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जब नाम ही बन गया नेताजी का दुश्मन! कई बार मुलायम से ही लड़ना पड़ा मुलायम को चुनाव

Netaji Mulayam Singh Yadav: नेताजी के नाम से मशहूर यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव इस दुनिया में नहीं रहे. उनसे जुड़े किस्से हम सभी के दिलों में जिंदा हैं.

Mulayam Singh Yadav Story: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नेताजी मुलायम सिंह यादव का सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 को मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. उनका निधन 82 साल की उम्र में हुआ. अंतिम संस्कार पैतृक गांव सैफई में 11 अक्टूबर 2022 को दोपहर 3 बजे किया जाएगा. नेताजी के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है. खासकर उनके गांव सैफई में लोगों का बुरा हाल है.

नेताजी तो हम सब के बीच से चले गए लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी. उनके कई ऐसे किस्से हैं जिनके बारे में जितनी बार सुनो उतने ही रोचक लगते हैं. उनके बारे में एक किस्सा बड़ा मशहूर है. कहते हैं कि एक बार ऐसा हुआ कि जब मुलायम सिंह यादव को अपने नाम से ही परेशान होना पड़ा था. उनका नाम ही उनका दुश्मन बन गया था. स्थिति ऐसी बन गई थी कि उन्हें अपने नाम के आगे अपने पिताजी का नाम जोड़ना पड़ गया था. कई बार ऐसा हुआ कि मुलायम सिंह यादव को मुलायम सिंह यादव से ही चुनाव लड़ना पड़ा.

मुलायम सिंह यादव बनाम मुलायम सिंह यादव

ये बात है साल 1989 की जब मुलायम सिंह यादव को अपने नाम के खिलाफ ही चुनाव लड़ना पड़ा था. वो भी उनके गृहक्षेत्र जसवंत नगर से. वही जसवंत नगर जहां से शिवपाल सिंह कई बार विधायक बने. मुलायम सिंह यादव जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. इसी सीट से एक और मुलायम सिंह यादव मैदान में थे. एक ही नाम के दो प्रत्याशी, ऐसे में जनता को समझ ही नहीं आ रहा था किस मुलायम सिंह को वोट करना है.

उस समय मुलायम सिंह यादव एक जाना पहचाना नाम था लेकिन इसी नाम ने नेताजी के सामने चुनौती तो खड़ी कर ही दी थी. चुनाव प्रचार के लिए बैनर और पोस्टर प्रिंट होने चले गए थे, जिन्हें रुकवाया गया. मतदाताओं के बीच खुद को प्रचारित करने के लिए मुलायम सिंह यादव को मुलायम सिंह सुघड़ सिंह यादव नाम रखना पड़ा. सुघड़ सिंह उनके पिता का नाम था, जिसे उन्हें अपने नाम के आगे लगाना पड़ा.

हालांकि विपक्ष ने मुलायम सिंह यादव के नाम का प्रत्याशी उतार तो दिया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इस निर्दलीय प्रत्याशी को मात्र 1032 वोट मिले और नेताजी के सामने ये प्रत्याशी औंधे मुंह गिरा. इसके बाद साल 1991 में मुलायम सिंह फिर जसवंत नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और एक बार फिर उनके सामने यही निर्दलीय प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव थे और वही हश्र हुआ जो साल 1989 के चुनाव में हुआ. धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ने अपने विरोधी मुलायम सिंह यादव को पटखनी दे दी.

बार-बार हुई मुलायम की मुलायम से टक्कर

ऐसा एक या दो बार नहीं हुआ जब मुलायम सिंह यादव की टक्कर मुलायम सिंह यादव से ही हुई. साल 1991 में जब जसवंत नगर विधानसभा सीट से एक और मुलायम सिंह यादव उनके खिलाफ लड़े थे. साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में भी फिर एक बार ऐसा देखने को मिला. राम आंदोलन के बाद नेताजी मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था और वो यूपी की तीन विधानसभा सीटों से मैदान में उतरे. जिनें जसवंत नगर, शिकोबाबाद और निधौली कलां शामिल थी. इन तीनों ही सीटों पर मुलायम सिंह यादव नाम के प्रत्याशी उनके खिलाफ चुनाव लड़े थे. इन तीनों ही सीटों पर नेताजी ने जीत हासिल की थी.

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