कोरोना संकट के निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा के लिए भारत भी तैयार, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली बैठक से पहले 60 से अधिक देशों का प्रस्ताव
दुनिया के दो लाख से अधिक लोगों को लील चुके कोरोना वायरस संक्रमण के बीच जिनेवा में होने जा रही वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की बैठक इस संकट के दौरान होने जा रहा सबसे अहम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है.

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य सभा की 18-19 मई को शुरु होने वाली बैठक से पहले कोरोना संकट को लेकर अंतरराष्ट्रीय सियासत भी गरमाने लगी है. बैठक से ऐन पहले भारत समेत 62 देशों ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है जिसमें कोरोना संक्रमण के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के कामकाज की निष्पक्ष और चरणबद्ध समीक्षा की बात कही गई है. इस प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य सभा में बैठक अनुमोदन के लिए रखा जाएगा. यानी जिस सवाल से चीन बचने की कोशिश कर रहा था उसे अब उसका सामना करना पड़ेगा.
दुनिया के दो लाख से अधिक लोगों को लील चुके कोरोना वायरस संक्रमण के बीच जिनेवा में होने जा रही वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की बैठक इस संकट के दौरान होने जा रहा सबसे अहम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है. वहीं आवाजाही पर लगी पाबंदियों के चलते पहली बार यह बैठक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी.
विश्व स्वास्थ्य सभा की दो दिनी बैठक से पहले 17 मार्च की रात WHO महासचिव अपना आरंभिक भाषण देंगे. विश्व स्वास्थ्य सभा यानी वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में भारत की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शरीक होंगे और 18 मई को भारतीय समयानुसार करीब 3 बजे उनका भाषण होगा. भारत के लिए यह बैठक इसलिए भी महत्वूपूर्ण है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य सभा के बाद 22 मई को होने वाली कार्यकारी बोर्ड की बैठक में WHO का दिशा-निर्देशन करने वाले मंडल की कमान भारत के हाथ होगी.
इतना ही नहीं इस बैठक में एक रस्साकशी ताइवान की शिरकत को लेकर भी चल रही है. विश्व स्वास्थ्य संकट के दौरान 2.3 करोड़ की आबादी वाले देश के शामिल करने पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश जोर दे रहे हैं. जाहिर है चीन इसे वन चाइना नीति के खिलाफ बताते हुए ऐसे किसी प्रस्ताव के सख्त खिलाफ है. उसने ताइवान के चीन के हिस्से के तौर पर शामिल होने का प्रस्ताव रखा है. लेकिन ताइवान सरकार इसपर राजी नहीं है.
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