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मंत्रिमंडल विस्तार: जातीय समीकरण साधकर 2019 के लिए एनडीए ने किया अपना किला मजबूत!
जातीय समीकरण की बात की जाए तो बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी का गठजोड़ बेहद ताकतवर बन रहा है. बीजेपी पर सवर्णों को भरोसा है, तो जेडीयू पर ईबीसी, कुर्मी और महादलित का भरोसा बरकरार है. रामविलास पासवान के जरिए दलित भी इस गठबंधन में जुड़ रहे हैं.

नई दिल्ली: बीजेपी के साथ गठबंधन करने के साथ ही नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए कैंप में शामिल हो गये. परसों नीतीश कुमार सीएम पद की और बीजेपी से सुशील मोदी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. आज नीतीश सरकार ने 27 मंत्रियों के साथ अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. यहां पढ़ें पूरी खबर- कौन बना मंत्री, नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार. नीतीश कुमार के नए मंत्रीमंडल में सवर्ण जाति से 9 मंत्री, ईबीसी कोटे से 6, दलित कोटे से 5, मुस्लिम 1, यादव कोटे से 3, कुर्मी जाति से 1 और कोइरी जाति से भी 2 मंत्री बने. इसमें जेडीयू के 14, बीजेपी के 12 और एलजेपी के एक मंत्री ने शपथ लिया. नीतीश मंत्री मंडल में एक मात्र महिला चेहरा मंजू वर्मा हैं. अब इस मंत्रिमंडल पर जरा ध्यान दीजिए तो स्पष्ट दिख जाएगा कि इंजीनियर की पढाई करने वाले नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में सोशल इंजीनियरिंग को बेहतर तरीके से साधने का काम किया है. बिहार के सियासी उठापटक से जातिगत सामाजिक व्यवस्था में हलचल मचना स्वभाविक है. इस नए मंत्रिमंडल में बीजेपी का असर साफ दिख रहा है. इसकी वजह है. इस गठबंधन से सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को मिलने जा रहा है. दरअसल इस पूरे मामले में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी को बड़ा फायदा मिलेगा. बीजेपी 2015 में मिले अपने कोर वोट बैंक सवर्णों को इस मंत्रिमंडल में सत्ता की हिस्सेदारी बांटकर अपने किले को और मजबूत कर लिया है. जातीय समीकरण की बात की जाए तो बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी का गठजोड़ बेहद ताकतवर बन रहा है. बीजेपी पर सवर्णों को भरोसा है, तो जेडीयू पर ईबीसी, कुर्मी और महादलित का भरोसा बरकरार है. रामविलास पासवान के जरिए दलित भी इस गठबंधन में जुड़ रहे हैं. बीजेपी ने सवर्णों के साथ अब अपने कोर वोट बैंक में ईबीसी को शामिल कर लिया है. यह आपने यूपी विधानसभा चुनाव में स्पष्ट देखा. इन्हीं ईबीसी और सवर्णों के समीकरण को साधने के लिए नीतीश मंत्रिमंडल में इनकी भारी हिस्सेदारी हुई है. बिहार में महादलित का चेहरा बन चुके जीतन राम मांझी की पार्टी और आरएलएसपी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुई है. मांझी को कैसे बीजेपी और नीतीश संतुष्ट करेंगे यह भविष्य के गर्भ में छिपा है. हालांकि नीतीश कुमार पर बिहार में महिलाएं और महादलितों ने भरोसा जताया था. कुल मिलाकर 2019 के लिए बिहार में यह गठबंधन अपना किला मजबूत कर लिया. य़ह भी पढ़ें पाकिस्तान में नवाज शरीफ, भारत में लालू यादव…दोनों के भ्रष्टाचार की कहानी एक सी है! आंखों देखी….. नीतीश की ‘घरवापसी’ विधानसभा में नीतीश का लालू पर हमला, ‘सत्ता भोग के लिए नहीं होती’ नीतीश पर तेजस्वी का हमला, ‘नीतीश में हिम्मत होती तो मुझे बर्खास्त करते’ Exclusive: नीतीश ने बीजेपी के साथ जाकर सुसाइड कर लिया है: लालू यादव यहां पढ़ें पूरी कहानी: पिछले एक साल से नीतीश और मोदी में कैसे पक रही थी ‘खिचड़ी’!
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Source: IOCL























