उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले- ज्यूडिशियल सिस्टम में रिफॉर्म की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्पेशल ज्यूडिशियल ट्रिब्यूनल गठित करने की जरूरत है. उन्होंने राजनीतिक दलों को भी सलाह दी कि संसद में आप आलोचक बनिए लेकिन उसकी मर्यादा को बनाए रखें.

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बहुत से ऐसे मामले हैं जिनमें तुरंत न्याय की जरूरत होती है. लेकिन हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था ऐसी है जिसकी वजह से मामले सालों साल तक चलते रहते हैं और बाद में उन मामलों की प्रसांगिकता ही खत्म हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट एक स्पेशल ट्रिब्यूनल का गठन करें. जिसमें तुरंत सुने जाने वाले मामलों को सुना जाए और समयबद्ध तरीके से उन पर निर्णय हो. यही नहीं उन्होंने राजनीतिक दलों को भी सलाह दी कि संसद में आप आलोचक बनिए लेकिन उसकी मर्यादा को बनाए रखें. यह बात कहते हुए उन्होंने एक मामले का उदाहरण भी दिया.
दरअसल, वेंकैया नायडू पूर्व सीएजी विनोद राय की पुस्तक 'रीथिंकिंग गुड गवर्नेंस' का विमोचन करने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम पहुंचे थे. उन्होंने पुस्तक का विमोचन किया. विमोचन के उपरांत पुस्तक पर बोलते हुए वेंकैया नायडू ने कहा इस किताब में मौजूदा समाज के लिए काम कर रही सरकारी संस्थाओं के बारे में और उनकी वर्किंग कल्चर के बारे में बहुत अच्छे से लिखा गया है. उन्होंने इसी चर्चा के दौरान न्यायिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए. उपराष्ट्रपति ने कहा मुझे कहने में कतई संकोच नहीं है कि न्यायिक व्यवस्था में रिफॉर्म की जरूरत है. एक ऐसा सिस्टम बनाने की जरूरत है ताकि लोगों को समयबद्ध तरीके से न्याय मिले.
उपराष्ट्रपति ने उदाहरण देते हुए कहा कि मैं नाम नहीं लूंगा लेकिन एक व्यक्ति 2009 के लोकसभा चुनाव में पहले हार रहे थे, फिर अचानक वो जीत गए. बाद में यह पूरा मामला कोर्ट पहुंचा. 2009 का चुनाव था. लेकिन 2014 बीत गया, 2019 का लोकसभा चुनाव भी हो गया. लेकिन अब तक उस मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है. कोई बड़ी बात नहीं कि 2024 का लोकसभा चुनाव भी समाप्त हो जाए और उस मामले की सुनवाई लंबित ही रहे. अब आप ही बताइए 2009 लोकसभा चुनाव का मामला 2019 में भी समाप्त नहीं हो पाया. ऐसे में उस केस की प्रसंगिकता ही खत्म हो चुकी है. इससे साफ है की न्यायिक व्यवस्था में रिफॉर्म की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्पेशल ज्यूडिशियल ट्रिब्यूनल गठित करने की जरूरत है. जो गंभीर मसलों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सुनवाई करें और एक निश्चित समय में गंभीर मसलों पर निर्णय हो ताकि लोगों को समय रहते न्याय मिल सके. इसी तरह उन्होंने संसद के अंदर की भी व्यवस्था पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि राजनैतिक दलों को गंभीर चिंतन करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, सभी पॉलीटिकल पार्टीज को पार्टी के गठन के समय ही एक प्रस्ताव पास करने की जरूरत है कि संसद के समय को व्यर्थ ना किया जाए. जो भी सदस्य जीत कर आएं संसद के अंदर ज्यादा से ज्यादा समय चर्चा करें और इस देश के लोगों के विश्वास को कायम रखे क्योंकि संसद दूसरों के लिए रोल मॉडल है. हम इस दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हैं और यहां बहुत सारी संभावनाएं हैं इसलिए सभी को गुड गवर्नेंस के लिए सोचने की जरूरत है. संसद के अंदर की व्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद में आप आलोचक बने लेकिन वहां की मर्यादा को बनाए रखें.
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