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Cheetah Death: कूनो नेशनल पार्क में 4 महीने में 8 चीतों की मौत की वजह क्या रेडियो कॉलर है? जानें एक्सपर्ट्स की राय
Kuno National Park Cheetah Death: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत में लगातार इजाफा हो रहा है. जिसकी वजह सरकार से लेकर सभी अलर्ट पर है. अभी तक कुल 8 चीतों की मौत हो चुकी है.
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Kuno National Park Cheetah Death: मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लगातार हो रही चीतों की मौत ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. अब तक कुल आठ चीतों की मौत हो गई है. कुछ विशेषज्ञ इन मौतों का कारण चीतों को लगाए घटिया रेडियो कॉलर को मानते हैं. ये कॉलर टाइगर के थे मगर चीतों को लगा दिए गए.
सरकार इन आरोपों को "वैज्ञानिक सबूत के बिना अटकलें " कह रही है, लेकिन एबीपी न्यूज के पास फुटेज है जिसमें अधिकारी एक मृत चीते के कॉलर की जांच करते हुए दिख रहे हैं . उधर जानकार मान रहे हैं कि चीता प्रोजेक्ट के सामने मुश्किलें बहुत हैं वैसे भी कूनों चीता के लिए नहीं बनाया गया था.
कूनो में नर चीते सूरज के रेडियो कॉलर को हटाने पर उसके गर्दन के नीचे संक्रमण गया था. गहरे घाव में कीड़े भरे हुए थे. सूरज 8वां चीता है जिसकी कूनों में मौत हुई. दावा है कि इसके पहले तेजस चीते में भी गर्दन में ऐसा ही इन्फेक्शन मिला था. ये इन्फेक्शन फ़ैल रहा है. कॉलर आईडी के कारण ऐसा हो रहा है.
चीतों के पास है अफ़्रीकी वन्यजीव ट्रैकिंग रेडियो कॉलर
खबर है कि एक और चीते पवन को जनागल से त्रेंकोलैज कर बाड़े में लाया गया है और उसके गले में भी इन्फेक्शन फ़ैल रहा है. दो और चीते गौरव और शौर्य में भी ऐसी ही बीमारी दिखी है.
जानकारों का मानना है की टाइगर के लिए तैयार कॉलर चीतों को लगा दिए गए, जिससे उनकी गर्दन छिल रही है और इन्फेक्शन हो रहा है. कूनो के सभी चीतों के पास अफ़्रीकी वन्यजीव ट्रैकिंग रेडियो कॉलर है, हालांकि कई विशेषज्ञ इस कॉलर में लगे बेल्ट की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठा रहे हैं.
पन्ना में भी इस तरह की स्थिति का करना पड़ा था सामना
आर श्रीनिवास मूर्ति, सेवानिवृत्त आईएएएफ ने कहा, "पन्ना में हमें इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था, लेकिन वहां हमारी मॉनिटरिंग 247 थी. यहां मॉनिटरिंग का रूटीन क्या था इसके बारे में मुझे नहीं पता था. अगर बेल्ट सिंथेटिक मटेरियल का है तो उसे फौरन चमड़े से रिप्लेस करना चाहिए क्योंकि इंफेक्शन होने से वो खुजली करते हैं. कभी मौसम में नमी हो बारिश हो तो इसकी वजह से वो बहुत असहज महसूस करते हैं खुद को ज्यादा घाव पहुंचा लेते हैं."
उन्होंने आगे कहा कि टाइगर में भी मैगट हुआ था लेकिन हमने मॉनिटरिंग की वजह से मौत नहीं होने दिया. हालांकि एनटीसीए ने एक प्रेस रिलीज के जरिए कहा है. मीडिया में ऐसी रिपोर्ट हैं जिनमें चीतों की मौत के लिए उनके रेडियो कॉलर आदि सहित अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है. ऐसी रिपोर्टें किसी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं बल्कि अटकलें और अफवाहें हैं.
कब-कब हुई मौतें?
इन सवालों के बीच सरकार ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान का तबादला कर दिया है, जबकि कॉलर का मुद्दा हल नहीं हुआ. उधर प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह मान रहे हैं कि चीता प्रोजेक्ट पर देश और विदेश के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है. बहुत कुछ जो हो रहा है वो जानवरों में होता है और स्वाभाविक है. कूनों में 27 मार्च को, साशा नाम की मादा चीता की किडनी की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई.
23 अप्रैल को, उदय की, 9 मई को दक्षा की मौत हुई, 23-25 मई के बीच कूनो में जन्म 3 शावकों की मौत हो गई. 11 जुलाई को एक नर चीता तेजस मृत पाया गया. अब कुनो में केवल 15 चीते हैं, जिनमें से 11 खुले जंगलों में और 1 शावक सहित चार चीते बाड़ों में हैं. सरकार ने अब तय किया है कि चोटों को पूरे बारिश के सीजन में बाड़े में ही रखा जाएगा. उनकी निगरानी होगी और फिर जंगल में छोड़ा जाएगा.
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