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गेहूं के आटे में प्लास्टिक के दावे का वायरल सच
दावे के मुताबिक मुलायम रोटी बनाने के लिए कंपनियां प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रही हैं और सबूत के तौर पर लोग आटे में मिले हुए प्लास्टिक को अलग करते हुए वायरल वीडियो में दिखा भी रहे हैं.

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर हर रोज कई फोटो, वीडियो और मैसेज वायरल होते हैं. वायरल हो रहे इन फोटो, वीडियो और मैसेज के जरिए कई चौंकाने वाले दावे भी किए जाते हैं. ऐसा ही एक दावा वीडियो की शक्ल में सोशल मीडिया पर सनसनी बढ़ा रहा है.
सोशल मीडिया पर पहुंचे कुछ वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि रोटी का जो निवाला आपके मुंह तक पहुंचता है उस रोटी में प्लास्टिक है. दावे के मुताबिक मुलायम रोटी बनाने के लिए कंपनियां प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रही हैं और सबूत के तौर पर लोग आटे में मिले हुए प्लास्टिक को अलग करते हुए वायरल वीडियो में दिखा भी रहे हैं. क्या दिख रहा है वीडियो में ? अपने किचन में एक डोंगे में गुथे हुए आटे के साथ एक महिला खड़ी है. महिला कहती है कि मैंने अभी-अभी फेसबुक पर एक वीडियो देखा जिसमें आर्शीवाद कंपनी का आटा है बंदे ने आटे को पानी में धोया तो वो प्लास्टिक बन गया. तो मैंने सोचा कि मैं भी इसको एक बार करके देखती हूं कि ये सच है या झूठ है या ये अफवाह फैला रहे है. देखिए मैंने आर्शावाद आटे की एक गोली ली है. इसको मैं पानी में धो रही हूं. इसके बाद महिला आटे की एक लोई लेकर उसे किचन के पास लगी वॉश बेसिन में धोना शुरू कर देती है. इसके बाद महिला कहती है कि दोस्तों ये सच में बिलकुल सही है और ये आटा अभी आपको प्लास्टिक की तरह दिखेगा. नहीं तो जो आटा हम चक्की से पिसवाते हैं उस आटे को अगर हम ऐसे करेंगे तो वो एकदम घुल जाएगा. महिला पूरी मशक्कत के साथ एक मिनट 23 सेकेंड तक आटे की लोई को पानी की धार के नीचे रगड़ रगड़ कर धोती है. एबीपी न्यूज़ ने की वायरल वीडियो की पड़ताल? वायरल वीडियो का सच जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विनोद प्रभु से संपर्क किया. उन्होंने बताया, ''प्लास्टिक आटे जैसा कुछ होता ही नहीं है. प्लास्टिक या खुला कोई भी आटा हो बिना गूंदे पानी में घुल जाएंगे. लेकिन जब आप आटे को गूंद लेते हैं तो एक नेटवर्क बनता है. इस नेटवर्क को पॉलीमैरीसेशन बोलते हैं, ये गेंहू में 12 से 14 प्वाइंट होता है.'' उन्होंने बताया कि पुरानी या लोकल वैराइटी में 12 से कम हो सकता है, ये जितना कम होता है उतना कम खिंचाव होता है. पैकेट वाले आटे में करीब 12 प्रतिशत ग्लूटेन प्रोटीन होता है. उस प्रोटीन की वजह से इलास्टिसिटी होती है जिसे प्लास्टिक बताया जा रहा है. डॉ. विनोद ने साफ किया कि गेहूं के आटे में जितना ज्यादा ग्लूटेन प्रोटीन होगा आटा उतना ही अच्छा होगा. ज्यादा ग्लूटेन वाले आटे की रोटी भी उतनी ही अच्छी बनेगी. अगर एक किलोग्राम आटा है तो उसमें 100 ग्राम ग्लूटन प्रोटीन होता है. यानि जितना ज्यादा ग्लूटेन उतना ज्यादा खिंचाव. आशीर्वाद आटा बनाने वाली कंपनी आईटीसी ने क्या कहा? कंपनी की ओर से अपना पक्ष रखते हुए कहा, ''कुछ वीडियो में आर्शीवाद आटा में प्लास्टिक होने का दावा हो रहा है. ये हमारे ऊपर आपके विश्वास को तोड़ने की कोशिश है. वीडियो में जिसे प्लास्टिक बताया जा रहा है वो असल में एक तरह का प्रोटीन (ग्लूटेन) है. ग्लूटेन गेंहू में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. ये तत्व आटा गूंथते समय उसको आपस में जोड़कर रखता है . FSSAI रेग्युलेशन के मुताबिक आटे में 6 फीसदी ग्लूटेन होना जरूरी है.'' ABP न्य़ूज की पड़ताल में सामने आया कि आटे की लोई में च्इंगम की तरह खिंच रहा तत्व प्लास्टिक नहीं बल्कि गेंहू में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला प्रोटीन ग्लूटेन है. इसलिए हमारी पड़ताल में गेहूं के आटे में प्लास्टिक मिले होने का दावा झूठा साबित हुआ है. हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
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Source: IOCL






















