मणिपुर में ED का बड़ा एक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में 5 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी
ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मणिपुर में कई जगह पर छापेमारी की है. मामला मनी लॉन्ड्रिंग और देशविरोधी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है.

ED की इंफाल सब-जोनल टीम ने मणिपुर में बड़ी कार्रवाई की है. एजेंसी ने याम्बेम बीरेन और नारेंगबाम समरजीत के ठिकानों पर छापेमारी की है. याम्बेम बीरेन खुद को मणिपुर स्टेट काउंसिल का मुख्यमंत्री और नारेंगबाम समरजीत खुद को एक्सटर्नल अफेयर्स और डिफेंस मिनिस्टर बताता था. दोनों पर देश की एकता के खिलाफ गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप है.
ED ने पांच अलग-अलग जगह की छापेमारी
ED की टीम ने इंफाल में कुल 5 अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की है. ये सभी ठिकाने सलाइ ग्रुप ऑफ कंपनियों से जुड़े बताए जा रहे है. जिनके ये दोनों मुख्य लोग है. मामला साल 2019 का है जब लंदन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इन लोगों ने मणिपुर को भारत से अलग आज़ाद देश घोषित करने की बात कही थी. ED के मुताबिक ये देश के खिलाफ साजिश, देशद्रोह और अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत फैलाने जैसा गंभीर अपराध है. इसी आधार पर पहले ही NIA और CBI इस मामले में केस दर्ज कर चुकी है.
जांच में हुए बड़े खुलासे
जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने साल 2003 में कादंगबंद स्वजलधारा इम्प्लीमेंटेशन कमेटी नाम से एक संस्था बनाई थी. जिसका नाम बाद में 2008 में बदलकर स्मार्ट सोसायटी कर दिया गया. इसके अलावा, उन्होंने सलाइ फाइनेंशियल सर्विस (SAFFINS) नाम से एक और संस्था बनाई. जो इंफाल में रजिस्टर्ड थी. इस संस्था को मनी लेंडिंग का लाइसेंस तो मिला था, लेकिन आरोप है कि इसके नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ की गई.
ED की जांच में पता चला है कि सलाइ ग्रुप और स्मार्ट सोसायटी ने बिना किसी कानूनी अनुमति के आम लोगों से कैश में पैसे जमा कराए. लोगों को बहुत ज्यादा ब्याज देने का लालच दिया गया. स्मार्ट सोसायटी ने खुद को मेंबरशिप के नाम पर दिखाया. लेकिन असल में ये गैरकानूनी तरीके से NBFC की तरह काम कर रही थी. ना तो बैंकिंग नियम माने गए और ना ही पैसे का सही हिसाब रखा गया. पूरी रकम सिर्फ कैश में ली और ब्याज भी कैश में ही दिया गया.
भोले-भाले निवेशकों से करोड़ों इकट्ठा किए
जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस तरह से भोले-भाले निवेशकों से करीब 57.36 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए. ये पैसा बाद में आरोपियों और सलाइ ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों के बैंक खातों में डाला गया. इसी पैसों से जमीन-जायदाद खरीदी गई, होम लोन और गाड़ियों के लोन चुकाए गए और दूसरे निजी खर्च किए गए.
ED का आरोप है कि ये पूरा पैसा अपराध से कमाया गया पैसा यानी प्रोसीड्स ऑफ क्राइम है. जो PMLA कानून के तहत आता है. यही पैसा देश के खिलाफ गतिविधियों, देशद्रोह और समाज में नफरत फैलाने के लिए भी इस्तेमाल किया गया.
फिलहाल ED की जांच जारी है. छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज और संपत्तियों से जुड़े सबूत मिले है. जांच एजेंसी अब ये पता लगाने में जुटी है कि इस नेटवर्क के जरिए और कितना पैसा कहां-कहां लगाया गया और इसमें और कौन-कौन लोग शामिल है.
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Source: IOCL






















