'दूसरी पार्टी के समर्थकों को डराना लोकतंत्र पर हमला': सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की टीएमसी कार्यकर्ताओं की जमानत
टीएमसी के पांच कार्यकर्ताओं पर आरोप है कि उन्होंने एक भीड़ के साथ आकर पीड़ित परिवार की दुकान पर बम फेंका और तोड़-फोड़ की.

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी समर्थक एक परिवार पर हमला करने के आरोपी तृणमूल कांग्रेस के 5 कार्यकर्ताओं की जमानत रद्द कर दी है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले के तथ्यों को देखने के बाद कहा कि यह लोग जमानत पर बाहर रहने के लायक नहीं हैं. इनका कृत्य लोकतंत्र पर हमले जैसा है.
जिन 5 लोगों की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की है, उनके नाम हैं- शेख जमीर, शेख नुराई, शेख अशरफ, जयंत डोम और शेख कबीरुल. पांचों पर आरोप है कि उन्होंने एक भीड़ के साथ आकर पीड़ित परिवार की दुकान पर बम फेंका और तोड़-फोड़ की. उन्होंने डंडों, चाकुओं और लोहे के सरियों से पीड़ितों की पिटाई की. उनकी दुकान और घर में लूटपाट की. यहां तक की शिकायतकर्ता की पत्नी को निर्वस्त्र कर अपमानित किया.
घटना बीरभूम जिले के गुमसिमा गांव की है. शिकायत के मुताबिक इस गांव में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. हमलावर इस बात पर नाराज थे कि यह हिंदू परिवार बीजेपी समर्थक है. परिवार के मुखिया ने चुनाव में बीजेपी का सक्रिय प्रचार भी किया था. उन्होंने उसे परिणाम भोगने की धमकी दी थी. 2 मई 2021 यानी चुनाव परिणाम वाले दिन इन लोगों ने उनकी दुकान और मकान पर हमला कर दिया. यह लोग तभी वापस गए जब निर्वस्त्र कर दी गई महिला ने खुद पर केरोसिन तेल छिड़क लिया और आग लगा लेने की धमकी दी.
3 मई को यह लोग सदईपुर थाने में गए. थाना अधिकारी ने एफआईआर लिखने की बजाय उन्हें अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने की सलाह दी. बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा के सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई ने इस मामले पर भी केस दर्ज किया. नवंबर 2022 में आरोपी गिरफ्तार हुए, लेकिन जनवरी और अप्रैल 2023 में सभी को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन लोगों का बाहर रहना निचली अदालत में लंबित मुकदमे को प्रभावित कर सकता है. कोर्ट ने सभी की जमानत रद्द कर दी है.
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