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यहां पढ़ें: कोविंद की जीत का फॉर्मूला, मोदी के मास्टर स्ट्रोक से टूट गया विपक्ष का 'घर'!
नई दिल्ली: अगले महीने होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए ने 72 साल के रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. राम नाथ कोविंद अभी बिहार के राज्यपाल हैं. कोविंद के नाम की घोषणा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने की. बीजेपी और एनडीए को उम्मीद है कि अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़े होने के कारण कोविंद के नाम पर वो कांग्रेस सहित विपक्ष की सहमति भी हासिल करने में सफल रहेंगे.
अमित शाह का एलान, बिहार के गवर्नर राम नाथ कोविंद होंगे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार
शिवसेना
केंद्र और महाराष्ट्र में सराकर की सहयोगी शिवसेना ने एनडीए उम्मीदवार राम नाथ कोविंद के समर्थन से इनकार कर दिया है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ''अगर कोई सिर्फ वोटबैंक के लिए दलित को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना रहा है तो हम उनके साथ नहीं हैं. मोहन भागवत हमारी पहली पसंद हैं अगर किसी को उनसे आपत्ति है तो हमने एमएस स्वामिनाथन का नाम भी सुझाया है.''
जेडीयू
नीतीश कुमार ने कहा कि मेरे लिए यह व्यक्तिगत खुशी का विषय है. जहां तक समर्थन की बात हम अभी कुछ नहीं कह सकते हैं. कोविंद की तारीफ करते हुए बिहार के राज्यपाल के रूप में उन्होंने शानदार काम किया है, बिना भेदभाव किये राज्य सरकार के साथ शानदार संबंध स्थापित किये हैं.
जानिए, राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने के 6 कारण
कांग्रेस
गुरुवार को कांग्रेस ने विपक्षी दलों के साथ बैठक बुलाई है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे शीर्ष नेताओं को निर्णय लेने के बाद टेलीफोन करके बताया गया है, आम सहमति की कोई बात नहीं हैं. राष्ट्रपति के लिए राम नाथ कोविंद का नाम आगे करने के बाद बीजेपी ने विपक्ष से समर्थन की अपील की है. राष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष से मीरा कुमार की उम्मीदवारी 'मजबूत', कांग्रेस ने कहा- NDA का एकतरफा फैसला
समाजवादी पार्टी
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी राम नाथ कोविंद की तारीफ करते हुए यूपी के राजनीति दलों से समर्थन मांगा है. अखिलेश यादव ने कोविंद के नाम पर कहा कि अभी अभी मुझे जानकारी मिली है. अपनी पार्टी में और विपक्ष के दूसरे नेताओं से बात करने के बाद ही इस मुद्दे पर कुछ बोलूंगा. उम्मीद की जा रही है कि कोविंद कानपुर के रहने वाले हैं तो समाजवादी पार्टी पर इन्हें समर्थन देने का एक नैतिक दबाव रहेगा.
बीएसपी
मायावती ने कहा कि कोविंद के प्रति हम सकारात्मक है. इसके साथ ही मायावती ने कहा कि कोविंद से बड़ा चेहरा उतारने पर विपक्ष को समर्थन मायावती देंगी. अर्थात यदि विपक्ष किसी बड़े दलित चेहरे को उतारती है तो मायावती का समर्थन विपक्ष को जा सकता है.
टीएमसी
ममता बनर्जी ने कहा कि कोविंद बीजेपी के दलित मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं इसलिए एनडीए ने उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है. 22 जून विपक्ष की मीटिंग होगी उसके बाद ही हम अपना निर्णय बताएंगे.
सीताराम येचुरी का बयान
सीताराम येचुरी ने कहा कि राम नाथ कोविंद आरएसएस के दलित शाखा के प्रमुख थे. यह सीधा राजनीतिक टकराव है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आज कहा कि विपक्ष को रामनाथ कोविंद के खिलाफ अपना उम्मीदवार जरूर खड़ा करना चाहिए. कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सुरावरम सुधाकर रेड्डी ने बताया, ”कोविंद भी संघ से हैं. वह बीजेपी के दलित मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं जो कि संघ परिवार का संगठन है. निश्चित रूप से हम उम्मीदवार खड़ा करेंगे . संघ से चाहे कोई भी हो ….हम मुकाबला करेंगे.”
कोविंद कैसे जीतेंगे?
रामनाथ कोविंद इस वक्त बिहार के राज्यपाल हैं और राष्ट्रपति की रेस में इनके नाम के एलान के बाद अब इनका राष्ट्रपति बनना भी लगभग तय लग रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि वोटों का गणित इनका पक्ष में जा रहा है.
- एनडीए के पास - इनका वोट मूल्य 5 लाख 32 हजार वोट हैं
- राष्ट्रपति बनाने के लिए 17 हजार 422 वोट और चाहिए
- समर्थन का एलान कर चुकी वाईएसआर कांग्रेस के पास 17 हजार 666 वोट हैं
- टीआरएस के पास 22 हजार 48 वोट हैं
टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस के वोट को जोड़ दें तो एनडीए उम्मीदवार के पास वोट का आंकड़ा 5 लाख 67 हजार से ज्यादा हो जाता है जो कि जीत के लिए काफी है. लेकिन रामनाथ कोविंद का नाम आने के बाद वोटों का आंकड़ा यही तक सीमित नहीं रहने वाला. मोदी ने जिस प्लानिंग के साथ इनका नाम आगे किया है उसमें बिहार और यूपी की क्षेत्रीय पार्टियों को यूपीए के साथ खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया है.
- नीतीश के पास 20 हजार 935 वोट हैं
- अखिलेश के पास 26 हजार 60 वोट हैं
- मायावती के पास 8 हजार 200 वोट हैं
- इन तीनों पार्टियों का जोड़ 55 हजार 195 होता है . कोविंद का नाम सामने के बाद अखिलेश यादव ने कहा है कि पार्टी में और विपक्ष के दूसरे नेताओं से बात करने के बाद इस मुद्दे पर अपनी राय रखूंगा. नीतीश कुमार भी उम्मीदवार के नाम का ही इंतजार कर रहे थे.
कोविंद के नाम पर नीतीश को इसलिए साथ आना पड़ेगा क्योंकि वो बिहार के राज्यपाल हैं. अखिलेश को इसलिए साथ देना पड़ेगा क्योंकि कोविंद यूपी के हैं. मायावती इसलिए साथ आ सकती हैं क्योंकि कोविंद दलित समुदाय से आते हैं यानी मोदी ने एक मास्टर स्ट्रोक से यूपीए की रणनीति को हवा में उड़ा दिया है. जानिए, NDA के राष्ट्रपति उम्मीदवार राम नाथ कोविंद से जुड़ी 10 बड़ी बातें
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रंगनाथ सिंहवरिष्ठ पत्रकार
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