आरक्षण पर मोदी सरकार का साथ देगी 'AAP', यशवंत सिन्हा, राजभर ने करार दिया 'जुमला'
General Category Reservation: आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार के इस फैसले का समर्थन देते हुए कुछ सवाल भी खड़े किए हैं.

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने चुनाव से पहले बड़ा दांव चलते हुए आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. सरकार को इस फैसले पर विरोधी आम आदमी पार्टी का साथ भी मिल गया है. दरअसल, सरकार को यह फैसला लागू करवाने के लिए सविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संवैधानिक संशोधन करना होगा. आम आदमी पार्टी ने इस संशोधन के लिए संसद में सरकार का साथ देने की बात कही है. वहीं यशवंत सिन्हा और ओमप्रकाश राजभर ने इसे सिर्फ एक जुमला करार दिया है.
अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे तो हम सरकार का साथ देंगे. नहीं तो साफ़ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है.
चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ़ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है https://t.co/CuediQtgse
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 7, 2019
वहीं यशवंत सिन्हा ने कहा है कि आर्थिक रुप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव एक जुमले से ज्यादा कुछ नहीं है. ये कई तरह की कानूनी जटिलताओं से लैस है और इसे संसद के दोनों सदनों से पास कराने का समय नहीं है. इस कदम से सरकार पूरी तरह एक्सपोज हो गई है.
इसके अलावा राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने ट्वीट कर इस फैसले पर सरकार का साथ देने का एलान किया है. हालांकि अपने ट्वीट में संजय सिंह सरकार पर निशाना साधने से भी नहीं चूके. उन्होंने कहा, '10% आरक्षण बढ़ाने के लिये संविधान संशोधन करना होगा सरकार विशेष सत्र बुलाये हम सरकार का साथ देंगे वरना ये फ़ैसला चुनावी जुमला मात्र साबित होगा.' संजय सिंह ने एक और ट्वीट में सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए लिखा है, 'आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण जातियों के लिये मोदी सरकार ने 10% आरक्षण का स्वागत योग्य चुनावी जुमला छोड़ दिया है,ऐसे कई फ़ैसले राज्यों ने समय-समय पर लिये लेकिन 50% से अधिक आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी क्या ये फ़ैसला भी कोर्ट से रोक लगवाने के लिये एक नौटंकी है?'The proposal to give 10% reservation to economically weaker upper castes is nothing more than a jumla. It is bristling with legal complications and there is no time for getting it passed thru both Houses of Parliament. Govt stands completely exposed.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) January 7, 2019
आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण जातियों के लिये मोदी सरकार ने 10% आरक्षण का स्वागत योग्य चुनावी जुमला छोड़ दिया है,ऐसे कई फ़ैसले राज्यों ने समय-समय पर लिये लेकिन 50% से अधिक आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी क्या ये फ़ैसला भी कोर्ट से रोक लगवाने के लिये एक नौटंकी है?
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) January 7, 2019
केंद्रीय कैबिनेट के आर्थिक रुप से गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने पर यूपी के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा है कि 10 फीसदी कोटा देना एक चुनावी जुमला है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का कोई संविधान में प्रावधान नहीं है. लोकसभा में तय करेंगे कि गरीब सवर्णों पर आए संविधान संशोधन पर क्या करना है. तेजस्वी ने कहा कि जब 15 फीसदी आबादी वालों को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात हो रही है तो 85 फीसदी आबादी वालों को 90 फीसदी आरक्षण दें.
कांग्रेस के हरीश रावत ने सरकार के आर्थिक रुप से गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा कि 'बहुत देर कर दी मेहरबान आते आते'. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसे में कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो क्या करते हैं, क्या देते हैं, क्या जुमला गढ़ते हैं- इस सरकार को कोई नहीं बचा सकता है.
बीजेपी सांसद उदित राज ने कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं और ये बहुत अच्छा फैसला है. बहुत लंबे समय से इसकी मांग चली आ रही थी लिहाजा राज्यों के चुनावी नतीजों से इसको जोड़कर देखना ठीक नहीं है. हालांकि उन्होंने कहा कि इस फैसले को लागू करने में थोड़ी समस्या ज़रूर होगी क्योंकि आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा तय की गई थी. लेकिन मोदी सरकार ने एक बोल्ड फैसला लिया है. मैं तो कहता हूं कि देश में 100 फीसद आरक्षण व्यवस्था लागू कर दीजिए. जिसकी जितनी आबादी उसके अनुपात में उतना आरक्षण. सरकारी नौकरियों की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रभारी पी एल पुनिया ने कहा कि यदि आप 2014 में कांग्रेस के घोषणापत्र को देखें तो उसमें यह स्पष्ट लिखा है कि हम उन सभी वर्गों को आरक्षण का लाभ देने के पक्ष में हैं जो इसके हकदार है और उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है. अब जब सरकार ने यह फैसला लिया है तो देखना होगा कि इसका कैसा क्रियान्वयन होता है.Harish Rawat,Congress on 10% reservation approved by Cabinet for economically weaker upper castes: 'Bohot der kar di meherbaan aate aate', that also when elections are around the corner. No matter what they do, what 'jumlas' they give, nothing is going to save this Govt pic.twitter.com/PXBwWvNKTY
— ANI (@ANI) January 7, 2019
वहीं पप्पू यादव का कहना है कि सरकार पहले सामाजिक आर्थिक जनगणना के आंकड़े जारी करे. वहीं मनोज झा ने कहा कि ये सिर्फ राजनीतिक स्टंट है. एक बादशाह का फैसला है. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि अगर बिल आता है तो वो इसका समर्थन करेंगे या नहीं.
आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देगी मोदी सरकार
सरकार के फैसले के मुताबिक आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी और आरक्षण मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में बिना किसी छेड़छाड़ के दी जाएगी. सरकार मंगलवार को संसद में आर्थिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण पर संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है
आपको बता दें कि फिलहाल देश में 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इसमें अनुसूचित जाति के लिए 15 फीसदी, अनुसूचित जन जाति के 7.5 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है.
सरकार के इस फैसले के बाद सविधान में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी. सरकार इस आरक्षण को लागू करने के लिए सविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन लेकर आएगी. सविधान में इन्हीं दो अनुच्छेद में संसोधन के बाद आर्थिक रूप सेे पिछड़े हुए सर्वणों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल पाएगा.
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Source: IOCL





















