एक्सप्लोरर

Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर क्या है ताजा विवाद, जानें इसका पूरा इतिहास

Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आया है. जिसमें सर्वे पर लगी रोक को हटा दिया गया है. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष की याचिका भी खारिज कर दी गई.

Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में अब आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के सर्वे को हरी झंडी मिल चुकी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया है कि सर्वे पर लगी रोक को हटाया जा रहा है और अब ASI मस्जिद परिसर में सर्वे करा सकता है. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष की याचिका को भी खारिज कर दिया गया, जिसमें सर्वे पर रोक लगाने की बात कही गई थी. ज्ञानवापी पर चर्चा के बीच आइए जानते हैं कि इस मस्जिद का क्या इतिहास रहा है और इसे लेकर ताजा विवाद आखिर क्या है. 

दशकों पहले उठा था मामला
इतिहास जानने से पहले ताजा विवाद की बात कर लेते हैं. वैसे तो ये विवाद काफी पुराना है, सबसे पहले साल 1991 में ज्ञानवापी को लेकर हिंदू पक्ष की तरफ से दावा सामने आया था. जिसमें वाराणसी की एक कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि ज्ञानवापी में हिंदुओं को पूजा की इजाजत दी जाए. हालांकि तब हाईकोर्ट की तरफ से इस पर स्टे लगा दिया गया था और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी हुआ. हाईकोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया था. 

क्या है ताजा विवाद?
अब अगर ताजा विवाद की बात करें तो साल 2019 में इस मामले पर वाराणसी की कोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू की गई. इसके बाद 18 अगस्त 2021 को राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता शाहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक नाम की महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की पूजा-दर्शन की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की. जिसके बाद 2022 में निचली अदालत ने मस्जिद के सर्वे की इजाजत दे दी. इसके बाद मस्जिद के अंदर सर्वे किया गया. जिसमें दावा किया गया कि कई हिंदू देवी-देवताओं के चिन्ह मिले हैं. साथ ही एक शिवलिंग जैसी आकृति मिलने का भी दावा किया गया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया और सर्वे पर कुछ महीनों के लिए स्टे लगा दिया गया था.  

वाराणसी जिला अदालत के आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यह बात पता करने के लिए सर्वे करने का निर्देश दिया था कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी? अब एक बार फिर सर्वे की इजाजत मिलने के बाद हिंदू पक्ष को उम्मीद है कि मस्जिद का सच सामने आएगा. 

क्या है हिंदू पक्ष की मांग
हिंदू पक्ष की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कई मांगें हैं. जिनमें सबसे पहले मस्जिद के अंदर पूजा-अर्चना करने की मांग की गई है. इसके अलावा मुस्लिमों का प्रवेश बंद करने और गुंबद को गिराए जाने की मांग भी है. हाल ही में दायर एक याचिका में ये भी कहा गया है कि ASI सर्वे को प्रभावित किए बगैर पूरी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को सील करने का आदेश जारी किया जाए, जिससे गैर हिंदुओं की तरफ से उन हिंदू चिह्नों, प्रतीकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सके जो आयोग के सर्वेक्षण के दौरान पाए गए थे.

ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास
दरअसल वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद काशी-विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है. इसे लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं. बीबीसी की रिपोर्ट में कुछ इतिहासकारों के हवाले से बताया गया है कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तानों ने ज्ञानवापी को बनाया था. उन्होंने यहां मौजूद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर इसे बनाया. हालांकि कई इतिहासकार इस तथ्य को नहीं मानते हैं. 

कब बना था काशी विश्वनाथ मंदिर
बीबीसी की रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार योगेंद्र शर्मा के हवाले से बताया गया है कि अकबर के वक्त में टोडरमल ने ये मंदिर (काशी विश्वनाथ) बनवाया था, जिसके करीब 100 साल बाद ये मंदिर ध्वस्त कर दिया गया. इसके बाद करीब 125 सालों तक यहां कोई मंदिर नहीं था. इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने साल 1735 में मंदिर का निर्माण करवाया था, जो अभी मौजूद है.   

इतिहासकार एलपी शर्मी ने अपनी किताब 'मध्यकालीन भारत' में बताया है कि 1669 में सूबेदारों को हिंदू मंदिरों और ज्ञान शालाओं को तोड़ने की इजाजत दी गई. इसके लिए अलग विभाग भी बनाया गया. इस दौरान उत्तर भारत के तमाम मंदिरों को तोड़ दिया गया था. 

औरंगजेब ने दिया था आदेश?
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृत विभाग के प्रमुख ए एस अल्टेकर की किताब 'बनारस का इतिहास: फ्रॉम द अर्लीएस्ट टाइम्स डाउन टू 1937' में कहा गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 1669 में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान किया गया था, जिसने उस स्थान पर मौजूदा विश्वेश्वर मंदिर को ध्वस्त करने और उसकी जगह एक मस्जिद बनाने का आदेश दिया था.

कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मस्जिद और मंदिर को अकबर ने 1585 के आसपास दीन-ए-इलाही के तहत बनवाया था. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब दीन-ए-इलाही के खिलाफ था, इसीलिए उसने मंदिर को तोड़ दिया था. इस मस्जिद का पहला जिक्र 1883-84 में मिलता है. तमाम इतिहासकार इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि मंदिर के मलबे पर ही इस मस्जिद को बनाया गया हो. उनका कहना है कि इतिहास में ऐसी घटनाएं आम थीं. 

ये भी पढ़ें - नूंह हिंसा के आरोपी मोनू मानेसर ने बताया पुलिस के सामने कब करेगा सरेंडर, जुनैद-नासिर हत्याकांड पर भी दिया जवाब

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Tirupati Laddoo Row: 'YSRCP सरकार में बदली गई थी घी सप्लाई की शर्त', तिरुपति लड्‌डू विवाद पर बोले चंद्रबाबू नायडू
'YSRCP सरकार में बदली गई थी घी सप्लाई की शर्त', तिरुपति लड्‌डू विवाद पर बोले चंद्रबाबू नायडू
तिरुपति प्रसाद विवाद पर सपा सांसद डिंपल यादव की प्रतिक्रिया, वृंदावन का भी कर दिया जिक्र
तिरुपति प्रसाद विवाद पर सपा सांसद डिंपल यादव की प्रतिक्रिया, वृंदावन का भी कर दिया जिक्र
Sharmila Tagore की वजह से काजोल की मां बनी थीं स्टार, जानें कैसे सैफ की मां के फैसले ने बदली थी तनुजा की जिंदगी
काजोल और सैफ की मां के बीच का कनेक्शन है पुराना, जानिए दिलचस्प किस्सा
IND vs BAN: एक घंटा है, जो करना है..., ऋषभ पंत ने खोल दिए टीम इंडिया के बड़े राज; रोहित पर भी दिया बयान
एक घंटा है, जो करना है, ऋषभ पंत ने खोल दिए टीम इंडिया के बड़े राज
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Lebanon Israel War: खतरे में लेबनान का फ्यूचर, बज गया सिविल वॉर का हूटर? | America | ABP NewsHaryana Election: Arvind Kejriwal के RSS से सवाल...हरियाणा तक बवाल | AAP | ABP NewsHindustan Shikhar Samagam: Jagat Singh को ऐसे मिली जंगली की उपाधी | ABP News'प्रकृति को बिना नुकसान किए कैसे स्वस्थ रहें' देवभूमि के 'गुमनाम नायकों' का खास Interview | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Tirupati Laddoo Row: 'YSRCP सरकार में बदली गई थी घी सप्लाई की शर्त', तिरुपति लड्‌डू विवाद पर बोले चंद्रबाबू नायडू
'YSRCP सरकार में बदली गई थी घी सप्लाई की शर्त', तिरुपति लड्‌डू विवाद पर बोले चंद्रबाबू नायडू
तिरुपति प्रसाद विवाद पर सपा सांसद डिंपल यादव की प्रतिक्रिया, वृंदावन का भी कर दिया जिक्र
तिरुपति प्रसाद विवाद पर सपा सांसद डिंपल यादव की प्रतिक्रिया, वृंदावन का भी कर दिया जिक्र
Sharmila Tagore की वजह से काजोल की मां बनी थीं स्टार, जानें कैसे सैफ की मां के फैसले ने बदली थी तनुजा की जिंदगी
काजोल और सैफ की मां के बीच का कनेक्शन है पुराना, जानिए दिलचस्प किस्सा
IND vs BAN: एक घंटा है, जो करना है..., ऋषभ पंत ने खोल दिए टीम इंडिया के बड़े राज; रोहित पर भी दिया बयान
एक घंटा है, जो करना है, ऋषभ पंत ने खोल दिए टीम इंडिया के बड़े राज
Coldplay Concert: कोल्डप्ले कॉन्सर्ट के टिकट की कीमत लाखों तक पहुंची, ऐसी दीवानगी कि बुकिंग साइट हुई क्रेश
कोल्डप्ले कॉन्सर्ट के टिकट की कीमत लाखों तक पहुंची, ऐसी दीवानगी कि बुकिंग साइट हुई क्रेश
वक्फ संशोधन बिल पर JPC को मिले AI जेनरेटेड रिएक्शन, अब तक आ चुके हैं 96 लाख ईमेल
वक्फ संशोधन बिल पर JPC को मिले AI जेनरेटेड रिएक्शन, अब तक आ चुके हैं 96 लाख ईमेल
दुनिया के किस देश में हैं सबसे ज्यादा दूतावास, किस नंबर पर आता है अपना भारत?
दुनिया के किस देश में हैं सबसे ज्यादा दूतावास, किस नंबर पर आता है अपना भारत?
AI से कैसे होगा सर्वाइकल कैंसर का इलाज, क्या दूसरी बीमारियों में भी काम आएगी ये तकनीक?
AI से कैसे होगा सर्वाइकल कैंसर का इलाज, कितनी कारगर है ये तकनीक
Embed widget