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कुलभूषण जाधव मामले में 17 जुलाई को फैसला सुनाएगी ICJ

पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में अप्रैल 2017 को मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद भारत ने आईसीजे का रुख किया था. आईसीजे ने 18 मई 2017 को मामले का फैसला आने तक जाधव की मौत की सजा पर रोक लगा दी थी.

नई दिल्ली: कुलभूषण जाधव मामले पर जल्द ही इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे का फैसला आने वाला है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक फरवरी 2019 में हुई पांच दिनी सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आईसीजे जुलाई की 17 तारीख को अपना फैसला सुनाएगी. आईसीजे के मुताबिक फैसला खुली अदालत में सार्वजनिक तौर पर सुनाया जाएगा.

इससे पहले ICJ में 18-21 फरवरी 2019 के बीच चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी अपनी दलील रखी थी. भारत का तर्क है कि कुलभूषण जाधव को 2016 पकड़ने के बाद से उसके लिए लगातार कॉन्सुलर सम्पर्क की इजाजत न देकर पाकिस्तान ने वियना संधि 1963 के आर्टिकल 36 का उल्लंघन किया है. भारत ने मई 2017 में इसी दलील के साथ मई 2017 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

क्या है भारत की मांग

फरवरी 2019 को ICJ के 16 जजों की बेंच के आगे खुली अदालत में हुई सुनवाई के दौरान भारत ने आईसीजे से उक्त प्रभाव वाले आदेश देने की अपील की थी-

1. कुलभूषण जाधव के खिलाफ पाकिस्तानी सैन्य अदालत का फैसला खारिज किया जाए. 2. कुलभूषण जाधव की तत्काल रिहाई और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए.

वैकल्पिक रूप में

-पाकिस्तानी सैन्य अदालत के फैसले को खारिज कर पाक को उसपर अमल से रोका जाए.

अतिरिक्त विकल्प के रूप में

-पाकिस्तान को अपने कानून के मुताबिक सैन्य अदालत के फैसले को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा जाए.

दोनों ही विकल्पों की स्थिति में-

कुलभूषण जाधव मामले की सामान्य अदालत में और नागरिक कानून के तहत सुनवाई हो जिसमें कॉन्सुलर सम्पर्क के बिना दिए गए उसके इकबालिया बयान को बाहर रखा जाए. साथ ही किसी भी व्यक्ति के नगरिक और राजनीतिक अधिकारों को सुनिश्चित करने वाली यूएन की ICCPR संधि के तहत जाधव के लिए भारत को पूर्ण कॉन्सुलर सम्पर्क व वकील उपलब्ध कराने का अधिकार भी दिया जाए. फरवरी 2019 की सुनवाई में पाकिस्तान ने ICJ आए भारत के दावों व मांग को खारिज करने का आग्रह किया था.

क्या है मामला

पाकिस्तान ने मार्च 2016 में कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार कर भारतीय नौसेना का अधिकारी व खुफिया एजेंसी रॉ का एजेंट बताते हुए गिरफ्तार किया था. भारत सरकार के अनुसार पाकिस्तान ने निजी कारोबार कर रहे इस रिटायर्ड नौसेना अधिकारी को ईरान से अगवा कर गिरफ्तार किया. इसके बाद से पाकिस्तान जाधव को जासूस बताते हुए लगातार भारत की कॉन्सुलर सम्पर्क की मांग को खारिज कर रहा है. साथ ही अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव के खिलाफ सज़ा-ए-मौत का फरमान सुनाया. पूरे मामले में पाक सार्वजनिक तौर पर सबूत के नाम पर केवल जाधव के इकबालिया बयान के कुछ वीडियो ही दिखा पाया है जो हिरासत में रिकॉर्ड किए गए हैं.

पाकिस्तानी सैन्य अदालत के फैसले के बाद मामले पर भारत ने मई 2017 में जाधव के मृत्युदंड पर रोक लगाने की अंतरिम राहत अपील के साथ अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था. साथ ही जाधव के लिए कॉन्सुलर सम्पर्क से इनकार के पाकिस्तानी फैसले को भारत ने वियना संधि 1963 के उल्लंघन बताते हुए अदालत से इस मामले पर सुनवाई कर फैसला देने को कहा. मई 2017 में दोनों पक्षों की अपील सुनने के बाद अदालत ने भारत के हक में फौरी आदेश देते हुए पाकिस्तान से मामले की सुनवाई पूरी होने तक जाधव की सज़ा पर रोक लगाने का आदेश दिया था. साथ ही वियना संधि के उल्लंघन मामले पर सुनवाई करने का भी फैसला किया था.

भारत के हक में फैसले की उम्मीद

जाधव मामले पर भारत के हक में फैसला आने की उम्मीद काफी मजबूत है. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पिछले फैसलों की परंपरा को देखते हुए इस बात की पूरी आशा है कि अदालत पाकिस्तान को कॉन्सुलर सम्पर्क मामले में इनकार के लिए वियना संधि 1963 के उल्लंघन का दोषी करार दे. दरअसल, आईसीजे संयुक्त राष्ट्र संघ की सबसे बड़ी अदालत है और किसी भी देश में अन्य देश के नागरिक की गिरफ्तारी पर उसके अधिकारों को परिभाषित व सुरक्षित करने वाली वियना संधि 1963 जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के संरक्षण का भी सबसे बड़ा मंच है. ऐसे में उम्मीद है कि अदालत जाधव की रिहाई का आदेश भले ना दे मगर उसके भारत को कॉन्सुलर संपर्क दिए जाने का आदेश दे सकता है.

पाक पर फैसला मानने की मजबूरी

पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव के लिए भारत को कौंसुलर संपर्क का आदेश देने वाला फैसला आता है तो पाक के लिए इसकी अवहेलना आसान नहीं होगी. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहले से खासी फजीहत झेल रहे पाक के लिए दुनिया की सबसे बड़ी अदालत के फैसले को दरकिनार करना बेहद मुश्किल होगा. साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ की इस सबसे बड़ी अदालत की सुनवाई में हिस्सा लेने के साथ ही पाक अपने आप को काफी हद तक इस फैसले से बांध भी चुका है. हालांकि सार्वभौमिकता की दुहाई देकर पाक अपने खिलाफ आने वाले फैसले से बचने का गलियारा तलाश सकता है. लेकिन ऐसा करने पर वो दुनिया के मंच पर अपनी किरकिरी का नया सामान तैयार कर लेगा.

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