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फांसी के फंदे पर लटकते-लटकते बचा था सुरेंद्र कोली, अब फंदा भी खुल गया, 19,16,12 और 6 से 2 तक कैसे हुआ मामला साफ!

उत्तर प्रदेश के नोएडा के निठारी मर्डर केस में इलाहबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को निर्दोष करार दिया है. दोनों पर कुल 14 मामले थे और सभी में उनको निर्दोष करार दिया गया है.

जगह- उत्तर प्रदेश का नोएडा, पता- कोठी नंबर D-5, निठारी, सेक्टर-, शख्स- मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली, 29 दिसंबर, 2006 को  D-5 के पीछे मिले महिलाओं और बच्चों के कंकाल, सजा- फांसी. दिल्ली एनसीआर के सबसे चर्चित निठारी हत्याकांड में नया मोड़ आया है. 16 अक्टूबर, 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को रद्द कर दोनों को दोषमुक्त करार दिया है. दोनों दोषियों की 14 अर्जियों पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इनमें से 12 मामलों में सुरेंद्र कोली और 2 में मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाई गई थी.

हत्या, अपहरण, दुष्कर्म और साक्ष्यों को नष्ट करने के लिए सुरेंद्र कोली के खिलाफ पहले 19 मामले दर्ज हुए, घटकर 16 हो गए, और कम हुए और 14 रह गए, अब 14 मामलों में भी राहत मिल गई और जेल से बाहर आने की तैयारी है. सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा के 12 और मोनिंदर सिंह को 2 केस में बरी किया गया है. कोर्ट ने सबूतों के अभाव में दोनों को निर्दोष करार दिया है.

मोनिंदर पंढेर पर कुल 6 मामले
साल 2007 में सीबीआई ने मोनिंदर पंढेर और उसके यहां काम करने वाले सुरेंद्र कोली के खिलाफ 19 मामले दर्ज किए थे. पंढेर के खिलाफ निठारी कांड में कुल 6 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से तीन मामलों में वह सीबीआई की ट्रायल कोर्ट से बरी हो गया था और एक मामले में हाईकोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था. अब बाकी बचे दो केस में उसको आज राहत मिल गई. 6 में से तीन मामलों में पंढेर को दोषी ठहराया गया था.

सुरेंद्र कोली पर दर्ज थे 16 केस
कुल 19 मामलों में से 16 केस सुरेंद्र कोली पर दर्ज हुए थे. सीबीआई की चार्जशीट में 16 मामलों में सुरेंद्र कोली का नाम दर्ज था, लेकिन 3 केस सबूतों के अभाव में रद्द कर दिए गए और 13 मामलों में उसे दोषी ठहराया गया था. अब 12 मामलों में उसको बरी कर दिया गया है.

सुरेंद्र कोली और पंढेर पर क्या हैं आरोप
मोनिंदर सिंह पंढेर नोएडा के सेक्टर-3 के निठारी में स्थित डी-5 बंगले का मालिक है और सुरेंद्र कोली उसका नौकर था. मोनिंदर के बंगले के पीछे से 19 महिलाओं और बच्चों के कंकाल मिले थे, जिसके बाद जांच में मोनिंदर और सुरेंद्र को साल 2006 में गिरफ्तार कर लिया गया था. 13 फरवरी, 2009 को विशेष अदालत ने मोनिंदर और कोली को एक किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी.

क्या है निठारी कांड और इसकी पूरी कहानी?
सुरेंद्र उत्तराखंड के अल्मोड़ा का रहने वाला है और साल 2000 में वह उत्तराखंड से दिल्ली आ गया. यहां एक ब्रिगेडियर के घर पर वह खाना बनाया करता था. इसके बाद साल 2003 में मोनिंदर सिंह पंढेर से उसका संपर्क हुआ और वह उसके घर पर काम करने लगा. जब 2004 में पंढेर की फैमली पंजाब चली गई तो अब घर में कोली और मोनिंदर ही रह गए. मोनिंदर के घर पर कॉर्लगर्ल्स आया करती थीं और इस दौरान कोली दरवाजे पर नजर रखता था. उस पर आरोप है कि वह वहां से गुजरने वाले बच्चों को पकड़कर उनके साथ गलत हरकतें करता था और उनको जान से मार देता था. यह मामला उस वक्त सामने आया, जब साल 2006 में एक गुमशुदा युवती की तलाश शुरू हुई. साल 2006 में मोनिंदर पंढेर ने नौकरी के बहाने निठारी की एक युवती को अपने घर बुलाया. जब युवती घर नहीं पहुंची तो घरवालों ने उसकी तलाश शुरू की और नोएडा के सेक्टर-20 थाने में बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस को मोनिंदर की कोठी के पीछे नाले में 19 कंकाल मिले, जो महिलाओं और बच्चों के थे. इस खबर ने पूरे देश में सनसनी मचा दी थी. इस मामले में एक और बात सामने आई थी कि मोनिंदर के घर से मानव अंगों का व्यापार किया जाता था और ये अंग विदेशों में भेजे जाते थे. 

निठारी कांड में कब-कब क्या-क्या हुआ?

  • 29 दिसंबर, 2006 को डी-5 बंगले के पीछे नाले से महिलाओं और बच्चों के 19 कंकाल मिले. इसके बाद पुलिस ने कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया. बाद में यह मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया.
  • 8 फरवरी, 2007 को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को 14 दिनों के लिए सीबीआई की कस्टडी में भेज दिया.
  • 13 फरवरी, 2009 को विशेष अदालत ने कोली और पंढेर को एक लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई.
  • 10 सितंबर, 2009 को ट्रायल कोर्ट ने भी पंढेर और कोली को मौत की सजा सुनाई, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पंढेर को दोषमुक्त कर दिया और कोली की फांसी की सजा बरकरार रखी.
  • 7 जनवरी, 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा पर रोक लगा दी.
  • 20 जुलाई, 2014 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फांसी की सजा के दोषियों की दया याचिका रद्द की, जिनमें सुरेंद्र कोली की याचिका भी शामिल थी.
  • 8 सितंबर, 2014 को कोर्ट ने कोली की फांसी की सजा पर रात 1 बजे रोक लगा दी. उसे उसी दिन फांसी की सजा होनी थी. इसके बाद उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया.
  • 12 सितंबर, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर 29 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी और 28 अक्टूबर को तीन जजों की बेंच ने उसकी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की.
    29 अक्टूबर, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तु की बेंच ने पुनर्विचार याचिका रद्द कर दी.
  • 22 जुलाई, 2017 को सीबीआई कोर्ट ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को दोषी करार दे दिया.
  • 24 जुलाई, 2017 को सीबीआई कोर्ट ने दुष्कर्म और हत्या के एक और मामले में दोनों को दोषा करार दिया.
  • 16 अक्टूबर, 2023 को इलाहबाद हाई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर पर चल रहे सभी मामलों में उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण दोनों को बरी किया है.

हाईकोर्ट के फैसले से खुश नहीं सीबीआई
सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर पर आज आए फैसले से सीबीआई खुश नहीं है. सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है. सीबीआई के वकील संजय कुमार यादव ने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम ने इन्हीं सबूतों के आधार पर कोली को मिली फांसी की सजा पर मुहर लगाई है. ऐसे में हाईकोर्ट का फैसला हैरान करने वाला है. जजमेंट का अध्ययन करने के बाद सीबीआई की लीगल विंग को इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सिफारिश की जाएगी.

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