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ITI ने दिया ‘वन नेशन वन हेल्थ कार्ड’ के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का ‘प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट’, ब्लॉक चेन टेक्नॉलॉजी पर आधारित है गरूड प्लेटफ़ॉर्म
137 करोड़ देश वासियों के हेल्थ डेटा को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन अब इसे पूरा करने के लिए सरकारी कम्पनी आईटीआई लिमिटेड ने तैयारी शुरू कर दी है.
देश में वन नेशन वन हेल्थ कार्ड का सपना पूरा हो सके इसके लिए रिसर्च स्तर पर शुरुआत हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले स्वतंत्रता दिवस पर वन नेशन वन हेल्थ कार्ड का सपना देश के आगे रखा था. लेकिन इसे पूरा करने के लिए वैसी ही चुनौतियां हैं जैसी आधार कार्ड को लेकर थीं. दरअसल 137 करोड़ देश वासियों के हेल्थ डेटा को सुरक्षित रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है. लेकिन अब इसे पूरा करने के लिए सरकारी कम्पनी आईटीआई लिमिटेड ने तैयारी शुरू कर दी है.
आईटीआई ने दिया प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट
आईटीआई की एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर इला बहादुर सिंह ने एबीपी न्यूज़ से एक ख़ास बातचीत में कहा कि “आईटीआई एक निजी संस्था थैलमस इर्विन के साथ मिल कर एक डिजिटल हेल्थ प्लेटफ़ॉर्म गरुड़ का निर्माण कर रहा है. इसके माध्यम से हम सरकार के सामने डिजिटल हेल्थ कार्ड के लिए ‘प्रूफ़ ऑफ़ कॉन्सेप्ट’ पेश किया है. अब सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि वो अत्याधुनिक ब्लॉक चेन आधारित इस प्लेटफ़ॉर्म को मान्यता दे. सरकार इस प्लेटफ़ॉर्म की कई अन्य तरीक़ों से जांच करेगी उसके बाद ही इसे हेल्थ कार्ड के लिए इस्तेमाल करने का कोई अंतिम निर्णय होगा."
आईटीआई ने गुरुवार को दिल्ली में बदरपुर की अंकुर बस्ती में करीब 300 लोगों का कोविड-19 टेस्ट करके इसका लाईव डिमोंस्ट्रेशन अपने गरुड़ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर करके दिखाया. इसके माध्यम से आईटीआई ने ये साबित किया कि गरुड़ प्लेटफ़ॉर्म पर रियल टाईम हेल्थ डेटा दिखाई देगा.
हेल्थ कार्ड उर्फ़ पर्सनल हेल्थ पासपोर्ट के फ़ायदे
वन नेशन वन हेल्थ कार्ड का मतलब है कि देश के हर नागरिक के पास एक हेल्थ कोड नम्बर होगा जिसके सहारे वो देश या विदेश में कहीं भी अपनी आधिकारिक हेल्थ हिस्ट्री देख सकता है या जिसे वो चाहे दिखा सकता है. यानी अपने डॉक्टर को या नौकरी सम्बंधी ज़रूरतों में या हवाई यात्रा के दौरान अपनी कोविड या अन्य हेल्थ रिपोर्ट दे सकता है. इसके लिए किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. और न किसी सत्यापन की. क्योंकि उसका सारा डेटा भारत सरकार की ओर से स्थापित होगा.
सेंट्रलाइज्ड हेल्थ डेटा बैंक के ख़तरे
लेकिन देश भर के नागरिकों का ऐसा विशाल डेटा बैंक अगर लीक हो गया तो इसका ग़लत फ़ायदा इंश्योरेंस और दवाई कम्पनियाँ तो उठा ही सकती हैं इसके अलावा दर्जनों अन्य तरीक़ों से भी नागरिकों को ठगा जा सकता है. इस हेल्थ डेटा का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में भी आसानी से किया जा सकता है.
क्या होती है ब्लॉक चेन टेक्नॉलॉजी
आईटीआई बंगलुरु के मुताबिक़ हेल्थ कार्ड से सम्बंधित डेटा बैंक के लीक होने के ख़तरे का हल है ब्लॉक चेन टेक्नोलोजी. गरुड़ स्मार्ट टेस्टिंग के सीईओ ऋषभ शर्मा ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि “ हेल्थ कार्ड जिस विशाल डेटा बैंक से जुड़ा होगा उसे हमनें गरुड़ प्लेटफ़ॉर्म का नाम दिया है. इस प्लेटफ़ॉर्म की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी. ये ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी डेटा को पूरी तरह हैक प्रूफ़ बनाती है.“ ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में एक ऐसा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म बनाया जाएगा जिसमें किसी व्यक्ति का डेटा एक बार अपलोड हो जाने के बाद उसे दोबारा उसी फ़ाईल में बदला नहीं जा सकता और न उस फ़ाईल को डिलीट किया जा सकता है. और इस फ़ाईल से जब भी कोई जानकारी ली जाएगी तब ये फ़ाईल जानकारी देने से पहले अन्य करोड़ों सर्वरों/ फ़ाइलों से पूछेगी की क्या जो जानकारी मैं देने जा रही हूँ ठीक वही जानकारी आपके पास भी है ? अगर ठीक वही जानकारी बाक़ी सर्वरों के पास नहीं हुई तो इस जानकारी को ग़लत मान लिया जाएगा. यानी ये माना जाएगा कि इस जानकारी के साथ छेड़छाड़ हुई है इसलिए ये आधिकारिक जानकारी नहीं है. इस तरह डिजिटल हेल्थ कार्ड में प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी आधिकारिक है ये स्वतः सिद्ध होगी. और इसीलिए भारत सरकार से इसकी मान्यता भी स्वतः सिद्ध होगी क्योंकि ये सरकारी सर्वर होगा.
कैसे काम करेगा हेल्थ कार्ड
एक व्यक्ति जिसके पास कोई पुराना काग़ज़ नहीं है वो डॉक्टर के पास जाएगा तो डॉक्टर उससे उसका हेल्थ कार्ड नम्बर पूछेगा. डॉक्टर इस नम्बर को कम्प्यूटर के सहारे सर्वर पर डालेगा. सर्वर तुरंत ही उस व्यक्ति को एक ओटीपी भेज कर एलर्ट करेगा कि क्या ये जानकारी आप ही माँग रहे हैं. अगर व्यक्ति अपना ओटीपी डॉक्टर को देगा केवल तभी डॉक्टर सर्वर से उसका पिछला हेल्थ रेकर्ड देख पाएगा. लेकिन ऐसा कर पाने पर वो बेहतर इलाज कर पाएगा. ख़ास तौर से कम आय के लोगों के पास पुराना रेकर्ड सम्भालने में मुश्किल आती है. उन्हें गम्भीर बीमारियों के इलाज में सुविधा होगी.
गरुड़ प्लेटफ़ॉर्म : किसे और कैसे मिलेगा एक्सेस
सवाल उठता है कि किसी व्यक्ति का डेटा सर्वर पर डालेगा कौन. तो ऐसा वो व्यक्ति स्वयं भी ख़ुद को ऑनलाईन रजिस्टर्ड करवा के कर सकता है अथवा कोई संस्था या अस्पताल उस व्यक्ति की सहमति से कर सकता है. इस हेल्थ डेटा प्लेटफ़ॉर्म को फ़िलहाल गरुड़ प्लेटफ़ॉर्म का नाम दिया गया है. इस प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी या किसी व्यक्ति की सहमति से उसकी जानकारी लेने पर जानकारी लेने वाले का प्लेटफ़ॉर्म पर रजिस्टर्ड होना अनिवार्य होगा. ऐसी सभी रजिस्टर्ड संस्थाओं, एयरपोर्टों और अस्पतालों को ही इस प्लेटफ़ॉर्म पर एक्सेस मिलेगा. लेकिन उदाहरण के लिए अगर विदेश के किसी एयरपोर्ट पर भी भारत स्थित किसी व्यक्ति का डेटा एक्सेस होना है तो वो इस व्यक्ति की ओटीपी आधारित सहमति से ही होगा.
हवाई यात्रियों को होगी आसानी
इसी डिजिटल हेल्थ कार्ड को हवाई यात्रियों के लिए पर्सनल हेल्थ पासपोर्ट भी कहा जा सकता है. इस वक़्त यात्रियों को अपनी एक ही यात्रा में अपना कोविड-19 टेस्ट बार-बार कराना पड़ता है क्योंकि अलग-अलग देश या राज्य पिछली रिपोर्ट को मान्यता नहीं देते. हेल्थ पासपोर्ट से ये समस्या ख़त्म हो जाएगी. हर एयरपोर्ट को आने वाले भारतीय यात्रियों की हेल्थ कंडीशन पहले से पता चल जाएगी जिससे वो जल्दी क्लीयरेंस दे सकेंगे.
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अभिषेक श्रीवास्तव, जर्नलिस्टस्वतंत्र पत्रकार
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