दोस्ती के नए दौर की शुरुआत करेंगे भारत और दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति रविवार को भारत पहुंचे. राजधानी दिल्ली पहुंचने के बाद उनका पहला आधिकारिक कार्यक्रम अक्षरधाम मंदिर के दर्शन का था.

नई दिल्ली: भारत और दक्षिण कोरिया वो दो मुल्क हैं जो दूर भी हैं और बहुत करीब भी. अयोध्या की राजकुमारी सूर्यरत्ना के कोरिया के किम राजवंश की महारानी ह्वांग होक बनने की कहानी से लेकर सैमसंग, हुंडई जैसी कंपनियों के उत्पादों के भारतीय घरों में नाम बनने तक तक ऐसे बहुत से तार हैं जो दोनों देशों को जोड़ते हैं. वहीं, बीते कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय राजनीति की करवट ने दोनों मुल्कों और उनके रणनीतिक हितों को और करीब ला दिया है. ऐसे में दक्षिण कोरिया की कमान संभालने के बाद पहली बार भारत आए राष्ट्रपति मून जे के चार दिवसीय दौरे में दोनों मुल्क अपनी विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूती का नया ताना-बाना देंगे.
सैमसंग के सबसे बड़े प्लांट का होगा उद्घाटन दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति रविवार को भारत पहुंचे. राजधानी दिल्ली पहुंचने के बाद उनका पहला आधिकारिक कार्यक्रम अक्षरधाम मंदिर के दर्शन का था. दोनों मुल्कों के पुराने सांसकृतिक संबंधों को मजबूत करने की इस कोशिश के साथ ही उनके इस दौरे के एजेंडा में भारत के साथ सामरिक सहयोग से लेकर नए निवेश और रक्षा सौदों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर साझेदारी के मुद्दे शामिल हैं. राष्ट्रपति मून जे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले दो दिनों तक कई मौकों पर साथ होंगे. दोनों नेता जहां सोमवार को गांधी स्मृति को देखने एक साथ जाएंगे वहीं नोएगा में सैमसंग के प्लांट का भी संग ही दौरा करेंगे. दक्षिण कोरियाई इलेट्रानिक्स कंपनी सैमसंग ने नोएडा में दुनिया का अपना सबसे बड़ा मोबाइल प्लांट बनाया है जिसका उद्घाटन दोनों नेता करेंगे.
किम जोंग के वादों और पाकिस्तान के इरादों पर भी होगी बात दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसे वक्त पर हो रही है जब उनके मुल्क ही नहीं बल्कि दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन सिंगापुर में अपने परमाणु हथियारों को खत्म करने के वादों को निभाता है या नहीं. सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई किम जोंग उन की बैठक के बाद उत्तर कोरिया की तरफ से अपने परमाणु हथियार खत्म करने का वादा तो किया गया मगर प्योंगयोंग की तरफ से न तो इसकी खुली घोषणा की गई और न ही जमीन पर कोई ठोस कार्रावई नजर आई. ऐसे में उत्तर कोरियाई हथियारों के निशाने पर बैठे दक्षिण कोरिया की कोशिश इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की है.
आकार में छोटा होने के बावजूद दक्षिण कोरिया अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में खासा रसूख रखता है. दक्षिण कोरियाई राजनयिक बान की मून संयुक्ता राष्ट्र संघ के महासचिव भी रह चुके हैं. वहीं 50 के दशक में कोरियाई युद्ध के बाद शांति स्थापना के लिए भारतीय अगुवाई में हुए प्रयासों लेकर संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भारत की भूमिका को दक्षिण कोरिया में खासी तवज्जो दी जाती है.
परमाणु हथियारों और चोरी की तकनीक से तैयार मिसाइलों के काले कारोबार में उत्तर कोरिया और पाकिस्तान का गठजोड़ पुराना है. पाकिस्तान के कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक एक्यू खान से उत्तर कोरिया ने बम बनाने की तकनीक हासिल की तो वहीं प्योंगयोंग ने चीन से हासिल मिलाइल बनाने के गुर पाकिस्तान को दिए. भारत और दक्षिण कोरिया इन चिंताओं के साझेदार हैं कि कहीं पाकिस्तान और उत्तर कोरिया का यह गठजोड़ कोई नए गुल तो नहीं खिला रहा? पाकिस्तान के छोटे परमाणु हथियार बनाने के दावे के बाद ही बीते दिनों उत्तर कोरिया ने भी इसी तरह के हथियारों को लेकर दावा किया है. पाकिस्तान में आतंकियों से सांठगांठ करने वाली सेना और उत्तर कोरिया में एक तानाशाह के हाथों में परमाणु हथियारों की चाबी भारत-दक्षिण कोरिया ही नहीं पूरी दुनिया के लिए खतरा है. ऐसे में अनौपचारिक चर्चाओं से लेकर मंगलवार को होने वाली औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता तक अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मून साझा चिंताओं पर आपसी सहयोग के साथ ही अंतरराष्ट्रीय साझेदारी बढ़ाना चाहेंगे.
रक्षा सहयोग बढ़ाएंगे भारत और दक्षिण कोरिया दोनों ही प्रायद्वीपीय मुल्क हैं जहां समुद्र में क्षमताओं का खासा महत्व है. भारत के विपरीत दक्षिण कोरिया अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए पूरी तरह से समु्द्र से होने वाले आयात पर निर्भर है. ऐसे में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के बढ़ते रसूख के बीच समुद्रीय यातायात की सुरक्षा दोनों मुल्कों का साझा हित है. हिंद महासागर में भारतीय नौसेना का दबदबा सियोल के लिए कारगर साबित हो सकता है, वहीं दक्षिण कोरिया की जहाज निर्माण क्षमताएं नई दिल्ली के लिए मददगार साबित हो सकती हैं. भारत में सैन्य और कारोबारी इस्तेमाल के लिए पोत निर्माण आधुनिकीकरण में दक्षिण कोरिया का सहयोग फायदे का सौदा साबित हो सकता है. भारत और दक्षिण कोरिया के बीच हितों का तालमेल तकनीक हस्तांतरण को भी आसान बनाता है.
इसके अलावा ड्रोन से लेकर एअर डिफेंस गन और सीमा की निगरानी की कारगर प्रणालियों तक साझेदारी के कई मोर्चे हैं जिनपर दोनों मुल्क बात कर रहे हैं. उत्तर कोरिया के साथ लगने वाले डीएमजेड एरिया यानी डीमिलिट्राइज्ड जोन में दक्षिण कोरिया ने जिस तरह निगरानी के संवेदनशील सिस्टम विकसित किए हैं वो पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा घुसपैठ की चुनौतियों से निपटने में भारत के लिए कारगर साबित हो सकते हैं. भारत और दक्षिण कोरिया मिसाइल एअर-डिफेंस सिस्टम के साझा विकास और उत्पादन को लेकर भी बात कर रहे हैं.
नए निवेश की संभावनाएं भारतीय अर्थव्यवस्था के 1991 में दरवाजे खुलने के बाद दक्षिण कोरिया इसका फायदा उठाने वाले मुल्कों में शामिल है. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया का नारा देने के बाद भारतीय बाजार का फायदा उठाने में यहां पहले से मौजूद सैमसंग, हुंडई, एलजी जैसी कंपनियों ने निवेश को और बढ़ाया है. भारत-दक्षिण कोरिया शिखर वार्ता के हाशिए पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मून जे सीईओ राउंड टेबल को भी संबोधित करेंगे.
आधिकारिक तौर पर दक्षिण कोरिया की छोटी-बड़ी करीब 600 से ज्यादा कंपनियां भारत में मौजूद हैं. भारत में जहां हुंडई जैसे कोरियाई ब्रांड की कंपनियां नजर आती हैं वहीं भारतीय कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा मार्च 2011 में कोरिया की चौथी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल उत्पादक कंपनी सांगयोंग का बड़ा हिस्सा खरीद चुकी है. वहीं इससे पहले 2004 में टाटा मोटर्स ने कोरियाई डेवू वाणिज्यिक वाहन कंपनी को 102 डॉलर में अधिग्रहित कर लिया था.
कोरिया में अमन के लिए भारतीय कोशिशों को भी करेंगे याद अपनी भारत यात्रा में राष्ट्रपति मून जे सोमवार शाम को कोरिया युद्ध में भारतीय सेना की 60 पैराशूट फील्ड एंबुलेंस रेजिमेंट के योगदान को याद करने के साथ ही कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापना के लिए किए गए भारतीय प्रयासों को याद करेंगे. रोचक तथ्य है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग में तैनात भारतीय सेना की ब्रिगेड को अब भी कोरिया ब्रिगेड कहा जाता है. ध्यान रहे कि 1945 में कोरिया की आजादी के बाद भारत के केपीएस मेनन 9 सदस्यों वाले संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रमुख थे. वहीं, कोरियाई युद्ध में 27 जुलाई 1953 को हुए संघर्ष विराम के बाद भारत के जनरल के एस थिमय्या तटस्थ देशों के न्यूट्रल नेशन रिपाट्रिएशन कमीशन के प्रमुख थे.
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