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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
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AIADMK+
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BJP+
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NTK
KARNATAKA (28)
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NDA
09
INC
00
OTH
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29
BJP
00
INDIA
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OTH
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INDIA
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OTH
DELHI (07)
07
NDA
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INDIA
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OTH
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05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

Explained: कैसा होता है राष्ट्रपति का सैलून, जानिए इस 'महाराजा स्टाइल' स्पेशल ट्रेन की सभी खूबियां

राष्ट्रपति का शाही सैलून कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. इसमें एक जैसे दो अत्याधुनिक कोच लगे होते हैं जिसमें डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लॉन्ज रूम या कांफ्रेंस रूम और प्रेसीडेंट के आराम करने के लिए बेडरूम भी होता है. सुरक्षा के लिहाज से इसमें कई तरह के सिक्योरिटी फीचर को एड किया गया है. 

भारत के प्रथम नागरिक और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज विशेष ट्रेन से कानपुर देहात के अपने गांव परौंख जा रहे हैं. इस दौरान वह अपने स्कूल के दिनों और समाजसेवा के शुरुआती दिनों के अपने पुराने परिचितों के साथ मुलाकात करेंगे. 15 साल बाद कोई राष्ट्रपति ट्रेन में सफर कर रहा है. इससे पहले 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस ट्रेन में सफर किया था. ट्रेन से अपने गांव जाने वाले रामनाथ कोविंद भारत के तीसरे राष्ट्रपति हैं. सबसे पहले प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ट्रेन से अपने गांव जीरादेई गए थे. 

राष्ट्रपति की सुरक्षा में एनएसजी के अतिरिक्त दस्ते
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का ट्रेन ट्रेन अलीगढ़, टूंडला, फिरोजाबाद, इटावा होकर जाएगी लेकिन इन स्टेशनों पर इसका ठहराव नहीं होगा. ये ट्रेन झींझक और रूरा (कानपुर देहात इलाका) स्टेशन पर ही रुकेगी. राष्ट्रपति की सुरभा के लिए अलग से राष्ट्रपति का बॉडीगार्ड होता है लेकिन इस बार राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए एनएसजी की एक टीम भी उनकी सिक्योरिटी में तैनात होगी. ट्रेन कानपुर देहात के झिंझक और रुरा दो जगह रुकेगी, जहां राष्ट्रपति स्कूल के दिनों और समाजसेवा के शुरुआती दिनों के अपने पुराने परिचितों से मुखातिब होंग.  

कई राष्ट्रपतियों की पसंद रही है रेल यात्रा 
देश में राष्ट्रपति की रेल यात्रा की एक पुरानी परम्परा है जिसके माध्यम से राष्ट्रपति देश की जनता से सीधे जुड़ते रहे हैं. इसलिए कई पूर्व राष्ट्रपित रेल से यात्राएं कर चुके हैं. राष्ट्रपति भवन के अनुसार देश पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद अक्सर रेल यात्रा करना पसंद करते थे. राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद ही उन्होंने अपने बिहार दौरे के बीच में सिवान ज़िले में स्थित अपने जन्मस्थान जीरादेई का दौरा भी किया थ.

उन्होंने छपरा से स्पेशल प्रेसिडेंशियल ट्रेन से जीरादेई तक की रेल यात्रा की थी. तब वो जीरादेई में तीन दिन तक ठहरे थे. राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने देश भर में रेल यात्राएं की थी. डॉ राजेंद्र प्रसाद के बाद भी विभिन्न राष्ट्रपतियों ने जनता से अपने जुड़ाव को बनाए रखने के लिए रेल यात्रा को पसंद किया था. भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने 1967 में ट्रेन से यात्रा की थी. इसके बाद 1978 में नीलम संजीव रेड्डी को शाही सैलून में ले जाया गया था. कोविंद से पहले,  ट्रेन सेवा का उपयोग करने वाले अंतिम राष्ट्रपति राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम थे.  

अनोखा है शाही सैलून का इतिहास
प्रेसीडेंशियल सैलून का सबसे पहले विक्टोरिया ऑफ इंडिया ने इस्तेमाल किया था. पहले इसे वाइस रीगल कोच के नाम से जाना जाता था. इसमें पर्सियन कारपेट से लेकर सिंकिंग सोफे तक लगे हुए थे. उस समय खस मैट को कूलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था. 1950 में सबसे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पहले भारतीय के रूप में इसका इस्तेमाल किया. इसके बाद इस शाही सैलून में कई तरह के परिवर्तन किए गए. 

शाही शानो-शौकत की तर्ज पर सजा है प्रेसीडेंशियल सैलून
आज यह सैलून शाही शानो-शौकत की तर्ज पर सजा हुआ है. यह विशेष ट्रेन में लगे दो लग्जीरियल कोच हैं. दोनों कोच हूबहू एक ही जैसे होते हैं. हालांकि यह ट्रेन की कैटगरी में नहीं आती लेकिन यह भारतीय रेल की पटरियों पर चलती है. कोच का नंबर 9000 और 9001 होता है. इस अत्याधुनिक कोच को 1956 में दिल्ली में बनाया गया था. कोच में डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लॉन्ज रूम या कांफ्रेंस रूम और प्रेसीडेंट के आराम करने के लिए बेडरूम भी होता है. इसके अलावा एक मॉडुलर किचेन और राष्ट्रपति के सचिव एवं अन्य स्टाफ के लिए चैंबर बने होते हैं. ट्रेन को समय-समय पर अत्याधुनिक बनाया जाता है. 

सैटेलाइट कम्युनिकेशन से युक्त
अब यह ट्रेन बुलेट प्रूव है. ट्रेन को सैटेलाइट कम्युनिकेशन और वाई फाई से भी जोड़ दिया गया है. रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने से पहले इस ट्रेन में और कई अत्याधुनिक सुविधाएं जोड़ी गई हैं. कलाम की यात्रा के बाद इस ट्रेन को सुरक्षा के लिहाज अनफिट घोषित कर दिया गया था. इसके बाद इसमें कई सिक्योरिटी फीचर एड किए गए थे. सुरक्षा के लिहाज इस ट्रेन में जर्मन LHB कोचेज लगाने की बात हो रही थी जिससे यह ट्रेन 150 किलोमीटर की रफ्तार से चल पाती. रेल मंत्रालय ने इसके मैंटेनेंस और सैलून को अत्याधुनिक बनाने के लिए बजट के आवंटन को बढ़ा दिया था. 

अब तक 87 बार सैलून का इस्तेमाल हो चुका है
अब तक देश के अलग-अलग राष्ट्रपतियों ने इस शाही सैलून का 87 बार इस्तेमाल कर चुके हैं. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पहली बार इस ट्रेन का इस्तेमाल 1950 में किया था. वे इस ट्रेन से अक्सर यात्राएं करते रहते थे. इसके बाद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन, वी वी गिरी, डॉ नीलम संजीव रेड्डी ने इस ट्रेन से यात्राएं कीं. ट्रेन में 1977 में नीलम संजीव रेड्डी ने यात्रा की थी. इसके बाद बहुत दिनों तक ट्रेन का इस्तेमाल कोई राष्ट्रपति ने नहीं किया. 2003 में मिसाइल मैन डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने इस ट्रेन से यात्रा की. इसके बाद इसमें कई परिवर्तन किए गए हैं. 

29 जून को लौटेंगे दिल्ली
रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की दो दिवसीय यात्रा के लिये 28 जून को कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से ट्रेन में रवाना होंगे. 29 जून को वह विशेष उड़ान से नई दिल्ली लौटेंगे.

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