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Jahangirpuri Violence: जहांगीरपुरी हिंसा के बाद क्या हैं वहां के लोगों का हाल, जानिए क्या कहते हैं स्थानीय निवासी
Jahangirpuri Violence: प्रशासन द्वारा थोड़ी सी ढील बरती गई है तीन पहिया वाहन जैसे- रिक्शा ऑटो और दोपहिया वाहन मोटरसाइकिल से लोग जहांगीरपुरी के कुशल चौक से C और G ब्लॉक में आने जाने लगे हैं.
बीते दिनों 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन शोभा यात्रा के दौरान दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा को एक हफ्ते से ज्यादा का वक्त हो गया है. इस हिंसा में भले ही कुछ चंद लोग शामिल रहे हो लेकिन इसका असर इस पूरे इलाके के आसपास के दुकानदारों के काम धंधे पर बहुत ज्यादा हुआ है. हिंसा वाले दिन से ही यहां भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी. जहांगीरपुरी के कुशल चौक से जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग और पुलिस पैरा मिलिट्री के जवान तैनात कर दिए गए थे.
शुरुआत में उन लोगों को जिन्हें अत्यधिक आवश्यकता है सिर्फ उन्हें ही जरूरी सामान लाने ले जाने के लिए यहां गलियों से अंदर बाहर आने जाने की अनुमति प्रशासन द्वारा दी जा रही थी. हालांकि अभी प्रशासन द्वारा थोड़ी सी ढील बरती गई है तीन पहिया वाहन जैसे- रिक्शा ऑटो और दोपहिया वाहन मोटरसाइकिल बगैरह से लोग जहांगीरपुरी के कुशल चौक से C और G ब्लॉक में आने जाने लगे हैं. लेकिन यहां आने वाले तमाम लोगों के मन में अभी भी डर है. हिंसा से पहले जिस तरह की आवाजाही इस पूरे इलाके में रहती थी. अब यहां वैसी रौनक नहीं है, जिसकी वजह से इस पूरे इलाके के दुकानदार रेहड़ी ठेली वाले बहुत ज्यादा परेशान है.
पहले जैसा काम धंधा अब नहीं रहा
जहांगीरपुरी के C ब्लॉक में रहने वाले लाजरंज यहाँ 30 सालों से मीट की दुकान चलाते हैं वो बताते हैं "जब से हिंसा हुई है तब से उनका काम-धंधा काफी प्रभावित हुआ है. पिछले दो दिनों से दुकान खोली है उससे पहले दुकान बंद थी. आजकल बाहर से ग्राहक समान खरीदने नहीं आ रहे हैं जिसकी वजह से काम पर काफी असर पड़ा है. पहले दूर-दूर से ग्राहक दुकान पर आते थे अब वो यहां नहीं आ रहे हैं. पहले हम 10 हज़ार की दुकानदारी करते थे अब सिर्फ 4 हज़ार का ही काम रह गया है. C ब्लॉक में ही बिरयानी की दुकान चलाने वाले शमीम बताते हैं कि "पहले जैसा काम धंधा अब यहां नहीं रहा और जब तक हालात नहीं सुधरेंगे तब तक धंधा भी वापस पटरी पर नहीं लौटेगा." शमीम आगे बताते हैं कि "पहले बिरयानी के डेढ़ से दो बड़े पतीले बिक जाया करते थे. लेकिन अब एक भी पतीला नहीं बिक रहा है ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं क्योंकि चारो तरफ बैरिकेड्स लगे हैं और रास्ते भी बंद हैं.
दुकान नहीं चलेगी तो हम कहाँ जाएंगे
जहांगीरपुरी में सब्जी की ठेली लगाने वाली गुड़िया बतातीं हैं उनके उनकी तीन बेटियाँ हैं पति की मृत्यु के बाद परिवार का सारा का सारा भार उन्हीं के कंधों पर आ गया था, जहांगीरपुरी में पिछले 7 सालों से सब्जी की ठेली लगा कर गुजर बसर कर रही हैं. पिछले कई दिन से काम धंधा बन्द पड़ा है कोई ग्राहक आता नहीं है बस इक्का दुक्का लोग ही आते हैं. अभी 4 से 5 हज़ार तक का नुकसान हो गया है. मोहम्मद जावेद लस्सी की दुकान चलाते हैं पहले कुशल चौक पर अपनी ठेली लगते थे अब C ब्लॉक में आकर पिछले 2 दिन से दुकान लगा रहे हैं. बीते दिनों काम बिल्कुल ठप था खर्च चलाने के लिए बैंक में जमा बचत के पैसे निकाल कर काम चलाया. दुकान नहीं चलेगी तो हम कहाँ जाएंगे हमारे बच्चे भूखे मर जाएंगे.
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उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारCommentator
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