17 साल पहले इस पार्टी में पड़ी थी फूट, आयोग ने जब्त किया था नाम और चिन्ह!

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी में मचा घमासान आज चुनाव आयोग के दरवाजे तक पहुंच गया. पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावा करने के लिए मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और अमर सिंह ने आज चुनाव चिन्ह को लेकर अपने दावे पेश किए.
चुनाव आयोग से निकलने के बाद मुलायम ने कहा कि साइकिल पर सिर्फ उनका हक है. चुनाव आयोग ने अखिलेश गुट को कल सुबह 11.30 बजे मिलने का वक्त दिया है. अखिलेश की ओर से रामगोपाल यादव और अभिषेक मिश्रा चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखेंगे.
चुनाव आयोग जब्त कर सकता है साइकिल निशान चुनाव आयोग दोनों गुटों से पक्ष जानेगा. विवाद बढ़ने की स्थिति साइकिल चुनाव चिन्ह जब्त हो सकता है. पूर्व चुनाव आयुक्त एसबाई कुरैशी ने एबीपी न्यूज़ से बातया कि अगर बात नहीं बनती है तो समाजवादी पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह आयोग जब्त कर सकता है. इस सूरत में अखिलेश और मुलायम को दोनों को नए चुनाव चिन्ह दिए जा सकता है. इससे साफ है कि अखिलेश और मुलायम अलग अलग निशान पर चुनाव में जा सकते हैं.
पहले भी जब्त हुआ है चुनाव निशान अगर समाजवादी पार्टी की चुनाव चिन्ह जब्त होता है तो यह राजनीति में पहली बार नहीं होगा. चुनाव चिन्ह जब्त करने का सबसे बड़ा उदाहरण हैं सत्रह साल पहले 1999 के लोकसभा चुनाव का है. उस वक्त जनता दल में टूट हुई थी.
दरअसल जनता दल का चुनाव चिन्ह चक्र हुआ करता था. शरद यादव, पासवान, देवगौड़ा एक साथ जनता दल में थे. वाजपेयी को समर्थन के सवाल पर जनता दल में फूट पड़ी. देवगौड़ा वाजपेयी को समर्थन के खिलाफ थे ते शरद यादव बीजेपी के समर्थन में थे. दोनों खेमे ने खुद को असली जनता दल बताया और चक्र पर दावा किया.
मामला चुनाव आयोग पहुंचा और चक्र के साथ साथ नाम भी जब्त हो गया. शरद यादव के जेडीयू का तीर मिला तो देवगौड़ा के जीडीएस को महिला के सिर पर धान की बाली का चिन्ह मिला.
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