President Election: क्या राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत तय है? जानें NDA-UPA में किसका पलड़ा कितना भारी
President Election: राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है.
President Election: राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एनडीए की तरफ से उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. पार्टी ने सबको चौंकाते हुए ओड़िशा (Odisha) की आदिवासी महिला नेत्री और झारखण्ड (Jharkhand) की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) पर दांव खेला है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने पार्टी मुख्यालय में हुए मंथन के बाद उनके नाम का खुलासा किया.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक द्रौपदी मुर्मू 25 को अपना नामांकन दाखिल कर सकती हैं. इसके लिए बीजेपी ने 24 और 25 को अपने सभी वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को दिल्ली में रहने के निर्देश दिए हैं. फिलहाल द्रौपदी मुर्मू छह साल एक महीने तक झारखंड के राज्यपाल पद पर अपनी सेवा दे चुकी हैं.
वहीं, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी ने उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) के नाम का एलान किया. सिन्हा दो बार केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके है. पहली बार वह 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में और फिर अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार में वित्त मंत्री थे. वह वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री भी रहे हैं.
वहीं अब ये समझना जरूरी हो जाता है कि किसका पलड़ा भारी है?
इस वक्त संख्या के अनुसार, एनडीए के पास कुल मिलाकर लगभग 5.26 लाख वोट हैं जो कुल वोट का लगभग 49 प्रतिशत है. इसका मतलब है कि एनडीए को अपने उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के लिए एक प्रतिशत अधिक वोट चाहिए. ऐसा करने के लिए, एनडीए को इन पार्टियों में से एक की जरूरत है. वहीं, इलेक्टोरल कॉलेज में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद के पास 31,000 से अधिक वोट हैं जबकि वाईएसआर कांग्रेस के पास 45,550 वोट हैं.
विपक्ष का स्मार्ट मूव
वहीं, सिन्हा को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करने का विपक्ष का ने स्मार्ट विकल्प चुना है क्योंकि कई लोग अभी भी सिन्हा को कांग्रेस के उम्मीदवार के बजाय पूर्व बीजेपी और पूर्व टीएमसी नेता के रूप में देखते हैं. कांग्रेस के पास कुल वोटों का लगभग 10 प्रतिशत है और ग्रैंड ओल्ड पार्टी सहित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के पास 25 प्रतिशत से अधिक वोट हैं. यहां तक कि अगर हम तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सहित अन्य विपक्षी दलों को जोड़ दें - जिन्होंने यशवंत सिन्हा का समर्थन किया है - तो इससे परिणाम बदलने की उम्मीद नहीं है.
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