निर्भया केस: दिल्ली HC का डेथ वारंट पर रोक लगाने से इनकार, कहा- निचली अदालत के फैसले में कोई खामी नहीं
Nirbhaya case: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि निर्भया मामले में दोषी मुकेश के खिलाफ मौत की सजा पर अमल का आदेश जारी करने के निचली अदालत के फैसले में कोई खामी नहीं है.

नई दिल्ली: निर्भया केस में चार में से एक दोषी ने दिल्ली हाई कोर्ट याचिका दाखिल की. इसपर हाई कोर्ट ने कहा कि निर्भया मामले में दोषी मुकेश के खिलाफ मौत की सजा पर अमल का आदेश जारी करने के निचली अदालत के फैसले में कोई खामी नहीं है. हालांकि हाई कोर्ट ने सत्र अदालत में चुनौती देने की छूट दी.
हाई कोर्ट ने कहा कि 7 जनवरी के डेथ वारंट वाले आदेश में कोई खामी नहीं थी क्योंकि उस दिन तक कोई क्यूरेटिव या दया याचिका लंबित नहीं थी. निचली अदालत में जाकर याचिका दायर कर बताईए की आपने दया याचिका दायर की हुई है. दोषी मुकेश कुमार के वकील ने हाई कोर्ट में कहा कि वे मौत की सजा के फैसले पर अमल के लिए जारी वारंट के खिलाफ सत्र अदालत का रुख करेंगे.
इससे पहले दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि चूंकि 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के दोषियों में से एक ने दया याचिका दायर की है, इसलिए मौत की सजा प्राप्त दोषियों की फांसी 22 जनवरी को नहीं होगी.
चारों दोषियों विनय शर्मा (26), मुकेश सिंह (32), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को 22 जनवरी को तिहाड़ जेल में सुबह सात बजे फांसी देना है. दिल्ली की एक अदालत ने उनकी मौत की सजा के फैसले पर अमल के लिए 7 जनवरी को वारंट जारी किया था.
मौत की सजा के फैसले पर अमल के लिए जारी वारंट को चुनौती देने वाली दोषी मुकेश की याचिका पर दिल्ली सरकार और केंद्र ने न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल को बताया कि यह समय से पूर्व दायर की गई याचिका है. दिल्ली सरकार और जेल अधिकारियों ने अदालत को सूचित किया कि नियमों के मुताबिक उन्हें फांसी की सजा देने से पहले दया याचिका पर फैसला आने तक इंतजार करना होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा दया याचिका पर जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक 22 जनवरी को उन्हें फांसी नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुकेश और विनय की सुधारात्मक याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
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