जातीय भेदभाव में छात्रों की आत्महत्या से जुड़े मामले पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- यूजीसी बना रहा है 'समान अवसर केंद्र'
3 जनवरी को कोर्ट ने यूजीसी को आदेश दिया था कि वह जातीय, धार्मिक या दूसरे आधारों पर होने वाले भेदभाव की रोकथाम के लिए व्यवस्था बनाए.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में जातीय या दूसरे आधार पर भेदभाव को दूर करने के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 'समान अवसर केंद्र' को लेकर ड्राफ्ट गाइडलाइंस बनाईं हैं. इसे लेकर लोगों के सुझाव आमंत्रित किए गए हैं.
ध्यान रहे कि कथित तौर पर जातीय भेदभाव के चलते दबाव में आकर आत्महत्या करने वाले 2 छात्रों रोहित वेमुला और पायल तडवी की मांओं ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसे सुनते हुए 3 जनवरी को कोर्ट ने यूजीसी को आदेश दिया था कि वह जातीय, धार्मिक या दूसरे आधारों पर होने वाले भेदभाव की रोकथाम के लिए व्यवस्था बनाए.
यूजीसी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार, 28 फरवरी को कोर्ट को नई ड्राफ्ट गाइडलाइंस की जानकारी दी. याचिकाकर्ताओं के लिए पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि जातीय भेदभाव के चलते आत्महत्या का सिलसिला जारी है.
आईआईटी और आईआईएम जैसी संस्थाओं में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं. इस पर मामले को सुन रही जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, 'जब संस्था का गठन हो जाएगा, तब हम उसकी कुछ जिम्मेदारियां तय करेंगे.'
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Source: IOCL
























