RG Kar: ममता सरकार की याचिका पर नहीं होगी सुनवाई? कोलकाता HC बोला- पहले संजय रॉय, परिवार और सीबीआई बताएं...
हाईकोर्ट के जस्टिस देबांग्शु बसाक ने कहा कि कोर्ट राज्य सरकार की अपील स्वीकार करने से पहले सीबीआई, पीड़िता के परिवार और दोषी के वकीलों के माध्यम से उनकी दलीलें सुनेगी.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (22 जनवरी, 2025) को कहा कि वह आरजी कर हॉस्पिटल रेप एंड मर्डर केस में दोषी, परिवार और सीबीआई का पक्ष सुनेगा फिर फैसला लेगा कि बंगाल सरकार की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं. की दलीलें सुनेगा. कोलकाता की सियालदह कोर्ट ने ट्रेनी महिला डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले में संजय रॉय को दोषी करार दिया है और उसको उम्रकैद की सजा सुनाई है. निचली अदालत के फैसले को पश्चिम बंगाल सरकार ने अपर्याप्त बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की अपील को स्वीकार करने से पहले वह केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), पीड़िता के परिवार और दोषी का पक्ष सुनेगा.
हाईकोर्ट ने कहा कि वह सोमवार को मामले की सुनवाई करेगा. सीबीआई ने मामले में अपील दायर करने के राज्य के अधिकार का विरोध करते हुए दावा किया कि अभियोजन एजेंसी वह है और उसे सजा की अपर्याप्तता के आधार पर अपील दायर करने का अधिकार है. सियालदह की अदालत ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी संजय रॉय को सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट के जस्टिस देबांग्शु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह राज्य सरकार की अपील स्वीकार करने से पहले सीबीआई, पीड़िता के परिवार और दोषी के वकीलों के माध्यम से उनकी दलीलें सुनेगी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस देबांग्शु बसाक और मोहम्मद शब्बार रशीदी की बेंच मामले की सुनवाई कर सकती है. कोर्ट ने संजय रॉय के वकील को उससे मिलने और वकालत नामा प्राप्त करने की अनुमति दी है. सियालदह कोर्ट के सेशन जज जस्टिस अनिर्बान दास ने संजय रॉय को सोमवार को यह कहते हुए फांसी की सजा नहीं सुनाई थी कि कोर्ट का दायित्व ज्ञान, करूणा और गहरी समझ के माध्यम से मानवता को ऊपर उठाना है, न कि क्रूरता से क्रूरता का मैच करना.
जज ने कहा कि आंख के बदले आंख और जान के बदले जान की पुरानी प्रवृत्ति से ऊपर उठने की जरूरत है और यह केस मौत की सजा के लिए रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट का कर्तव्य ऐसी सजा सुनाना है जो उचित और स्थापित कानूनी सिद्धांतों के अनुसार हो. कोर्ट को जनता की राय और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के आधार पर फैसला नहीं सुनाना चाहिए, बल्कि सबूतों को ध्यान में रखकर निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए. जस्टिस अनिर्बान दास ने इस पर भी गौर किया कि संजय रॉय का पिछला कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है.
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Source: IOCL























