जिस पार्टी के सहारे बनी NDA की सरकार, उसी ने वोटर रिवीजन पर कर दी चुनाव आयोग से बड़ी मांग
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर तेलुगु देशम पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ‘एसआईआर का उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए.'

तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने निर्वाचन आयोग (ईसी) से आंध्र प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए पर्याप्त समय देने का आग्रह किया है. तेदेपा का कहना है कि इसे किसी बड़े चुनाव के छह महीने के भीतर नहीं कराया जाना चाहिए और नवीनतम मतदाता सूची में पहले से नामांकित मतदाताओं को अपनी पहचान दोबारा स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल की ओर से निर्वाचन आयोग को दिए गए सुझाव बिहार में चल रहे एसआईआर को लेकर राजनीतिक विवाद के बीच आए हैं. बिहार में विधानसभा चुनाव के करीब होने के कारण इसका क्रियान्वयन और कई मामलों में संभावित मतदाताओं पर प्रमाण दिखाने का बोझ विपक्षी दलों की आलोचना का कारण बना है.
मतदाता सूची में सुधार और समावेशन तक सीमित
तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से कहा, ‘एसआईआर का उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए और मतदाता सूची में सुधार और समावेशन तक सीमित होना चाहिए. यह स्पष्ट रूप से सूचित किया जाना चाहिए कि यह अभ्यास नागरिकता सत्यापन से संबंधित नहीं है और किसी भी क्षेत्र निर्देश में यह अंतर नहीं दिखना चाहिए.’
तेदेपा ने 'समावेश की धारणा' का समर्थन करते हुए कहा कि जो मतदाता पहले से ही नवीनतम प्रमाणित मतदाता सूची में नामांकित है, उन्हें अपनी पात्रता दोबारा दिखाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए, जब तक कि विशिष्ट और सत्यापन योग्य कारण दर्ज न किए जाए.
नाम हटाने से पहले वैध जांच जरूरी
तेदेपा ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मतदाता सूची में किसी व्यक्ति का नाम पहले से शामिल करने से उसकी वैधता की धारणा बनती है और नाम हटाने से पहले वैध जांच होनी चाहिए. इस प्रतिनिधिमंडल में तेदेपा के संसदीय दल के नेता लावू श्री कृष्ण देवरायलु और इसके प्रदेश अध्यक्ष पल्ला श्रीनिवास राव शामिल थे.
तेदेपा के प्रतिनिधिमंडल ने कहा, ‘सबूत का भार ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) या आपत्तिकर्ता पर होता है, मतदाता पर नहीं, विशेषकर जब नाम आधिकारिक सूची में मौजूद हो.’ तेदेपा के इस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी से मुलाकात की.
पहले से राज्य को दें सूचना
तेदेपा ने कहा कि आंध्र प्रदेश में 2029 से पहले विधानसभा चुनाव नहीं होंगे, इसलिए एसआईआर यह सुनिश्चित करने का एक सही अवसर प्रदान करता है कि मतदाता सूचियों को निष्पक्ष, समावेशी और पारदर्शी तरीके से दिखाया जाए. उन्होंने निर्वाचन आयोग से कहा कि वह राज्य में यह प्रक्रिया जल्द शुरू करें और इसके लिए पर्याप्त समय और अग्रिम सूचना की आवश्यकता पर बल दिया.
तेदेपा ने कहा, ‘मतदाताओं का विश्वास और प्रशासनिक तैयारी सुनिश्चित करने के लिए एसआईआर की प्रक्रिया पर्याप्त समय के भीतर पूरी की जानी चाहिए, किसी भी प्रमुख चुनाव के छह महीने के भीतर ये नहीं होना चाहिए.’
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