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ईरान के चाबहार बंदरगाह पर भारत को मिला कामकाज का नियंत्रण
विदेश मंत्रालय के मुताबिक चाबहार में 24 दिसंबर को ईरान-भारत और अफगानिस्तान के बीच हुई त्रिपक्षीय अधिकारी स्तर बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि जल्द ही त्रिपक्षीय ट्रांजिट समझौते को भी लागू किया जाएगा.
नई दिल्लीः भारत की मदद से विकसित ईरान के चाबहार बंदरगाह पर भारतीय कंपनी ने 24 दिसंबर 2018 से कामकाज संभाल लिया. भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के दफ्तर ने शाहिद बहिश्ती बंदरगाह पर काम करना शुरू कर दिया. कंपनी को यह बंदरगाह फिलहाल 18 महीने के लिए लीज़ पर दिया गया है जिसे बाद में 10 वर्ष के लिए आगे बढ़ा दिया जाएगा.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक चाबहार में 24 दिसंबर को ईरान-भारत और अफगानिस्तान के बीच हुई त्रिपक्षीय अधिकारी स्तर बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि जल्द ही त्रिपक्षीय ट्रांजिट समझौते को भी लागू किया जाएगा. साथ ही तीनों देश शीघ्र ही इसके लिए ट्रांजिट, सड़क, सीमा-शुल्क आदि विषयों पर तालमेल कर प्रोटोकॉल को अंतिम रूप देंगे. साथ ही तीनों मुल्क इस बंदरगाह पर कारोबार को बढ़ावा देने के लिए फरवरी 2019 में एक विशेष कार्यक्रम का भी आयोजन करेंगे.
चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत को ईरान के रास्ते अफगानिस्तान तक साजो-सामान भेजने में मददगार होगी जिससे तीनों मुल्कों को कारोबार औऱ आर्थिक गतिविधयां बढ़ाने में मदद मिलेगी. साथ ही इस बंदरगाह के चालू होने से ईरान, भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के अन्य देशों के बीच पाकिस्तानी रास्ते का इस्तेमाल किए बगैर एक नया रणनीतिक मार्ग भी मिल गया है. गौरतलब है कि चाबहार बंदरगाह के रास्ते भारत से अफगानिस्तान को 11 लाख टन गेंहू का पहला कनसाइनमेंट अक्टूबर 2017 में भेजा गया था. वहीं फरवरी 2018 में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की भारत यात्रा के दौरान चाबहार के शाहिद बहिश्ती बंदरगाह का नियंत्रण भारतीय कंपनी को सौंपने का समझौता हुआ था.
भारत औऱ ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह का अनुबंध 10 साल के लिए है. साथ ही इसे आगे बढ़ाने का भी प्रावधान है. जहाजरानी मंत्रालय के मुताबिक अनुबंध के पहले दो साल की अवधि छूट अवधि है जिसमें भारत को किसी कार्गो के लिए गारंटी नहीं देनी है. तीसरे साल से भारत चाबहार बंदरगाह पर 30,000 टीईयू कार्गो की गारंटी देगा जो 10वें साल में बढ़कर 2,50,000 टीईयू तक पहुंच जाएगी.
चाबहार बंदरगाह परियोजना के लिए अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में 2003 में चाबहार बंदरगाह बनाने के लिए आरंभिक समझौता किया गया था लेकिन यह सौदा बाद के वर्षों में आगे नहीं बढ़ पाया. बीते कुछ सालों में आई तेजी ने इस परियोजना को रफ्तार दी. भारत द्वारा 2009 में निर्मित जारंज-देलारम सड़क अफगानिस्तान के राजमार्ग तक पहुंच प्रदान कर सकता है जो अफगानिस्तान के चार प्रमुख शहरों - हेरात, कंदहार, काबुल और मजार-ए-शरीफ - तक पहुंच प्रदान करेगा.
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उमेश चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकारCommentator
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