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भूपेंद्र पटेल: पहली बार के विधायक और जीत ली सीएम की कुर्सी की रेस, आखिर ये करिश्मा कैसे हुआ? जानिए

जमीनी स्तर पर पटेल का कामकाज, सहकारिता क्षेत्र पर उनकी पकड़, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव और प्रशासनिक क्षमताएं जैसे गुणों के कारण ही बीजेपी की ओर से उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है.

गांधीनगर: पहली बार के बीजेपी विधायक भूपेंद्र पटेल आज गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. 59 साल के भूपेंद्र पटेल को कल सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल का नेता चुन लिया गया था. सीएम पद से इस्तीफा देने वाले विजय रुपाणी ने ही बैठक में पटेल को नेता चुनने के लिए प्रस्ताव रखा था.  इससे पहले पाटीदार समुदाय के ही कुछ नेताओं का नाम रुपाणी के उत्तराधिकारी के रूप में चल रहा था, लेकिन अचानक से भूपेंद्र पटेल का नाम सामने आया जिनकी कहीं कोई चर्चा नहीं थी.

भूपेंद्र पटेल इससे पहले राज्य सरकार में मंत्री भी नहीं रहे. दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब 20 साल पहले गुजरात का मुख्यमंत्री बने थे, उससे पहले वह कभी मंत्री नहीं रहे थे. मोदी को सात अक्टूबर 2001 मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी और वह राजकोट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर 24 फरवरी 2002 को विधायक चुने गए थे.

सादगी

एक राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री के लिए जिन नामों की अटकलें चल रही थी, उनमें कहीं भी एक बार के विधायक भूपेंद्र पटेल का नाम नहीं था. पटेल को मृदुभाषी कार्यकर्ता और सादगी से लबरेज़ एक नेता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने नगरपालिका स्तर के नेता से लेकर प्रदेश की राजनीति में शीर्ष पद तक का सफर तय किया है.

आनंदीबन पटेल के करीबी

भूपेंद्र पटेल 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की घाटलोडिया सीट से पहली बार चुनाव लड़े थे और जीते थे. उन्होंने कांग्रेस के शशिकांत पटेल को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था, जो उस चुनाव में जीत का सबसे बड़ा अंतर था. सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले पटेल पूर्व मुख्यमंत्री और अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के करीबी माने जाते हैं. आनंदीबेन 2012 में इसी सीट से चुनाव जीती थीं.

पटेल समुदाय का होना

भूपेंद्र पटेल प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आते हैं. वह पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास को समर्पित संगठन सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के न्यासी हैं. बताया जाता है कि राज्य में बड़ी संख्या में पाटीदाय सुमदाय के लोग बीजेपी से नाराज चल रहे थे. यही वजह है कि जैन समाज से आने वाले रुपाणी को हटाकर एक पटेल को राज्य की कमान सौंपी गई है.

कभी विवादों में नहीं रहे

भूपेंद्र पटेल ने नगर पालिका स्तर के नेता से लेकर प्रदेश की राजनीति में शीर्ष पद तक का सफर तय किया है. कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि बीजेपी ने हाल में कम लोकप्रिय और विवादों में ना रहने वाले नेताओं को राज्यों का मुख्यमंत्री बनाया है. पटेल को करीब से जानने वाले लोग उन्हें जमीन से जुड़ा नेता बताते हैं, जो लोगों से चेहरे पर मुस्कान के साथ मिलते हैं.

कई गुणों को ध्यान में रखते हुए मिली नई जिम्मेदारी

अपने समर्थकों के बीच ‘दादा’ के नाम से पुकारे जाने वाले पटेल जिस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, वो गांधीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा है, जहां से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सांसद हैं. बीजेपी की ओर से जमीनी स्तर पर पटेल का कामकाज, सहकारिता क्षेत्र पर उनकी पकड़, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव और प्रशासनिक क्षमताएं जैसे गुणों के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है.

अगले साल दिसंबर में होंगे विधानसभा के चुनाव

अपने समर्थकों में ‘भाई’ के नाम से लोकप्रिय रूपाणी ने राज्य में विधानसभा चुनाव होने से लगभग सवा साल पहले शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. अगस्त 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिये चुनाव अगले साल दिसंबर में होने हैं.

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