Harsha Richhariya: 'साध्वियां फेस पैक नहीं लगातीं, वो तो...', जिसकी वजह से रोते हुए हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ छोड़ा, उस संत ने अब क्या कहा
Harsha Richhariya: हर्षा रिछारिया के महाकुंभ छोड़ने और बाद में वीडियो जारी करने पर स्वामी आनंद स्वरूप जी ने कहा है कि वह फॉलोअर्स बढ़ाने आई थी, जिसमें सफल भी हुई.

Harsha Richhariya: हर्षा रिछारिया महाकुंभ से तो चली गईं लेकिन उनकी चर्चा अभी भी जारी है. उनके महाकुंभ से अचानक रवाना होने का कारण स्वामी आनंद स्वरूप जी की वह लताड़ थी, जो उन्होंने हर्षा को साध्वी का नकली भेष धारण करने, नकली जटा और त्रिपुंड लगाने पर लगाई थी.
स्वामी आनंद स्वरूप जी की इस फटकार के बाद ही महाकुंभ में हर्षा रिछारिया का विरोध होने लगा और उन्हें मेला क्षेत्र छोड़ना पड़ा. उन्होंने बाद में रोते हुए अपनी एक वीडियो भी डाला था, जिसमें वह कह रही हैं कि वह साध्वी नहीं है लेकिन वह धर्म को समझना चाहती थीं, इसलिए महाकुंभ में गई थी. उन्होंने वीडियो में यह भी कहा कि जिन लोगों के कारण उन्हें महाकुंभ छोड़ना पड़ा, उन लोगों को पाप लगेगा.
मेरा डर ऐसे फर्जी लोगों में होना ही चाहिए
हर्षा के इस वीडियो पर जब फिर से स्वामी आनंद स्वरूप जी से बात की गई तो उन्होंने विस्तार से इस मामले पर अपना पक्ष रखा. लाइव हिंदुस्तान के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'हां तो ठीक है ऐसे लोगों को कुंभ छोड़ना ही चाहिए. मेरा डर ऐसे फर्जी लोगों में होना ही चाहिए. खौफ होगा तो ऐसे फर्जी लोग कुंभ में नहीं आएंगे. मैं कोई भी चूक नहीं देखना चाहता. यह जो घटना हुई हर्षा रिछारिया वाली. उनकी वहज से सनातन की मर्यादा का अपमान हुआ. इसलिए मैंने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, यह महापाप है. मैंने उन्हें केवल यह कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए, यह सुनकर अगर वह खुद महाकुंभ से भाग गईं.'
'धर्म समझने आई थी तो छद्म भेष क्यूं बनाया'
स्वामी आनंद स्वरूप जी ने कहा, 'दिक्कत यह है कि छद्म भेष बनाकर वह आईं, उन्होंने नकली जटा लगाई, नकली त्रिपुंड लगाया और मीडिया में बोला कि मैं 2 साल से इसमें हूं और वापस जाने का सवाल ही नहीं. दूसरे दिन ही उनकी मां का बयान आया कि उसकी शादी तय हो गई है. मुझे लगता है कि इस पूरे मामले की पहले स्क्रिप्ट लिखी गई थी ताकि उनके फॉलोअर्स बढ़े.'
स्वामी जी ने कहा, 'उनका खुद का मीडिया एडवाइजर लिख रहा है कि विश्व की सबसे सुंदर साध्वी. यह कलंक लगाने और डूब मरने वाली बात है कि किसी साध्वी के लिए सबसे सुंदर शब्द का प्रयोग किया जा रहा है. सुंदरता का पैमाना उनके लिए चेहरा और लिपिस्टिक थी, जबकि हमारे लिए सुंदरता का पैमाना हृदय होता है. हमारे इसमें साध्वी फेस पैक नहीं भस्म लगाती है. हमने इसीलिए कहा कि तुमने महापाप किया है. उसे यहां से भागना नहीं चाहिए था, उसे यहीं रहकर प्रायश्चित करना चाहिए था. उसे गुरुओं से माफी मांगनी चाहिए थी.'
'वह फॉलोअर्स बढ़ाने आई थी'
उन्होंने कहा, 'यहां कई साध्वियां हैं, जो प्रवचन कर रही हैं. बहुत सी हमारी बहनें जो इस पथ पर आगे बढ़ना चाहती हैं, वे सभी कुंभ में हैं और चीजें सीख रही हैं लेकिन वह लड़की तो केवल स्वांग रचने, रील बनाने और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए ढोंग कर रही थी. आम कपड़े पहनकर आती तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन उसको तो नाटक करना था. उसको अपने फॉलोअर्स 3 लाख से 3 मिलियन करने थे जो हो गए हैं. हमारी पीड़ा बस इसी को लेकर है.'
आनंद स्वरूप जी ने यह भी का कि अग्नि वस्त्र ऐसे ही धारण नहीं किया जाता, ब्रह्मचर्य करना पड़ता है, तपस्या करनी पड़ती है. जो काम 10-12 सालों का है, वो काम आपने दो मिनट में कर लिया. आप ब्यूटी पॉर्लर गए, नकली बाल लगवाए, त्रिपूंड लगवाया और प्रस्तुत हो गए यहां आकर के. यह हमारे सनातन धर्म का अपमान था.
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Source: IOCL





















