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LIC-SBI की जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, कहा- 'क्या यह कॉलेज की कोई बहस है?'
LIC, SBI जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाया. कोर्ट ने कहा कि हमारे जांच निर्देश से वित्तीय बाजार में अस्थिरता पैदा हो सकती है. क्या इसका एहसास है?
![LIC-SBI की जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, कहा- 'क्या यह कॉलेज की कोई बहस है?' Supreme Court takes stern view on congress leader plea seeking probe into LIC and SBI over hindenburg Report LIC-SBI की जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख, कहा- 'क्या यह कॉलेज की कोई बहस है?'](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/10/16/8e260cecce14fac6eb38de68ec8718db1697437001367320_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Supreme Court stern view on Jaya Thakur Plea: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (24 नवंबर) को जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की जांच की मांग करने वाली याचिका पर सख्त रुख अपनाया.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "आप अदालत से - बिना किसी सबूत के - एसबीआई और एलआईसी की जांच का निर्देश देने के लिए कह रहे हैं. क्या आपको इस तरह के निर्देश के प्रभाव का एहसास है? क्या यह कॉलेज की कोई बहस है?" पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.
अदालत ने पूछा, "क्या आपको एहसास है कि एसबीआई और एलआईसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के जांच निर्देश का हमारे वित्तीय बाजार की स्थिरता पर असर पड़ेगा?"
इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष कोई सामग्री पेश नहीं की है और न ही उनकी ओर से पेश वकील ने 'कोई तर्क' दिया है.
'वकील को दलीलों के बारे में जिम्मेदार होना जरूरी'
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील को चेतावनी देते हुए कहा, "वकील के रूप में जब आप दलीलें देते हैं, तो आपको अपनी दलीलों के बारे में जिम्मेदार होना चाहिए."
हिंडनबर्ग रिपोर्ट की पृष्ठभूमि के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में अडानी समूह की कंपनियों के एफपीओ में कथित तौर पर 'सार्वजनिक धन की भारी मात्रा' निवेश करने के लिए एलआईसी और एसबीआई की भूमिका की जांच करने का भी अनुरोध किया गया है.
कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने दायर की थी याचिका
कांग्रेस नेता जया ठाकुर की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है, "जांच एजेंसियों को प्रतिवादी नंबर 11 (एलआईसी) और 12 (एसबीआई) की अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ में 3,200 रुपये प्रति शेयर की दर से सार्वजनिक धन के भारी निवेश की भूमिका की जांच करने का निर्देश देना चाहिए जबकि द्वितीयक बाजार में अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों की द्वितीयक बाजार में कीमत लगभग 1,800 रुपये प्रति शेयर थी.''
कोर्ट ने सेबी को दिए थे 2 माह में हेरफेर आरोपों की जांच के आदेश
शीर्ष अदालत ने पहले सेबी को 2 महीने के भीतर अडानी समूह की ओर से स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था और मौजूदा वित्तीय नियामक तंत्र की समीक्षा करने और उन्हें मजबूत करने के उद्देश्य से एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था.
अडानी ग्रुप्स पर लगा था शेयर की कीमतों में हेरफेर का आरोप
विवादास्पद हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ आरोप लगाया गया कि अडानी समूह की कंपनियों ने अपने शेयर की कीमतों में हेरफेर किया है. सेबी की ओर से बनाए गए नियमों के उल्लंघन में संबंधित पक्षों के साथ लेनदेन और अन्य प्रासंगिक जानकारी का खुलासा करने में विफल रहा और प्रतिभूति कानूनों के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन किया.
'अडानी कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट को कैसे 'विश्वसनीय' माने कोर्ट'
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण से पूछा कि शीर्ष अदालत अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को कैसे 'विश्वसनीय' मान सकती है.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत को 'हमारी जांच एजेंसियों' पर भरोसा करना होगा क्योंकि भूषण ने सेबी की तरफ से की गई जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं.
'एसआईटी या विशेषज्ञों के समूह के गठन का आग्रह'
भूषण ने कोर्ट से अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए किसी अन्य एसआईटी या विशेषज्ञों के समूह के गठन का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सेबी की ओर से तैयार जांच रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया गया है.
'सेबी ने मामले की जांच पूरी की- सीजेआई'
इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "मिस्टर भूषण, उन्होंने (सेबी) जांच पूरी कर ली है. वे कह रहे हैं कि अब यह उनकी न्यायिक शक्ति में है. क्या सेबी को कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले जांच का खुलासा करना चाहिए?" उन्होंने कहा कि जांच के तहत संस्थाओं को सुनवाई का अवसर दिए बिना सेबी अपराध का आरोप नहीं लगा सकती.
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