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'90 करोड़ देकर 2 हजार करोड़ हड़पने की साजिश', ED ने सोनिया-राहुल गांधी पर लगाए गंभीर आरोप

ईडी की तरफ से पेश वकील ASG राजू ने कहा कि उन्हें केवल यह तर्क देना है कि क्या उनके खिलाफ संज्ञान लिया जा सकता है. क्या उनके खिलाफ मामला बनता है या नहीं, यह सवाल बाद में आता है.

National Herald Case: राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने को लेकर अहम सुनवाई हुई. कोर्ट ने ASG राजू से पूछा कि क्या आपका यह कहना है कि आरोपियों को केवल संज्ञान के बिंदु पर ही सुना जा सकता है, न कि समन जारी करने के मामले में. ईडी की तरफ से पेश वकील ASG राजू ने कहा कि हां, अपराध के संज्ञान का मामला केवल इस स्टेज में है, यह अधिकार उन्हें केवल डिस्चार्ज के स्टेज के दौरान ही मिलता है.

जांच एजेंसी ईडी ने दी अहम दलील 

ईडी की तरफ से पेश वकील ASG राजू ने कहा कि उन्हें केवल यह तर्क देना है कि क्या उनके खिलाफ संज्ञान लिया जा सकता है. क्या उनके खिलाफ मामला बनता है या नहीं, यह सवाल बाद में आता है, लेकिन अगर अदालत प्रत्येक के खिलाफ केस देखना चाहती है तो मेरा तर्क यह है कि उनमें से प्रत्येक के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है.

ईडी की तरफ से ASG राजू ने कहा कि मामले में प्रस्तावित आरोपी के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के लिए और मुकदमा चलाने के लिए किसी अथॉरिटी से मंजूरी की जरूरत नहीं है. ईडी की तरफ से ASG, SV राजू ने कहा कि प्रस्तावित आरोपियों में से कोई भी लोक सेवक नहीं है और इनमें से कोई भी ऐसा लोक सेवक नहीं है, जिसे सरकार की मंजूरी से हटाया जा सके. इसलिए आरोपियों के खिलाफ सेंक्शन लेने की जरूरत नहीं है.

फर्जी लेन-देन का हुआ जिक्र

ASG राजू ने कोर्ट को बताया कि AJL नाम की एक कंपनी थी. यह कंपनी मुनाफा नहीं कमा रही थी, लेकिन इसके पास बड़ी संपत्ति थी. 2000 करोड़ की संपत्ति थी, लेकिन उसे रोजाना के कामकाज को संभालना मुश्किल हो रहा था. अगर कंपनी ठीक चल रही है, तो आप यह नहीं कह सकते कि मैं घाटे में हूं.

90 करोड़ का लोन AICC  से लिया गया और कहते हैं कि हम चुका नहीं सकते. AICC इस कंपनी को हड़पना चाहती थी, जिसकी संपत्ति 2000 करोड़ थी. 90 करोड़ के लोन के बदले 2000 करोड़ हड़पने के लिए यंग इंडिया बनाने की साजिश थी. AICC ने दूसरा लोन दिया. कोई समझदार व्यक्ति ऐसा क्यों करेगा. 

सोनिया और राहुल पर ED ने क्या आरोप लगाया? 

ईडी की तरफ से पेश वकील ने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस 2000 करोड़ की कंपनी को अपने कब्जे में लेना चाहते थे. AICC से 90 करोड़ का कर्ज लिया गया था. उनके पास 2000 करोड़ थे, लेकिन वे 90 करोड़ चुका नहीं सके. AICC लोन चुकाने के लिए अदालत जा सकती थी, लेकिन वे कंपनी को हड़पना चाहते थे और इस तरह यंग इंडिया का निर्माण किया. ED ने कहा कि उन्होंने टेंडर नहीं निकाला और इसे यंग इंडियन को दे देते हैं. जो 50 लाख देता है और कंपनी ले लेता है.

ED की अहम दलील, सबकुछ जानकारी के तहत

ईडी ने कहा कि यह साजिश का पहला भाग है. बाद में यंग इंडियन के पास इसे चुकाने के लिए पैसे नहीं होते और फिर वो कोलकाता जाते हैं, जहां शेल कंपनियां हैं. 1 करोड़ का लोन यंग इंडियन को दिया गया, जिसकी बैलेंस शीट नेगेटिव थी और उसे 1 करोड़ दिया गया. यह सारा पैसा सोनिया और राहुल गांधी के सामने आने के बाद आता है. 50 लाख में AJL की 2000 करोड़ की संपत्ति यंग इंडियन को चली जाती है. जो एक होल्डिंग कंपनी बन जाती है और AJL एक सहायक कंपनी बन जाती है. 

ASG राजू ने ईडी की चार्जशीट का हिस्सा पढते हुए कोर्ट को बताया कि ईडी की जांच से पता चलता है कि यंग इंडियन पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नियंत्रण था, क्योंकि दोनों ने मिलकर एक सोची-समझी साजिश के तहत 76% शेयर अपने पास रखे थे. वास्तव में ये कंपनियां सोनिया और राहुल गांधी के नियंत्रण में थी और इनके संचालन के लिए वो जिम्मेदार थे.

अपराध से मिली प्रॉपर्टी

नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने दलील देते हुए कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने साल 2017-18 से 2020-21 के बीच कुल 29.45 करोड़ रुपये का विज्ञापन राजस्व दिखाया था. ईडी की जांच में सामने आया है कि इसमें से 15.86 करोड़ रुपये कांग्रेस से जुड़ी संस्थाओं से प्राप्त किए गए थे, जबकि 13.59 करोड़ रुपये अन्य संस्थाओं से लिए गए थे.

ईडी ने कहा कि जिन लोगों या संस्थाओं के नाम विज्ञापन लेजर में दर्ज थे, उन्हें समन भेजकर पूछताछ की गई. पूछताछ में कई लोगों ने यह कबूला कि उन्होंने यह भुगतान कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर किया था.

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने यह राशि कांग्रेस नेताओं से व्यापारिक संरक्षण पाने के उद्देश्य से दी थी. ईडी ने यह भी बताया कि अधिकांश विज्ञापन किसी व्यापारिक उद्देश्य के अनुरूप नहीं थे, बल्कि ये ज्यादातर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने या बधाई संदेशों के रूप में दिए गए थे. ईडी ने कहा कि लोग सालों से फर्जी अग्रिम किराया दे रहे थे. किराए की रसीदें फर्जी थीं. 

किराए के रूप में कुछ राशि का भुगतान

सीनियर कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर एजेएल को पैसा ट्रांसफर किया गया. सीनियर कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर ही AJL को विज्ञापन का पैसा भी दिया गया. इसलिए इस तरह की धोखाधडी से जो भी इनकम होती है, वह अपराध की आय है. ईडी ने कहा कि कुछ दान देने वाले जो पार्टी के जाने-माने बड़े नाम और वरिष्ठ नेता हैं, उन्होंने किराए के रूप में कुछ राशि का भुगतान किया है.

इसलिए यदि यह अपराध की आय माना जाएगा तो उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया गया. एक आरोपी सुमन दुबे ने सोनिया गांधी को शेयर ट्रांसफर किया. ऑस्कर फर्नांडीज ने राहुल को शेयर ट्रांसफर किया और राहुल ने इसे वापस ऑस्कर फर्नांडिस को भेज दिया. ये सभी फर्जी लेनदेन हैं और ये केवल कागजों पर मौजूद हैं.

अपराध के आय पर कोर्ट का सवाल 

ईडी ने कहा कि  2015 तक केवल दो व्यक्ति ही लाभ लेने वालों में हैं, वो हैं राहुल और सोनिया गांधी. लाभकारी व्यक्ति वह होता है, जिसका कंपनी पर नियंत्रण है. कोर्ट ने ईडी से पूछा कि क्या किराया विज्ञापन की रकम आदि भी अपराध से प्राप्त संपत्ति यानि प्रोसीड ऑफ क्राइम मानी जा रही है. ईडी की तरफ से पेश वकील ने कहा कि हां जो भी धोखाधड़ी से अर्जित संपत्ति है, वह POC में आएगी. 

कोर्ट ने कहा कि इन तीनों श्रेणियों को स्पष्ट रूप से POC के रूप में दिखाया नहीं गया है. इन्हें सिर्फ कुछ बिंदुओं के रूप में पेश किया गया है. किराया भी दो कैटगरी में है, 29 करोड़ और 142 करोड़, जहां 142 करोड़ को POC कहा गया है.

दानदाताओं ने दिया नकली दान

वहीं 29 करोड़ को ऐसा नहीं कहा गया है. कोर्ट ने कहा कि हम ये इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि कुछ दानदाता जिनके बारे में आप कह रहे हैं कि उन्होंने नकली दान दिया, वे भी उसी पार्टी के सदस्य हैं और कुछ तो प्रमुख चेहरे भी हैं, लेकिन उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है. यदि अग्रिम किराया और दान POC माने जाएं तो क्या वे व्यक्ति रेस्पोंटेड की कैटगरी में नहीं आएंगे. 

ईडी का जवाब आया कि हम इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं कि कोई संपत्ति POC में तब आती है, जब उसे प्राप्त किया जाता है या उससे पहले. कोर्ट ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल यह समझना है कि ED किन चीजों को POC मान रही है और किन्हें नहीं. ईडी ने दलील देते हुए कहा कि वर्तमान चरण में हम इन चीजों को POC मानते हैं. आगे जांच कर सकते हैं और इसे सप्लिमेंट्री चार्जशीट में शामिल किया जाएगा. ईडी ने कहा कि हम इस मामले में आगे सप्लिमेंट्री चार्जशीट भी दाखिल करेंगे.

बेनामी संपत्तियां गांधी परिवार की

ईडी ने कहा कि यंग इंडिया को चैरिटी के लिए भी इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इसका कोई चैरिटी का इरादा नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य वास्तविक उद्देश्य को छिपाना था. ईडी ने कहा कि ऑस्कर फर्नांडीज और मोतीलाल वोरा की मौत के बाद, AJL की संपत्तियों पर नियंत्रण रखने वाले राहुल और सोनिया ही हैं. दोनों कंपनियां और बेनामी संपत्तियां गांधी परिवार की थीं. ईडी ने कहा कि यह एक कंपनी की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को 50 लाख रुपये की मामूली रकम पर हड़पने की साजिश है. 

यंग इंडिया का गठन धोखाधड़ी करने और साजिश को अंजाम देने के उद्देश्य से किया गया था. अगर AJL ने इसे सीधे AICC को दे दिया होता तो यह धोखाधड़ी होती. इसलिए AICC से दूरी बनाने के लिए ये कंपनी बनाई गई. ये पता था कि AJL के पास इतनी बड़ी संपत्ति है. ईडी ने कहा कि कल अगर हमें सबूत मिलते हैं, तो हम धारा 70 के तहत मामले में कांग्रेस पार्टी को आरोपी बना सकते हैं, लेकिन हम बिना किसी सबूत के ऐसा नहीं करेंगे. 

पार्टी को अभी नहीं बना सकते आरोपी

ईडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अभी आरोपी नहीं बनाया जा रहा है. इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में ऐसा नहीं हो सकता. अगर हमें पर्याप्त सबूत मिले तो हम उन्हें भी आरोपी बना सकते हैं. अगर AICC को आरोपी बनाया जाता है तो राहुल और सोनिया की इस केस मे स्थिति उन्हें PMLA की धारा 70 के तहत मामला चलाने में मदद करेगी, लेकिन उचित सबूतों के बिना ऐसा नहीं किया जाएगा.

कोर्ट ने ईडी से 2010 से पहले AJL की शेयरहोल्डिंग के बारे में स्पष्टीकरण मांगा, जब यंग इंडिया सामने नहीं आया था. रॉउज एवन्यू कोर्ट में 3 जुलाई को इस मामले में अब अगली सुनवाई होगी. 

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