जेडीयू की चुनाव आयोग से मांग, बिहार में राज्यसभा सीट पर जल्द हो चुनाव
जेडीयू ने चुनाव आयोग से बिहार की एक राज्यसभा सीट पर तुरंत चुनाव करवाने की मांग की है. पार्टी का दावा है कि पार्टी से बाहर किए गए वरिष्ठ नेता शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद उनकी सीट खाली हो चुकी है और उस पर तुरंत चुनाव होना चाहिए.

पटना: जेडीयू ने चुनाव आयोग से बिहार की एक राज्यसभा सीट पर तुरंत चुनाव करवाने की मांग की है. पार्टी का दावा है कि पार्टी से बाहर किए गए वरिष्ठ नेता शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद उनकी सीट खाली हो चुकी है और उस पर तुरंत चुनाव होना चाहिए. पिछले साल 4 दिसंबर को दल बदल क़ानून के तहत शरद यादव की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
चुनाव आयोग से मिला प्रतिनिधिमंडल
पार्टी के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आज चुनाव आयोग से मुलाक़ात की. प्रतिनिधिनमंडल में पार्टी नेता आरसीपी सिंह, के सी त्यागी, ललन सिंह और संजय झा शामिल थे. आयोग के सामने पार्टी ने दलील दी कि शरद यादव की सदस्यता 4 दिसंबर को रद्द हुई थी और इस हिसाब से 6 महीने के भीतर इस सीट पर चुनाव कराना संवैधानिक बाध्यता है. प्रतिनिधिमंडल में शामिल पार्टी के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "सदस्यता रद्द होने और सीट खाली होने की औपचारिक सूचना राज्यसभा सचिवालय चुनाव आयोग को पहले ही दे चुका है. ऐसे में 6 जून से पहले इस सीट पर चुनाव करवाकर नया सदस्य निर्वाचित भी हो जाना चाहिए."
शरद यादव ने कोर्ट में दी है चुनौती
पिछले साल 4 दिसंबर को दल बदल कानून के तहत राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने शरद यादव की सदस्यता रद्द करने का फ़ैसला किया था. फ़ैसले को चुनौती देते हुए शरद यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्यसभा सदस्य के तौर पर मिलने वाली सुविधाओं, जैसे घर और वेतन, को शरद यादव के पक्ष में बहाल रखा. मामले में अगली सुनवाई 23 मई को होनी है. हालांकि पार्टी कुछ और दावा कर रही है. के सी त्यागी के मुताबिक़, "हाईकोर्ट ने शरद यादव की सुविधाओं को तो बहाल रखा लेकिन उनकी सदस्यता खत्म करने के फैसले पर अब तक कोई रोक नहीं लगाई है."
शरद यादव ने कहा - ' मामला कोर्ट में है '
वहीं शरद यादव ने जेडीयू के इस कदम पर पलटवार किया. यादव ने कहा कि जेडीयू बेचैन होकर ये सब कर रही है. दर्द भरे अंदाज़ में उन्होंने कहा, ''ये लोग मेरे अहसानों का बदला चुका रहे हैं और सुई की नोंक जितनी भी जगह नहीं छोड़ना चाहते. मेरी सदस्यता खत्म करने का सभापति का फैसला कितना सही या ग़लत था, इसका फ़ैसला कोर्ट को करना है."
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