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दिल्ली टू नागपुर: प्रणब की आलोचना के बीच सिर्फ RSS की तारीफ में ही जुटी रही BJP

कांग्रेस नेताओं की तरफ से आरएसएस पर सवाल उठाए जाने के बाद बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने आरएसएस की तारीफ करते हुए उसे मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन प्रणब मुखर्जी के फैसले पर कभी कोई बयान नहीं दिया.

नई दिल्लीनागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर पहुंच गए हैं. जब से प्रणब दा ने आरएसएस के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनने का न्योता स्वीकार किया है तब से प्रणब मुखर्जी को अपनों से आलोचना ही मिल रही हैं. प्रणब मुखर्जी के इस फैसले को बीजेपी ने खूब भुनाया. बीजेपी ने इस मामले में आरएसएस की तो जमकर तारीफ की, लेकिन एक बार भी प्रणब दा के फैसले की सराहना नहीं की. आज ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने प्रणब के आऱएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने पर कहा कि मुझे प्रणब दा से ऐसी उम्मीद नहीं थी. कांग्रेस के तमाम नेताओं का कहना है कि पूरी जिंदगी आरएसएस की आलोचना करने वाले प्रणब मुखर्जी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर क्यों जा रहे हैं? कई नेताओं का मानना है कि इससे आरएसएस की विचारधारा को मजबूती मिल सकती है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ है. राहुल अपने एक बयान में यहां तक कह चुके हैं कि महात्मा गांधी की हत्या आरएसएस ने की थी. कांग्रेस के किस नेता ने क्या कहा है? शर्मिष्ठा मुखर्जी: प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी प्रणब दा के इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है, ‘’आरएसएस को भी इस बात का यकीन नहीं होगा कि आप (प्रणब मुखर्जी) अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करने जा रहे हैं. भाषण भुला दिया जाएगा लेकिन तस्वीरें रहेंगी और उन्हें गलत बयानों के साथ फैलाया जाएगा.'' शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आगे कहा,  ''प्रणब मुखर्जी नागपुर जाकर आप बीजेपी और आरएसएस को झूठी खबरें प्लांट करने, अफवाहें फैलने की खुली छूट दे रहे हैं. आपके जाने से यह अफवाहें सच भी लग रही हैं और अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है.'' अहमद पटेल- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी का एक ट्वीट रिट्वीट करते हुए लिखा है, ''मैंने प्रणब दा से ये उम्मीद नहीं की थी.'' बता दें कि अहमद पटेल ने शर्मिष्ठा का जो ट्वीट रिट्वीट किया है, उसमें उन्होंने अपने पिता को नसीहत देते हुए लिखा है, ''प्रणब मुखर्जी नागपुर जाकर आप बीजेपी और आरएसएस को झूठी खबरें प्लांट करने, अफवाहें फैलने की खुली छूट दे रहे हैं. आपके जाने से यह अफवाहें सच भी लग रही हैं. और अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है.'' जयराम रमेश- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर कहा था कि आपके इस कदम से आपके पूरे राजनीतिक जीवन पर एक प्रश्नचिह्न लग सकता है. इस पत्र में जयराम रमेश ने खुद को उनके पीछे चलने वाला बताया था और कहा था कि प्रणब मुखर्जी जैसे विद्वान और सेकुलर आदमी को आरएसएस के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं दिखानी चाहिए. उनके कार्यक्रम में जाने का देश के सेकुलर माहौल पर बहुत गलत असर पड़ेगा. पी चिदंबरम: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है, ‘’अब जब उन्होंने संघ का न्योता स्वीकार कर लिया है, तो इस पर बहस का कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने क्यों स्वीकार किया. उससे ज्यादा अहम बात यह कहनी है कि सर आपने न्योते को स्वीकार किया है तो वहां जाइए और उन्हें बताइए कि उनकी विचारधारा में क्या खामी है.’’ सीके जाफर शरीफ- पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर कहा था, ‘’जो व्यक्ति दशकों तक राजनीति में धर्मनिरपेक्ष रहा, विभिन्न पदों पर सेवाएं दीं, जिसमें राष्ट्रपति जैसे उच्च पद भी शामिल है, उनका संसदीय चुनाव से पहले संघ परिवार के कार्यक्रम में जाना ठीक नहीं है. मैं आपसे इस पर फिर से विचार करने और धर्मनिरपेक्षता और देश हित में संघ परिवार के कार्यक्रम में जाने से बचने का अनुरोध करता हूं.’’ रिपुन बोरा- असम के कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा ने भी प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा था, इसमें उन्होंने तीन वजहों का उल्लेख किया था. रिपुन बोरा ने अपने पत्र में लिखा था कि आरएसएस ने कभी भी तिरंगे का सम्मान नहीं किया. इसके अलावा संघ ‘एक राष्ट्र, एक धर्म’ की भी वकालत करता है. रिपुन बोरा ने आरोप लगाया कि आरएसएस का यह रवैया देश में बढ़ते सामाजिक और धार्मिक असहिष्णुता के लिए भी जिम्मेदार है. संदीप दीक्षित- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी प्रणब मुखर्जी के इस फैसले पर उनकी आलोचना कर चुके हैं. संदीप दीक्षित ने कहा था कि कांग्रेस में रहते हुए मुखर्जी हमेशा आरएसएस के विचारों के खिलाफ रहे तो आखिर वह इस संगठन के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं. ऐसा हो सकता है कि मुखर्जी की यात्रा का आरएसएस राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करे. प्रणब के फैसले पर कुछ नहीं बोली बीजेपी, बचाव में की है आरएसएस की तारीफ नितिन गडकरी- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ''प्रणब मुखर्जी अगर कार्यक्रम में आते हैं तो ये अच्छी बात है. संघ कोई आईएसआई का पाकिस्तानी संगठन है क्या? संघ राष्ट्रभक्तों की संस्था है. ये एक अच्छी शुरुआत है, सभी को इसका स्वागत करना चाहिए.'' नितिन गडकरी ने कहा, ''आरएसएस के कार्यक्रम में किसे जाना है और किसे बुलाना है. ये जाने वालों और बुलाने वालों का अधिकार है. मैं मानता हूं कि राजनीति छुआछूत अच्छी बात नहीं हैं. हमें एक दूसरे से मिलना चाहिए, बातचीत करनी चाहिए और एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना चाहिए. राजनीतिक छुआछूत की बात करने वाले दूसरे को कम्यूनल कहते हैं लेकिन खुद कम्यूनल हैं.'' सुब्रमण्यम स्वामीबीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था, ‘’प्रणब मुखर्जी रिटायर हो गए हैं, वे पहले कांग्रेस में रहे हैं, लेकिन क्या वे बदल नहीं सकते. ऐसा नहीं है. परिस्थितियां बदल जाती हैं. क्या जवाहर लाल नेहरू ने गणतंत्र दिवस में आरएसएस की एक टोली भेजने को नहीं कहा था? लाल बहादुर शास्त्री ने भी ऐसा किया था. मोरबी में बाढ़ और भूकंप में जो आरएसएस ने काम किया उसकी तारीफ इंदिरा गांधी ने की थी.’’ आरएसएस की विचारधारा को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच छत्तीस का आंकड़ा है. कांग्रेस नेताओं की तरफ से आरएसएस पर सवाल उठाए जाने के बाद बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने आरएसएस की तारीफ करते हुए उसे मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन प्रणब मुखर्जी के फैसले पर कभी कोई बयान नहीं दिया. बहरहाल ये देखना दिलचस्प होगा कि आज शाम प्रणब मुखर्जी आरएसएस के कार्यक्रम में क्या बोलते हैं.
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