 में  संविधान सभा में के एम मुंशी ने इस कानून से राजद्रोह शब्द को हटाने का प्रस्ताव दिया था. जब 26 नवंबर 1949 को संविधान लागू हुआ तो इस संविधान में अनुच्छेद 19 (1) में बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को सार्वभौम अधिकार माना गया था. हालांकि भारतीय दंड संहिता में सेक्शन 124 ए बदस्तूर जारी रहा. 

1951 में जवाहर लाल नेहरू ने अनुच्छेद 19 (1) के तहत मिली आजादी को सीमित करने के लिए पहला संशोधन लाया और 19 (2) के तहत राज्य को यह अधिकार दिया कि बोलने की आजादी पर तर्कपूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है. इंदिरा गांधी की सरकार ने पहली बार सेक्शन 124 ए को संज्ञेय अपराध बना दिया.

आजादी के बाद कोर्ट में पहली बार यह मामला 1951 में आया. पंजाब हाई कोर्ट ने तारा सिंह गोपीचंद  बनाम राज्य सरकार मामले में निर्णय दिया कि सेक्शन 124 ए के तहत बोलने की आजादी असीमित नहीं है.  1954 में पटना हाईकोर्ट ने भी इस निर्णय को बरकरार रखा और कहा यह धारा संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन नहीं करती. 

केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य
1962 में देश में राजद्रोह के कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी गई और मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने देश और देश की सरकार के मध्य के अंतर को भी स्पष्ट किया. बिहार में फॉरवर्ड कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य केदार नाथ सिंह पर तत्कालीन सत्ताधारी सरकार की निंदा करने और क्रांति का आह्वान करने हेतु भाषण देने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में अदालत ने स्पष्ट कहा था कि किसी भी परिस्थिति में सरकार की आलोचना करना राजद्रोह के तहत नहीं गिना जाएगा.

असीम त्रिवेदी बनाम महाराष्ट्र राज्य
विवादास्पद राजनीतिक कार्टूनिस्ट और कार्यकर्त्ता असीम त्रिवेदी वर्ष 2010 में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनके कई सहयोगियों का मानना था कि असीम त्रिवेदी पर राजद्रोह का आरोप भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान के कारण ही लगाया गया है.

विनोद दुआ समेत कई पर लग चुका है राजद्रोह कानून
क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि, डॉ. कफील खान से लेकर शफूरा जरगर तक ऐसे कई लोग हैं जिन्हें राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है. हाल में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ पर दर्ज राजद्रोह के मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. तब उसने यह भी कहा था कि नागरिकों को प्राधिकारियों की ओर से उठाए गए कदमों या उपायोग की आलोचना का अधिकार मिला हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, आजादी के 75 साल बाद भी कानून क्यों जरूरी 
भारतीय दंड संहिता 124 ए की वैधता पर बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि यह महात्मा गांधी, तिलक को चुप कराने के लिए अंग्रेजों की ओर से इस्तेमाल किया गया एक औपनिवेशिक कानून है. फिर भी, आजादी के 75 साल बाद भी क्याअ यह जरूरी है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘यह ऐसा है जैसे आप बढ़ई को आरी देते हैं, वह पूरे जंगल को काट देगा. यह इस कानून का प्रभाव है.’ उन्होंने बताया कि एक गांव में भी पुलिस अधिकारी राजद्रोह कानून लागू कर सकते हैं और इन सभी मुद्दों की जांच की जानी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘मेरी चिंता कानून के दुरुपयोग को लेकर है. क्रियान्वयन एजेंसियों की कोई जवाबदेही नहीं है. मैं इस पर गौर करूंगा. सरकार पहले ही कई बासी कानूनों को निकाल चुकी है, मुझे नहीं पता कि वह इस कानून को क्यों नहीं देख रही है.’अदालत की टिप्पनणी के बाद सोशल मीडिया पर राजद्रोह कानून ट्रेंड होने लगा.

ये भी पढ़ें-

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच एक्शन में मोदी, आज महाराष्ट्र-केरल समेत छह राज्यों के सीएम के साथ करेंगे बैठक

श्रीनगर: सौरा इलाके सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, दो आतंकियों को ढेर किया

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

पुतिन के भारत दौरे से अमेरिका में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में ले लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
पुतिन के भारत दौरे से US में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को झटका, अग्रिम जमानत की याचिका खारिज, क्या है मामला?
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को झटका, अग्रिम जमानत की याचिका खारिज, क्या है मामला?
सरकार ने बनाई जांच कमेटी, DGCA ने नए नियमों में दी छूट... इंडिगो संकट से निपटने के लिए अबतक क्या-क्या हुआ एक्शन?
सरकार ने बनाई कमेटी, DGCA ने दी छूट... इंडिगो संकट से निपटने के लिए अबतक क्या-क्या एक्शन?
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...

वीडियोज

Indigo Flight: आसमान में 'आपातकाल', यात्री बेहाल...सुलगते सवाल | Janhit | Chitra Tripathi | Delhi
Sandeep Chaudhary: IndiGo को लेकर बढ़ी हलचल....पूरा देश परेशान!| Seedha Sawal | Indigo News
Indigo Flight News Today: कैंसिल उड़ान...पब्लिक परेशान! | ABP Report | ABP News
Indigo Flight Ticket Cancellation: इंडिगो की गलती.. भुगत रहे यात्री! | Mahadangal With Chitra
Khabar Gawah Hai: रुकी इंडिगो की उड़ान, यात्री परेशान! | IndiGo Flights Cancellations | DGCA

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पुतिन के भारत दौरे से अमेरिका में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में ले लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
पुतिन के भारत दौरे से US में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को झटका, अग्रिम जमानत की याचिका खारिज, क्या है मामला?
लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को झटका, अग्रिम जमानत की याचिका खारिज, क्या है मामला?
सरकार ने बनाई जांच कमेटी, DGCA ने नए नियमों में दी छूट... इंडिगो संकट से निपटने के लिए अबतक क्या-क्या हुआ एक्शन?
सरकार ने बनाई कमेटी, DGCA ने दी छूट... इंडिगो संकट से निपटने के लिए अबतक क्या-क्या एक्शन?
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...
गौतम गंभीर पर भड़के रविचंद्रन अश्विन, ये ऑलराउंडर है वजह; कहा- वो खुद की पहचान...
न्यू डैड विक्की कौशल ने खरीदी करोड़ों की लग्जरी कार, कीमत जान रह जाएंगे हक्के-बक्के
न्यू डैड विक्की कौशल ने खरीदी करोड़ों की लग्जरी कार, कीमत जान रह जाएंगे हक्के-बक्के
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
कहीं आपका गैस सिलेंडर एक्सपायर तो नहीं हो गया, घर पर ही ऐसे कर सकते हैं चेक
कहीं आपका गैस सिलेंडर एक्सपायर तो नहीं हो गया, घर पर ही ऐसे कर सकते हैं चेक
CBSE में 124 नॉन-टीचिंग पदों पर भर्ती, जानें किस उम्र सीमा तक के उम्मीदवार कर सकते हैं अप्लाई?
CBSE में 124 नॉन-टीचिंग पदों पर भर्ती, जानें किस उम्र सीमा तक के उम्मीदवार कर सकते हैं अप्लाई?
Embed widget